उत्तराखंड में रेरा का बड़ा कदम: जमीन रजिस्ट्री से पहले लैंडयूज की सूचना जरूरी
Rajkumar Dhiman, Dehradun: राजधानी देहरादून समेत पूरे प्रदेश में धड़ल्ले से कृषि भूमि को काटकर बेचने का खेल चल रहा है। प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों ने खेती की जमीन को बड़े पैमाने पर आवासीय प्लाटों में बदल डाला है। स्थिति यह है कि मसूरी–देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के प्रस्तावित मास्टर प्लान 2041 में आवासीय लैंडयूज … The post बड़ी खबर: जमीन की रजिस्ट्री से पहले बताना होगा लैंडयूज, रेरा का आदेश appeared first on Round The Watch.

उत्तराखंड में रेरा का बड़ा कदम: जमीन रजिस्ट्री से पहले लैंडयूज की सूचना जरूरी
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के देहरादून सहित पूरे प्रदेश में अवैध रूप से कृषि भूमि को Residential प्लॉटों में बदलने की गतिविधियों पर उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने सख्त एक्शन लिया है। रेरा के नए आदेश के अनुसार, भूमि की रजिस्ट्री करवाते समय अब लैंडयूज की जानकारी प्रदान करना अनिवार्य होगा।
राजधानी देहरादून में भूमि के अवैध परिवर्तन का खेल
राजकुमार धीमान, देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर कृषि भूमि को आवासीय प्लॉटों में परिवर्तित किया जा रहा है। मसूरी–देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के प्रस्तावित मास्टर प्लान 2041 में आवासीय लैंडयूज का दायरा 58.43 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि मानक केवल 36–39 प्रतिशत होना चाहिए। यदि मिश्रित श्रेणी और नदी-नालों की भूमि पर हुए निर्माण को जोड़ा जाए, तो यह आंकड़ा लगभग 80 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए रेरा ने कार्रवाई के साथ ही अपने अधिकार क्षेत्र को मजबूत करने का ऐलान किया है। धर्मावाला क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग के मामलों में रेरा सदस्य नरेश सी. मठपाल की सख्ती के चलते न केवल प्लाटिंग को रोका गया, बल्कि 2 लाख रुपए का जुर्माना भी वसूला गया। इस कार्रवाई ने प्रदेश में चल रहे अवैध कारोबार की असलियत को उजागर कर दिया है।
सब रजिस्ट्रार की लापरवाही पर उठे सवाल
रेरा के कर्मचारियों ने पाया कि कृषि भूमि पर आवासीय भूखंडों की बिक्री के लिए कोई लेआउट पास नहीं होता है। इसके बावजूद संबंधित सब रजिस्ट्रार आंख मूंदकर इन भूखंडों की रजिस्ट्री कर देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका ध्यान सिर्फ सर्किल रेट की वसूली पर होता है। इसी के तहत भोले-भाले खरीदारों को बिना लैंडयूज की जानकारी दिए कृषि भूमि बेची जा रही है।
आवश्यकता है लैंडयूज विवरण की
रेरा ने अब से हर रजिस्ट्री में जमीन के लैंडयूज को मास्टर प्लान के अनुसार दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। सब रजिस्ट्रार को विक्रेता से भूमि उपयोग की प्रति प्राप्त करनी होगी। यदि भूमि पर जेडएएलआर एक्ट की धारा 143 (आबादी) या भू उच्चीकरण का मामला है, तो इसकी सूचना भी विक्रय विलेख में शामिल करनी होगी।
अवैध प्लाटिंग पर और कार्रवाई की आवश्यकता
रेरा ने सभी विकास प्राधिकरणों को आदेश दिया है कि यदि कोई अवैध प्लाटिंग ध्वस्त की जाती है, तो इसकी जानकारी रेरा को देनी होगी ताकि ऐसे भूखंडों की बिक्री पर रोक लग सके। इसके साथ ही, 500 वर्गमीटर से अधिक और 8 यूनिट से अधिक के निर्माण के लिए रेरा में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
संवेदनशीलता से निबंधन विभाग की जांच
अवैध कॉलोनियों को रोकने के लिए रेरा ने बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं की मंजूरी को रोकने के निर्देश जारी किए हैं। जब न रजिस्ट्री होगी और न मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, तो अवैध प्लाटिंग का कारोबार स्वतः ठप पड़ जाएगा।
मुख्य सचिव को भेजी गई आदेश की प्रति
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए, नरेश सी. मठपाल ने आदेश का एक प्रति मुख्य सचिव को भी भिजवाया है, ताकि आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जा सकें। ताकि संबंधित विभाग इस दिशा में कार्यवाही कर सकें।
धर्मावाला प्रकरण: एक उदाहरण
धर्मावाला क्षेत्र का मामला एक महत्वपूर्ण नजीर बन गया है, जहां शालिनी गुप्ता और सुधीर गुप्ता ने कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग करवा दी थी। पकड़े जाने पर उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और 2 लाख का जुर्माना भरते हुए शपथ पत्र दिया कि भविष्य में बिना लैंडयूज परिवर्तन के प्लाटिंग नहीं करेंगे।
इस प्रकार, रेरा का यह कदम न केवल अवैध प्लॉटिंग पर रोक लगाने में सहायक होगा, बल्कि इससे भूमि उपयोग के नियमों का पालन भी सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, भविष्य में खरीदारों के लिए यह एक सशक्त कदम साबित होगा, जिससे उन्हें अपने निवेश की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त रह सकें।
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सादर, टीम हकीकत क्या है (सीमा रानी)
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