मुख्य न्यायाधीश के तेवर तल्ख, जिपं चुनाव में सदस्यों को घसीटने और बवाल की उलट कहानी पर तीखे सवाल

Amit Bhatt, Dehradun: नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान मचे बवाल से जुड़े मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। कथित तौर पर अपहृत बताए गए नैनीताल के पाँच जिला पंचायत सदस्य मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए। जिला पंचायत … The post मुख्य न्यायाधीश के तेवर तल्ख, जिपं चुनाव में सदस्यों को घसीटने और बवाल की उलट कहानी पर तीखे सवाल appeared first on Round The Watch.

Dec 11, 2025 - 00:39
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Amit Bhatt, Dehradun: नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान मचे बवाल से जुड़े मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। कथित तौर पर अपहृत बताए गए नैनीताल के पाँच जिला पंचायत सदस्य मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए। जिला पंचायत सदस्य—डिकर सिंह मेवाड़ी, प्रमोद कोटलिया, तरुण शर्मा, दीप सिंह बिष्ट और विपिन जंतवाल—पेश हुए और खंडपीठ ने उनसे तीखे सवाल किए।

खंडपीठ के समक्ष जांच अधिकारी की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई, जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखी। खंडपीठ ने जांच रिपोर्ट पर कड़ी टिप्पणी करते हुए मामले की जांच एसआईटी से कराने की बात कही। कोर्ट के रुख को देखते हुए माना जा रहा है कि अदालत अब प्रकरण में कोई बड़ा आदेश दे सकती है।

यह मामला जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव में अव्यवस्थाओं, पाँच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण, एक मतपत्र में ओवरराइटिंग की शिकायत, पुनर्मतदान तथा निष्पक्ष चुनाव की मांग से जुड़ी स्वतः संज्ञान याचिका और एक जनहित याचिका से संबंधित है, जिन पर खंडपीठ एक साथ सुनवाई कर रही है। 28 नवंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने एसएसपी नैनीताल को जांच प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

दरअसल, 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दिन मतदान से पहले कुछ सदस्यों के कथित अपहरण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया था। वहीं, जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट और पुष्पा नेगी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि अध्यक्ष पद के चुनाव में एक मतपत्र पर क्रमांक में कथित तौर पर ओवरराइटिंग की गई, जिससे वह अमान्य घोषित कर दिया गया। उन्होंने अदालत से अध्यक्ष पद के लिए दोबारा मतदान कराने का अनुरोध किया था।

जिला पंचायत सदस्य निर्वाचन आयोग को बता चुके: ‘अपहरण नहीं हुआ’
जिला पंचायत सदस्य प्रमोद कोटलिया, डिकर सिंह मेवाड़ी, तरुण कुमार शर्मा, दीप सिंह बिष्ट और विपिन जंतवाल पूर्व में राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष अपने बयान दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि उनका न तो अपहरण हुआ और न ही किसी प्रकार का दबाव डाला गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे निर्दलीय सदस्य हैं और चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के अलावा नोटा का विकल्प नहीं होने के कारण उन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। किसी प्रकार की मारपीट, जबरन घसीटने या हथियारबंद बदमाशों की मौजूदगी की बात से भी उन्होंने निर्वाचन आयोग के समक्ष इनकार किया।

उक्त चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दीपा दर्मवाल विजयी रही थीं, जबकि कांग्रेस समर्थित पुष्पा नेगी को पराजय का सामना करना पड़ा। आपको यह भी बता दें कि मतदान से पहले भारी बवाल हुआ था और वायरल वीडियो में गोलीबारी जैसी स्थिति भी साफ दिखाई दे रही थी। वीडियो में एक कथित जिला पंचायत सदस्य को घसीटते हुए ले जाते भी देखा गया था। गौर करने वाली बात यह भी है कि हाईकोर्ट मामले की सुनवाई स्वतः संज्ञान याचिका के रूप में भी कर रही है। ऐसे में कच्ची कहानी या साक्ष्यों से परे की बयानबाजी भारी पड़ सकती है।

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