डीएम ने जब्त की अधीक्षण अभियंता की कार, टिहरी बांध विस्थापितों को दो बार आवंटित की गई भूमि
Rajkumar Dhiman, Dehradun: टिहरी बांध विस्थापितों को आवंटित जमीन के एक मामले में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जिस व्यक्ति को टिहरी बांध पुनर्वास खंड ऋषिकेश ने वर्ष 2007 में जमीन आवंटित की थी, उसकी बिक्री के बाद वहीं भूमि दोबारा आवंटित कर दी। जब इस जमीन को किसी अन्य को बेचा गया तो कब्जे … The post डीएम ने अधीक्षण अभियंता की कार जब्त की, बांध विस्थापित को 02 बार आवंटित कर दी जमीन appeared first on Round The Watch.

डीएम ने जब्त की अधीक्षण अभियंता की कार, टिहरी बांध विस्थापितों को दो बार आवंटित की गई भूमि
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राजकुमार धीमान, देहरादून: टिहरी बांध के विस्थापितों के भूमि आवंटन में गंभीर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जानकारी मिली है कि जिस व्यक्ति चंदरू को 2007 में टिहरी बाँध पुनर्वास खंड ऋषिकेश द्वारा भूमि आवंटित की गई थी, वही भूमि बाद में दूसरी बार किसी अन्य को आवंटित कर दी गई। यह प्रकरण तब उजागर हुआ जब किसी तीसरे पक्ष ने उस जमीन पर कब्जा लेने का प्रयास किया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने जांच के आदेश दिए और मामले की गंभीरता को देखते हुए अधीक्षण अभियंता की कार भी जब्त कर ली। अब इस फर्जीवाड़े की अगली जांच उपजिलाधिकारी अपूर्वा सिंह द्वारा की जा रही है।
भूमि आवंटन में गड़बड़ी का मामला
यह भूमि आवंटन का मामला तब सामने आया जब देहरादून के शास्त्रीनगर (तपोवन) निवासी पुलमा देवी ने डीएम की जनसुनवाई में अपनी परेशानी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2007 में 200 वर्गमीटर भूमि खरीदी थी, जो चंदरू को आवंटित की गई थी। अदालती दावे के अनुसार, चंदरू ने यह भूमि उसी साल पुलमा देवी को बेच दी। लेकिन बाद में चंदरू ने इस भूमि को फिर से 2019 में अवैध तरीके से अपने नाम पर आवंटित करा लिया और 2020 में किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया।
इस बीच, जब चंदरू द्वारा दूसरी बार आवंटित भूमि पर कब्जा करने का प्रयास किया गया, तो विवाद उत्पन्न हुआ और मामला जिला प्रशासन के पास पहुँच गया।
जिलाधिकारी की सक्रियता
जिलाधिकारी सविन बंसल ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि वाकई में टिहरी बांध विस्थापितों को दिए गए भूमि आवंटन में गड़बड़ी हुई है। इसके अलावा, यही भूमि पुलमा देवी और जतिन गोयल के बीच सिविल जज जूनियर डिविजन विकासनगर में न्यायालयिक मामले का विषय भी बनी है। जिलाधिकारी ने यह बात स्पष्ट की है कि जिला प्रशासन तब तक चुप नहीं बैठेगा जब तक पुलमा देवी को न्याय नहीं मिलता। जरूरत पड़ी तो एसआइटी (भूमि) के माध्यम से एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।
पुनर्वास अधिकारियों की जवाबदेही
जिलाधिकारी सविन बंसल ने पुनर्वास अधिकारियों पर भी कठोर टिप्पणी की, जब उन्हें पता चला कि चंदरू ने बिना किसी वैध कारण के दो बार भूमि आवंटन ले लिया। उन्होंने प्रश्न उठाया कि कैसे कोई व्यक्ति सरकारी सिस्टम को धोखे में डाल सकता है। यह पता चला कि पुनर्वास खंड ने 2019 में चंदरू से जुड़े भूमिधरी मामले को तहसील विकासनगर भेजा था।
यह घटनाक्रम न केवल सरकारी सिस्टम की निगरानी पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार से भ्रष्टाचार और मिलीभगत के चलते आम जनता का अधिकार छिनने का खतरा बना रहता है। जिलाधिकारी ने पुनर्वास अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए और उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि सभी विस्थापितों को न्याय प्रदान किया जाए।
अब देखने की बात यह होगी कि कैसे आगे की जांच की जाती है और क्या पुलमा देवी को जल्द ही न्याय मिल सकेगा या नहीं।
कम शब्दों में कहें तो, यह मामला टिहरी बांध विस्थापितों के प्रति सरकारी सिस्टम की जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न उठाता है।
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सादर,
टीम हकीकत क्या है, द्वारा राधिका वर्मा
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