उत्तराखंड: सेलाकुई एसी कंपनी पर छापा, करोड़ों की टैक्स धोखाधड़ी का पर्दाफाश

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड में तमाम फर्म और कंपनियां फर्जी खरीद के माध्यम से सरकार को इनपुट टैक्स क्रेडिट का चूना लगा रही हैं। सिर्फ बिल के आधार पर जो खरीद की जा रही है, उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ अनुचित ढंग से लिया जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में … The post बिग ब्रेकिंग: सेलाकुई में एसी कंपनी पर छापा, करोड़ों रुपये का गोलमाल पकड़ा appeared first on Round The Watch.

Aug 31, 2025 - 18:39
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उत्तराखंड: सेलाकुई एसी कंपनी पर छापा, करोड़ों की टैक्स धोखाधड़ी का पर्दाफाश
उत्तराखंड: सेलाकुई एसी कंपनी पर छापा, करोड़ों की टैक्स धोखाधड़ी का पर्दाफाश

बिग ब्रेकिंग: सेलाकुई में एसी कंपनी पर छापा, करोड़ों रुपये का गोलमाल पकड़ा

राजकुमार धिमान, देहरादून: उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई में एक एसी बनाने वाली कंपनी पर छापेमारी कर करोड़ों रुपये की कर चोरी का खुलासा हुआ है। राज्य सरकार के लिए यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब राज्य कर विभाग की विशेष जांच शाखा (एसआइबी) ने फर्जी खरीददारी के दस्तावेजों के आधार पर कर चोरी की जांच शुरू की। जांच के परिणामस्वरूप कंपनी ने मौके पर ही 1.85 करोड़ रुपये की राशि जमा कर दी है, लेकिन जांच अभी भी जारी है, और ऐसे में कर चोरियों का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

कम शब्दों में कहें तो, इस छापे ने अदालती फाइलों में दर्ज फर्जी ट्रांजेक्शन और गलत बयानी की परतों को खोल दिया है। अधिक जानकारियों के लिए यहाँ क्लिक करें.

खरीद-बिक्री का पूरा मामला

आयुक्त राज्य कर सोनिका के निर्देश पर अपर आयुक्त (मुख्यालय) अनिल सिंह की देखरेख में एसआइबी ने कंपनी के रिटर्न का विश्लेषण किया। जांच में कुछ गड़बड़ियों का पता चला, जिसके बाद संयुक्त आयुक्त (एसआइबी/प्रशासन) अजय कुमार के नेतृत्व में 30 अधिकारियों की एक टीम ने इस कंपनी पर छापा मारा। यह जानकारी सामने आई कि कंपनी ने फर्जी खरीद के लिए निरंतर ई-वे बिल जारी किए, हालाँकि वहां उपयुक्त वाहनों का आवागमन नहीं हुआ।

कागजों पर बिक्री, असली में धोखाधड़ी

कंपनी ने जो भी बिक्री दर्शाई है, वह केवल कागजों पर ही थी, जबकि वास्तविकता में कोई वस्तु क्रय या विक्रय नहीं हुई। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी का मामला प्रतीत होता है, जिसका मुख्य उद्देश्य था गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ उठाना। जब विवरण जांच के दौरान स्पष्ट हुआ, तो कंपनी के संचालकों ने अपनी गलतियों को स्वीकार कर लिया और किसी प्रकार की औपचारिक कार्रवाई से बचने के लिए तुरंत 1.85 करोड़ रुपये जमा कर दिए।

छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेजों का संकलन

छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने महत्वपूर्ण दस्तावेज और डेटा को अपने कब्जे में लिया हैं। इन दस्तावेजों का विश्लेषण कर कर चोरी के वास्तविक आंकड़ों का आकलन किया जाएगा। इस तरह की छापेमारी से न केवल वर्तमान मामले का पर्दाफाश हुआ है, बल्कि यह अन्य कंपनियों को भी सही रास्ते पर चलने की चेतावनी देती है। छापेमारी में उपायुक्त सुरेश कुमार, निखिलेश श्रीवास्तव, योगेश मिश्रा, धर्मेंद्र राज चौहान और विजय कुमार सहित 30 अधिकारी शामिल थे।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में कर चोरी के मामलों की बढ़ती संख्या ने एक बार फिर से शासन की चेतावनी को सामने लाया है। इस छापे ने यह साबित कर दिया है कि सरकार फर्जी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए तत्पर है। ऐसे में उद्योग और व्यवसाय के सभी सेक्टरों को पारदर्शिता, ईमानदारी और कानून का पालन करना अनिवार्य है।

इस तरह के मामलों में सही जानकारी से ही न्याय उपलब्ध होता है और इससे उद्योग जगत में ईमानदारी को बढ़ावा मिलता है। ऐसे मामलों पर नज़र रखना सभी के लिए आवश्यक है, ताकि वे भी इनसे सीख ले सकें।

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