वीडियो: 06 किलोमीटर की ऊंचाई से गोली की तरह निकली तबाही, खीर गंगा के साथ उफान पर आए 05 गदेरे
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तरकाशी के धराली गांव को तबाह करने वाली 05 अगस्त 2025 की जलप्रलय कितनी भीषण थी, इसका विश्लेषण भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने किया है। उन्होंने तबाही का जरिया बनी खीर गंगा/गाड़ के उद्गम स्थल श्रीकंठ पर्वत के सेटेलाइट चित्रों के साथ ही पर्वत के बेस से लौटी एसडीआरएफ और निम की … The post वीडियो: 06 किलोमीटर की ऊंचाई से गोली की तरह निकली तबाही, खीर गंगा के साथ उफान पर आए 05 गदेरे appeared first on Round The Watch.
वीडियो: 06 किलोमीटर की ऊंचाई से गोली की तरह निकली तबाही, खीर गंगा के साथ उफान पर आए 05 गदेरे
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तरकाशी के धराली गांव को तबाह करने वाली 05 अगस्त 2025 की जलप्रलय कितनी भीषण थी, इसका विश्लेषण भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने किया है। उन्होंने तबाही का जरिया बनी खीर गंगा/गाड़ के उद्गम स्थल श्रीकंठ पर्वत के सेटेलाइट चित्रों के साथ ही पर्वत के बेस से लौटी एसडीआरएफ और निम की टीम के ड्रोन विजुअल्स का भी अध्ययन किया। जिसके माध्यम से उन्होंने न सिर्फ श्रीकंठ पर्वत और उससे जुड़े गाड़/गदेरों का अध्ययन किया, बल्कि यह भी बताया कि जलप्रलय कितनी विकराल थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह जलप्रलय केवल प्राकृतिक आपदाओं का परिणाम नहीं था, बल्कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों का भी प्रभाव है। खीर गंगा, जो स्थानीय जीवन का अभिन्न हिस्सा है, इस आपदा के दौरान अपने सीमाओं को तोड़ते हुए, गांव को मानो नीचें धकेलती गई।
कैसे आई तबाही
उच्चतम प्वाइंट, जो श्रीकंठ पर्वत है, से धराली गांव तक का लगभग 5485 मीटर का अंतर स्थानीय जलवायु के अस्थिरता के कारण अत्यधिक साफ़ दिखाई देता है। जलविज्ञान की समझ से पता चलता है कि जब ऊपरी क्षेत्र पर भारी मात्रा में बर्फ़ और बारिश हुई, तब पानी का निकास होने के कारण खीर गंगा और अन्य गदेरों ने विनाशकारी शक्ति के साथ गांव की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया।
डॉक्टर बिष्ट ने बताया कि जलप्रलय में केवल खीर गंगा ही नहीं, बल्कि अन्य पांच गदेरों - लिमचा गाड़, तिलगाड़, हर्त्या गाड़, बेला गाड़ और लोध गाड़ ने भी भयंकर रूप से तबाही मचाई। इन सबका मुख्य कारण था घटना के समय के उच्च वर्षा स्तर। उन्होंने इस आपदा का विश्लेषण करते हुए कहा कि यह मानवीय गतिविधियों का नतीजा है जो इस क्षेत्र के लिए खतरा बन गया है।
हासिल परिणाम और भविष्य की चुनौतियाँ
इस जलप्रलय ने न केवल धराली गांव को प्रभावित किया, बल्कि इससे इससे जुड़े आबादी और प्राकृतिक संसाधनों पर भी बड़ा असर पड़ा। जलविज्ञानी इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि इससे जुड़ा प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ गया है, जिससे भूस्खलन और अन्य प्रकृति से संबंधित घटनाओं की संभावनाएँ बढ़ गई हैं।
भूविज्ञान के इस संकट का कारण समझने के लिए विभिन्न अध्ययन और डेटा संग्रहण बेहद जरूरी है। प्रो. बिष्ट ने सलाह दी है कि इसे समझने के लिए और ज्यादा इन्वेस्टमेंट और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है। यह स्थानीय समुदाय के लिए एक चेतावनी के रूप में काम कर सकता है, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के तहत अपनी स्थितियों को सुधार सकें।
महानगरों की तरह धराली गांव में भी विकसित हो रहे बुनियादी संरचना में कमियों को दूर करना समय की मांग है। अगर हम भविष्य में इसी तरह की आपदाओं से सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
यह मामला सच में एक गंभीर विषय है और इसके प्रभाव गहराई से समझने की आवश्यकता है ताकि इस तरह के भविष्य के खतरे से निपटा जा सके।
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