IIT रुड़की का अद्वितीय योगदान: सीबोर्गियम-257 की खोज में नई ऊँचाइयाँ

रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने परमाणु भौतिकी की दुनिया में इतिहास रच दिया The post IIT रुड़की की वैश्विक उपलब्धि: नए अतिभारी तत्व सीबोर्गियम-257 की खोज में अहम योगदान first appeared on radhaswaminews.

Sep 28, 2025 - 00:39
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IIT रुड़की का अद्वितीय योगदान: सीबोर्गियम-257 की खोज में नई ऊँचाइयाँ
IIT रुड़की का अद्वितीय योगदान: सीबोर्गियम-257 की खोज में नई ऊँचाइयाँ

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कम शब्दों में कहें तो, IIT रुड़की ने परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने हाल ही में परमाणु भौतिकी की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। जर्मनी के डार्मस्टाट में स्थित जीएसआई हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर फॉर हैवी आयन रिसर्च में हुए एक अभूतपूर्व प्रयोग में शोधकर्ताओं ने नए अतिभारी समस्थानिक सीबोर्गियम-257 (Sg-257) की खोज की है। इस अन्वेषण में IIT रुड़की के भौतिकी विभाग के प्रमुख प्रो. एम. मैती ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इसे विश्व प्रसिद्ध जर्नल फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित किया जाएगा।

सीबोर्गियम-257 और इसकी विशेषताएँ

अत्याधुनिक त्वरक और अति-संवेदनशील संसूचन तकनीकों की सहायता से वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ अतिभारी तत्व का सफल संश्लेषण किया। यह खोज “स्थिरता के द्वीप” की खोज में महत्वपूर्ण साबित होगी, जहां अतिभारी तत्व लंबे समय तक स्थिर रह सकते हैं। इससे न केवल परमाणु संरचना की समझ में बढ़ोतरी होगी बल्कि भविष्य में तकनीकी और औद्योगिक नवाचारों के नए दरवाजे भी खुलेंगे। आईआईटी रुड़की का अद्वितीय प्रयोग

शोध का महत्व और भविष्य

प्रो. एम. मैती ने इस खोज को एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा, “Sg-257 जैसे तत्वों की अर्धायु भले ही मिलीसेकंड में हो, इनसे हमें ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने में सहायता मिलती है।” उनका यह बयान दर्शाता है कि भले ही इन तत्वों की स्थिरता क्षणिक हो, लेकिन ज्ञान की जो नींव यह वैज्ञानिक अनुसंधान रखता है, वह दीर्घकालिक होती है।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को भारत के लिए गर्व का क्षण मानते हुए कहा, “यह खोज वैश्विक स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को दर्शाती है। IIT रुड़की का यह योगदान निश्चित रूप से युवा पीढ़ी को विज्ञान और नवाचार के प्रति प्रेरित करेगा।”

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और योगदान

यह ऐतिहासिक शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी, जापान, फिनलैंड और अन्य देशों के शीर्ष वैज्ञानिकों की टीम के सहयोग से किया गया। यह न केवल परमाणु भौतिकी की सीमाओं को विस्तारित करता है, बल्कि तकनीकी प्रगति और मानव भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक सशक्त कदम है।

यह उपलब्धि वैश्विक विज्ञान समुदाय में भी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है और आगे आने वाले समय में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान और भी महत्वपूर्ण होने वाला है।

भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इस तरह की उपलब्धियाँ न केवल राष्ट्रीय गर्व का विषय हैं, बल्कि ये वैश्विक विज्ञान के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

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सादर,

टीम हकीकत क्या है, सीमा शर्मा

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