उत्तराखंड में 08 हजार साल पहले पड़े थे मानव के कदम, अब तक की सबसे बड़ी खोज

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के ऊपरी हिमालय में मानव सभ्यता की मौजूदगी को लेकर वैज्ञानिक समझ अब पूरी तरह बदलने जा रही है। IIT रूड़की और IISER मोहाली के शोधकर्ताओं ने पहली बार प्रमाणित किया है कि इस दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में मनुष्य करीब 8100 वर्ष पहले ही सक्रिय हो चुका था। यह निष्कर्ष अब … The post उत्तराखंड में 08 हजार साल पहले पड़े थे मानव के कदम, अब तक की सबसे बड़ी खोज appeared first on Round The Watch.

Nov 17, 2025 - 00:39
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उत्तराखंड में 08 हजार साल पहले पड़े थे मानव के कदम, अब तक की सबसे बड़ी खोज

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के ऊपरी हिमालय में मानव सभ्यता की मौजूदगी को लेकर वैज्ञानिक समझ अब पूरी तरह बदलने जा रही है। IIT रूड़की और IISER मोहाली के शोधकर्ताओं ने पहली बार प्रमाणित किया है कि इस दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में मनुष्य करीब 8100 वर्ष पहले ही सक्रिय हो चुका था। यह निष्कर्ष अब तक की स्थापित अवधारणाओं को चुनौती देता है, क्योंकि नॉटिंघम विश्वविद्यालय के पूर्व शोध में मानव उपस्थिति 4600 वर्ष पुरानी बताई गई थी।

यह महत्वपूर्ण अध्ययन वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून में आयोजित नेशनल जियो रिसर्च स्कॉलर्स मीट में साझा किया गया। शोध टीम ने चमोली जिले के गोपेश्वर क्षेत्र में स्थित तोली (Tolī) नाम की मीठे पानी की झील की तलछट में गहराई तक जाकर हजारों वर्षों के पर्यावरणीय और जैविक संकेतों की परतें खोजीं। झील के किनारे 178 मीटर गहरी तलछट से लिए गए नमूनों को 05 विश्लेषणात्मक इकाइयों में विभाजित कर सूक्ष्म अध्ययन किया गया।

जलवायु बदलाव और मानव आगमन की कहानी
तलछट अध्ययन में पता चला कि 18,100 से 13,600 वर्ष पहले यह क्षेत्र अत्यधिक शुष्क था—यह समय ‘लेट ग्लेशियल मैक्सिमम’ का अंतिम चरण था। जैसे-जैसे ग्लेशियर पीछे हटने लगे और तापमान तथा नमी बढ़ी, क्षेत्र में पौधों और जीवों का विस्तार शुरू हुआ। इसी बदलती जलवायु के साथ मनुष्य के आगमन के संकेत भी उभरने लगे।

सेडा-DNA (Sedimentary Ancient DNA) परीक्षण में बड़ी मात्रा में यूकैरियोट्स—प्रारंभिक पौधों व सूक्ष्म जीवों—के साथ मानव उपस्थिति से जुड़े जैविक अंश भी मिले। इन्हीं अनुक्रमों ने यह सिद्ध किया कि झील क्षेत्र में लगभग 8100 वर्ष पहले मानव गतिविधि आरंभ हो चुकी थी। इसके बाद समय के साथ मानवीय हस्तक्षेप बढ़ता गया।
लगभग 3300 वर्ष पहले मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले।
…और करीब 2400 वर्ष पहले झील के तल में मिले पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) ने मनुष्य द्वारा लगाई गई आग के स्पष्ट प्रमाण दिए।

कैसे मिला मानव उपस्थिति का सबूत?
तलछट में अत्यंत सूक्ष्म DNA अंश—जैसे मानवीय त्वचा कोशिकाओं, मल या अन्य जैविक अवशेषों से निकले माइक्रोबियल DNA—फंसे रहते हैं। सेडा-DNA जैसी आधुनिक तकनीक इन नैनो-स्तर के अंशों की पहचान कर यह बताती है कि अतीत में किसी स्थान पर मनुष्य या उससे संबंधित जीव मौजूद थे।

हिमालय और विश्व में मानव उपस्थिति के अन्य संकेत
– कुछ अध्ययनों के अनुसार हिमालय के ऊंचे इलाकों में मानव उपस्थिति 5000 वर्ष पुरानी, जबकि जीनोमिक विश्लेषण इसे 8000–8400 वर्ष पुरानी बताता है।
– स्पीति घाटी जैसे अत्यंत ऊंचे क्षेत्रों में कुछ शोध मानव गतिविधि 25,000 से 15,000 वर्ष पहले तक संभव मानते हैं।
– भारत में आधुनिक मानव की आनुवंशिक उपस्थिति 65,000 वर्ष पहले की मानी जाती है, जबकि पुरातात्विक साक्ष्य इसे 1 से 2.47 लाख वर्ष पुराना बताते हैं।
– वैश्विक संदर्भ में मानव की सबसे शुरुआती उपस्थिति के संकेत 3 लाख वर्ष पुराने हैं—जैसे मोरक्को में मिले प्रमाण।

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