संजियव चतुर्वेदी मामले में न्यायाधीशों का रिक्यूजल: क्या है इसका कारण?

Amit Bhatt, Dehradun: आईएफएस अधिकारी और मशहूर व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों में न्यायाधीशों के लगातार रिक्यूजल (स्वयं को सुनवाई से अलग करना) का सिलसिला जारी है। अब उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी ने भी उनकी अवमानना याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। यह देश के … The post आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वें जज ने भी खुद को सुनवाई से किया अलग appeared first on Round The Watch.

Sep 28, 2025 - 00:39
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संजियव चतुर्वेदी मामले में न्यायाधीशों का रिक्यूजल: क्या है इसका कारण?
संजियव चतुर्वेदी मामले में न्यायाधीशों का रिक्यूजल: क्या है इसका कारण?

आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वें न्यायाधीश ने भी खुद को सुनवाई से किया अलग

अमित भट्ट, देहरादून: आईएफएस अधिकारी और प्रमुख व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों में न्यायाधीशों के लगातार रिक्यूजल की प्रक्रिया जारी है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी ने हाल ही में उनकी अवमानना याचिका की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया। यह घटना न्यायालय के इतिहास में अद्वितीय है, क्योंकि इस मामले में अब तक 15 न्यायाधीशों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है।

20 सितंबर को जारी अपने आदेश में न्यायमूर्ति मैठाणी ने केवल यह निर्देश दिया कि मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिसमें वे सदस्य नहीं हों। इस आदेश में अलग होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, जो इस मामले को और भी असामान्य बनाता है।

संजियव चतुर्वेदी के मामले की पृष्ठभूमि

संजिव चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सदस्यों और रजिस्ट्री पर उनके स्थगन आदेश की जानबूझकर अवहेलना का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के तीसरे न्यायाधीश हैं, जिन्होंने चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग किया है। इससे पहले, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी ने भी चतुर्वेदी के मामले से अलग होने का निर्णय लिया था।

अदालतों में चल रहा है नये उदाहरणों का सिलसिला

वर्ष 2025 में संजीव चतुर्वेदी के मामले में यह चौथा न्यायिक रिक्यूजल देखने को मिला है। फरवरी 2025 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के न्यायाधीश हरविंदर ओबेरॉय और बी. आनंद ने, और अप्रैल 2025 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा कुशवाहा ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। सभी ने बिना किसी कारण के जिनसे उन्हें अलग होने का आदेश दिया गया था।

क्यों चर्चा में रहते हैं संजीव चतुर्वेदी?

संजिव चतुर्वेदी, उत्तराखंड कैडर के 2002 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं, जो भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान प्रभावशाली नेताओं और नौकरशाहों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे उन्हें कई बार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। उनके मामले न केवल सिस्टम में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करते हैं, बल्कि न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हैं।

न्यायपालिका के लिए एक गंभीर प्रश्न

न्यायाधीशों का लगातार एक ही अधिकारी से जुड़े मामलों से अलग होना, हमारी न्यायिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चिंतन का विषय बन गया है। विशेष रूप से, ज्यादातर मामलों में न्यायाधीशों ने अलग होने का कोई कारण नहीं बताया। यह पारदर्शिता और न्याय की उपलब्धता पर गहरा असर डालता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिलसिला दर्शाता है कि संजीव चतुर्वेदी के मामलों की संवेदनशीलता कितनी अधिक है। यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि इससे व्यापक स्तर पर नीतिगत परिवर्तन की आवश्यकता का भी संकेत मिलता है।

कम शब्दों में कहें तो, संजीव चतुर्वेदी के मामले में न्यायाधीशों का रिक्यूजल और उसकी वजहों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है, जिससे भविष्य में पारदर्शिता कायम रह सके।

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