अराजकता की पराकाष्ठा: स्वतंत्रता सेनानी स्व. राम सिंह गड़िया का शिलापट तोड़ा गया

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर। जिले के स्वतंत्रता सेनानी स्व. राम सिंह गड़िया का शिलापट तोड़कर शौचालय में फेंका है। दो साल से यह शिलापट गांव में स्थापित होने की बाट जोह रहा है। पंचायत भवन, स्कूल आदि स्थानों पर इसे लगाया जाना था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी इन्हें नहीं लगाया गया। शिलापट […] The post अराजकता : स्वतंत्रता सेनानी का तोड़ा शिलापट, शौचालय में फेंका appeared first on Creative News Express | CNE News.

Jul 7, 2025 - 00:39
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अराजकता की पराकाष्ठा: स्वतंत्रता सेनानी स्व. राम सिंह गड़िया का शिलापट तोड़ा गया
अराजकता : स्वतंत्रता सेनानी का तोड़ा शिलापट, शौचालय में फेंका

अराजकता की पराकाष्ठा: स्वतंत्रता सेनानी स्व. राम सिंह गड़िया का शिलापट तोड़ा गया

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कम शब्दों में कहें तो, बागेश्वर जिले में स्वतंत्रता सेनानी स्व. राम सिंह गड़िया का शिलापट तोड़कर शौचालय में फेंक दिया गया है, जो प्रशासनिक लापरवाही और सामुदायिक उदासीनता का स्पष्ट उदाहरण है।

स्व. राम सिंह गड़िया का योगदान

स्व. राम सिंह गड़िया उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका संकल्प और बलिदान हमें प्रेरित करता है। उनके योगदान की याद में एक शिलापट की स्थापना की योजना बनाई गई थी, जो पिछले दो वर्षों से अनंत प्रतीक्षा में थी। यह शिलापट पंचायत भवन, स्कूल, और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थापित किया जाना चाहिए था, लेकिन सरकारी तंत्र की सुस्त गति ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

घटना का विवरण

हाल ही में, इस शिलापट को तोड़कर उसे शौचालय में फेंकने की घटना ने स्थानीय समुदाय को चौंका दिया है। यह न केवल एक शिलापट का विनाश है, बल्कि यह हमारे नायकों के प्रति हमारे समाज के सम्मान का प्रत्युत्तर भी है। स्थानीय निवासी इसे एक अराजकता के रूप में देख रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि हम अपने ऐतिहासिक नायकों की स्मृति को किस प्रकार से सम्मान देते हैं।

स्थानीय प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम पर स्थानीय जनों में क्रोध और नफरत का माहौल है। कुछ का मानना है कि यह सरकार के प्रति हमारे निरंतर बढ़ते असंतोष का नतीजा है, वहीं अन्य इसे प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण मानते हैं। स्थानीय पंचायत के नेता इस मामले को सुलझाने के लिए सख्त कदम उठाने का आश्वासन दे रहे हैं। इतना तो तय है कि इस घटना ने सभी को एकजुट होने का एक और कारण दिया है।

समाज और संस्कृति पर प्रभाव

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारी सामाजिक जिम्मेदारियाँ क्या हैं। यदि हम अपने नायकों को सम्मान नहीं देंगे, तो यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए गलत संदेश होगा। हमें अपने इतिहास और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए, और ऐसे कृत्यों का विरोध करना चाहिए जो हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को कमजोर करते हैं।

निष्कर्ष

स्व. राम सिंह गड़िया का शिलापट केवल उनकी वीरता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे सामूहिक इतिहास का एक अनिवार्य हिस्सा है। हमें इस प्रकार की अप्रत्याशित घटनाओं का विरोध करना चाहिए और अपने नायकों को उनके उचित सम्मान देने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इस मामले में सामूहिक प्रयास ही हमें शांति और सद्भावना की ओर ले जा सकते हैं।

इस स्थिति से सबक लेते हुए, हम सभी को प्रेरित करते हैं कि इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करें और सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाएं। अधिक अपडेट के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएं.

साभार, टीम हकीकत क्या है, नेहा शर्मा

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