आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वीं बार जज ने सुनवाई से हटने का फैसला लिया

Amit Bhatt, Dehradun: आईएफएस अधिकारी और मशहूर व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों में न्यायाधीशों के लगातार रिक्यूजल (स्वयं को सुनवाई से अलग करना) का सिलसिला जारी है। अब उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी ने भी उनकी अवमानना याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। यह देश के … The post आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वें जज ने भी खुद को सुनवाई से अलग किया appeared first on Round The Watch.

Sep 27, 2025 - 18:39
 112  3.1k
आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वीं बार जज ने सुनवाई से हटने का फैसला लिया
आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वीं बार जज ने सुनवाई से हटने का फैसला लिया

आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में 15वीं बार जज ने सुनवाई से हटने का फैसला लिया

Amit Bhatt, Dehradun: आईएफएस अधिकारी और चर्चित व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी से जुड़ी न्यायालयीन कार्यवाही में एक बार फिर न्यायाधीशों के हटने का सिलसिला जारी है। हाल ही में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी ने उनके खिलाफ चल रही अवमानना याचिका की सुनवाई से खुद को अलग करने का निर्णय लिया है। यह मामला अब तक किसी एक व्यक्ति से जुड़े मामलों में सबसे अधिक न्यायाधीशों के हटने का अनूठा उदाहरण बन गया है, क्योंकि अब तक 15 न्यायाधीश इस मामले से अलग हो चुके हैं।

ifs sanjiv chaturvedi

20 सितंबर को न्यायमूर्ति मैठाणी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इस मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ के समक्ष की जाए, जिसमें वे शामिल नहीं होंगे। लेकिन आदेश में हटने का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया गया, जो इस घटनाक्रम को और भी रहस्यमय बनाता है।

अब तक किन-किन जजों ने हटने का फैसला किया?

इस मामले में अब तक निम्नलिखित न्यायाधीशों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है:

  • सुप्रीम कोर्ट: न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (2013), न्यायमूर्ति यूयू ललित (2016)
  • उच्च न्यायालय: न्यायमूर्ति मनोज तिवारी (2024), न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल (2023), न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी (2025)
  • कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण): 8 न्यायाधीश, जिनमें तत्कालीन अध्यक्ष एल. नरसिम्हन रेड्डी भी शामिल हैं
  • निचली अदालतें: हिमाचल और उत्तराखंड की अदालतों में दो न्यायाधीश

इसी वर्ष फरवरी में, कैट की डिवीजन बेंच (हरविंदर ओबेरॉय और बी. आनंद) और अप्रैल में देहरादून की एसीजेएम नेहा कुशवाहा ने भी चतुर्वेदी के मामलों से खुद को अलग किया था।

क्यों चर्चा में रहते हैं संजीव चतुर्वेदी?

संजीव चतुर्वेदी, जो 2002 बैच के उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी हैं, उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने हरियाणा कैडर में रहते हुए कई प्रभावशाली नेताओं और नौकरशाहों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके कारण उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

न्यायपालिका के लिए सवाल

जिन्हें सुनवाई से हटने का यह निर्णय लेने पर मजबूर किया गया है, वह सिर्फ संजीव चतुर्वेदी के मामलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के न्यायिक व्यवस्थाओं के लिए एक गंभीर प्रश्न बन गया है। अधिकांश मामलों में न्यायाधीशों ने अपने हटने का कारण स्पष्ट नहीं किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम न केवल न्याय की उपलब्धता पर प्रश्न उठाता है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि संजीव चतुर्वेदी के मामलों की संवेदनशीलता कितनी अधिक है। यह घटनाक्रम न्यायपालिका की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।

कम शब्दों में कहें तो, इस मामले में लगातार न्यायाधीशों का हटना न केवल चतुर्वेदी की स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह न्याय प्रणाली पर भी एक गहरा संकट लाता है। अगर यह सिलसिला इसी तरह चलता रहा, तो यह निश्चित रूप से न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है।

इसके अलावा, इस महत्वपूर्ण मामले की स्थिति पर और अपडेट्स के लिए हमारे वेबसाइट पर जाएं: Haqiqat Kya Hai.

सादर, Team Haqiqat Kya Hai, सुमित्रा कर्णिक

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow