विधानसभा अध्यक्ष ने खुद स्वतंत्रता दिवस समारोह से किया इन्कार, फिर कैसे टूट गया प्रोटोकॉल?
Amit Bhatt, Dehradun: पिछले कुछ समय से प्रोटोकॉल पॉलिटिक्स खूब हिलोरे मारने लगी है। खुद को जनता का सेवक मानने वाले माननीय अपने प्रोटोकॉल को लेकर खासे गंभीर नजर आ रहे हैं। भले ही उनके बनाए नियम-कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा दी जाएं, लेकिन उनके प्रोटोकॉल पर जरा सी भी आंच नहीं आनी चाहिए। अब … The post विधानसभा अध्यक्ष ने खुद स्वतंत्रता दिवस समारोह से किया इन्कार, फिर कैसे टूट गया प्रोटोकॉल? appeared first on Round The Watch.

विधानसभा अध्यक्ष ने खुद स्वतंत्रता दिवस समारोह से किया इन्कार, फिर कैसे टूट गया प्रोटोकॉल?
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अमित भट्ट, देहरादून: पिछले कुछ समय से प्रोटोकॉल पॉलिटिक्स खूब हिलोरे मारने लगी है। खुद को जनता का सेवक मानने वाले माननीय अपने प्रोटोकॉल को लेकर खासे गंभीर नजर आ रहे हैं। भले ही उनके बनाए नियम-कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा दी जाएं, लेकिन उनके प्रोटोकॉल पर जरा सी भी आंच नहीं आनी चाहिए। अब उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने से अस्वीकार कर दिया है। यह सवाल उठता है कि फिर प्रोटोकॉल कैसे टूटा?
स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन
राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित किए गए राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भाग नहीं लिया। उनका कहना है कि उनकी गरिमा के अनुरूप बैठने की व्यवस्था नहीं की गई थी। इस पर विधानसभा की तरफ से मुख्य सचिव को एक शिकायत भरी चिट्ठी भेजी गई। विवाद इस बात पर था कि क्या वास्तव में प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ या ऐसा सिर्फ एक राजनीतिक बयान था।
जांच के निष्कर्ष
जब देहरादून जिला प्रशासन ने इस मुद्दे को संज्ञान में लिया, तो तीन क्लास वन अधिकारियों की एक जांच कमेटी गठित की गई। इस कमेटी ने पाया कि प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा में समारोह आयोजित होने के कारण खुद विधानसभा अध्यक्ष ने परेड ग्राउंड में भाग लेने का निर्णय लिया था, और नतीजतन, कोई प्रोटोकॉल टूटने का मामला नहीं था।
प्रमुख बातें
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि पिछले वर्षों के क्रियान्वयन के अनुसार, समारोह के लिए आमंत्रण पत्र जारी करने के बाद संबंधित गणमान्य व्यक्तियों से संपर्क किया गया। यह प्रक्रिया तब से चली आ रही है और विधानसभा अध्यक्ष को पहले ही सूचित किया गया था कि वे विधानसभा में स्वतंत्रता दिवस समारोह में उपस्थित रहेंगी।
जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी के साथ सभी आवश्यक कदम उठाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि विधानसभा अध्यक्ष की गरिमा का ख्याल रखा जाएगा। इसके बावजूद, उनका इस समारोह से दूर रहना किसी न किसी विवाद का कारण बन गया है।
निष्कर्ष
इस घटना ने एक बार फिर प्रोटोकॉल पॉलिटिक्स को प्रकाश में ला दिया है। हालांकि प्रशासन ने स्पष्टता प्रदान कर दी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा अध्यक्ष अपने कार्यालय से क्या प्रतिक्रिया देती हैं। इस विवाद का अंत कब होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। शेष प्रक्रिया में अपरीक्षित बातें सरकार और जनता पर एक प्रश्नचिह्न छोड़ जाती हैं।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि राजनीतिक कार्यों में पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है और किस प्रकार से प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए। अपने दायरों में रहकर ही माननीयों को जनता का विश्वास जीतना होगा।
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