उत्तराखंड: नैनीताल जिला पंचायत सदस्य अपहरण मामला, होईकोर्ट की SSP को फटकार, पूछा कहां थी तुम्हारी फोर्स?
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उत्तराखंड: नैनीताल जिला पंचायत सदस्य अपहरण मामला, होईकोर्ट की SSP को फटकार, पूछा कहां थी तुम्हारी फोर्स?
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नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए हंगामे का मामला अब हाईकोर्ट पहुँच गया है। बृहस्पतिवार को भारी बवाल और आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुक्रवार तड़के 22 वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की मौजूदगी में कराई गई थी। वोटों के परिणाम डबल लॉक लिफाफे में सुरक्षित रखे गए हैं। इस प्रकरण को लेकर जिला पंचायत के सदस्यों ने कई सवाल उठाए हैं, जिससे प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर संदेह पैदा हो रहा है।
किस्सा क्या है?
इस मामले में 18 अगस्त को सुनवाई प्रस्तावित थी, लेकिन अब इसे 19 अगस्त तक टाल दिया गया है। इसी बीच चुनाव से लापता हुए पांचों सदस्य कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने 164 में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराते हुए कहा कि वे अपनी मर्जी से घूमने गए थे। हालांकि, यह जवाब समाज में कई सवाल खड़े करता है।
हाईकोर्ट की सख्ती
इधर, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के जूनियर वकील कामत ने अलग याचिका दाखिल कर रिपोलिंग की मांग की है, जिस पर अभी सुनवाई नहीं हुई है। हाईकोर्ट ने डीएम से काउंटिंग प्रक्रिया और कार्यवाही संबंधी रिपोर्ट शपथपत्र के रूप में तलब की है। इस दरमियान, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने SSP नैनीताल को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि पुलिस बल कहां था और शहर में हिस्ट्रीशीटर क्या कर रहे थे। यह सवाल न केवल उच्च न्यायालय की मान्यता को दर्शाता है, बल्कि स्थानीय प्रशासन पर भी एक बड़ी चिंता का संकेत देता है।
क्या हो रहा है राजनीतिक माहौल में?
इस घटनाक्रम से प्रदेश की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है। लगातार बढ़ते तनाव ने स्थानीय नेताओं को अपने अधिकारों का पुनर्मूल्यांकन करने पर मजबूर कर दिया है। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटना के बाद प्रशासन सुरक्षा प्रबंध को किस प्रकार सुधारता है। पिछले कुछ समय से इस तरह की घटनाएं एक बार फिर से प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गरमा रही हैं।
आगे की जाँच
अगले कुछ दिनों में होने वाली सुनवाई से यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्या वास्तव में इस मामले में कोई गहरी साजिश है या यह सिर्फ एक सामन्य राजनीतिक स्वार्थ का खेल है। राजनीतिक विश्लेषक और आम जनता दोनों ही इस बात को लेकर सजग हैं।
नैनीताल में जिला पंचायत सदस्यों की स्थिति इस समय संदेह के घेरे में है। ऐसे में, क्या यह मामला सिर्फ एक चुनावी विवाद है या कुछ और? स्थानीय नेताओं को इस पर अपनी राय स्पष्ट करनी होगी।
इसके अलावा, भविष्य के लिए यह जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन अपनी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करे और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। जिसकी मदद से ना केवल पुलिस बल के प्रति विश्वास बढ़ेगा बल्कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि उत्तराखंड की राजनीति में नैनीताल का जिला पंचायत सदस्य अपहरण मामला एक बड़ी चर्चा का विषय बन चुका है। जनता और प्रशासन दोनों को इस पर अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
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