उत्तराखंड जिला पंचायत व ब्लॉक प्रमुख चुनाव: भाजपा का दबदबा, कांग्रेस ने लगाए धनबल और दबाव के आरोप, दीपक के साथ धोखा!

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Aug 14, 2025 - 18:39
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उत्तराखंड जिला पंचायत व ब्लॉक प्रमुख चुनाव: भाजपा का दबदबा, कांग्रेस ने लगाए धनबल और दबाव के आरोप, दीपक के साथ धोखा!
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देहरादून। उत्तराखंड में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों के नतीजे घोषित हो गए हैं। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रमुखता से जीत दर्ज की है, जिसमें कई पदों पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए थे। भाजपा का दावा है कि उसने प्रधान पद से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक करीब 85 प्रतिशत पदों पर अपना कब्जा जमाया है।

कांग्रेस के आरोप: धनबल और दबाव की राजनीति

हालांकि, कांग्रेस ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी नेता कांग्रेस ने भाजपा द्वारा चुनावों में धनबल, प्रशासनिक दबाव और डराने-धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने इस स्थिति को "चुनाव जीत नहीं, चुनाव चोरी" करार दिया है, जो कि लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। कांग्रेस का कहना है कि सत्ता में रहने वाली पार्टी ने अपने विरोधियों को दबाने के लिए हर संभव प्रयास किया।

देहरादून में दिग्गजों की जंग

देहरादून जिले में कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने अपने बेटे को उपाध्यक्ष और सुखविंदर कौर को अध्यक्ष पद पर जीत दिलाई है। इस चुनाव में भाजपा नेता मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान को हार का सामना करना पड़ा। ये परिणाम यह दर्शाते हैं कि चुनावी राजनीति में परिवारवाद और स्थानीय समीकरणों का कितना महत्त्व है।

उत्तरकाशी में 'धोखे' की राजनीति

उत्तरकाशी जिला पंचायत में भाजपा ने दीपक बिजल्वाण को पार्टी में शामिल कर उपाध्यक्ष पद का वादा किया था, लेकिन मतदान में भाजपा सदस्यों ने अपनी ही अधिकृत प्रत्याशी दीपेंद्र कोहली को छोड़ अंशिका जगूड़ी के पक्ष में मतदान कर उन्हें विजयी बना दिया। इस स्थिति ने पार्टी के अंदर धोखे की भावना को बढ़ावा दिया है। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा उन सदस्यों पर कार्रवाई करेगी जो अपनी ही पार्टी के खिलाफ चले गए?

तनाव और हिंसा की घटनाएं

इन चुनावों के दौरान नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव उच्च न्यायालय तक पहुंचा। बेतालघाट क्षेत्र में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान गोलीबारी की घटना में एक युवक घायल हुआ। उधम सिंह नगर के बाजपुर में विजयी पांच सदस्यों को देर रात तक प्रमाण पत्र नहीं मिले, जो कि कोर्ट के निर्देश पर बाद में जारी किए गए। इस आंदोलन ने चुनावी माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया।

सत्ता का दुरुपयोग?

चुनाव के दौरान पुलिस का दबाव, विपक्षी सदस्यों को डराने-धमकाने की घटनाएं, और प्रमाण पत्र रोके जाने जैसी घटनाओं ने सियासी गरमी को बढ़ा दिया। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने अपने सत्तापक्ष का दुरुपयोग किया है। एक बात तो साफ है कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, चुनावों में धनबल और दबाव की प्रथा बदस्तूर जारी है।

इस बार उत्तराखंड में चुनावी माहौल ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि राजनीति में प्रभावशाली लोगों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। भाजपा की जीत स्पष्ट करती है कि उसने अपने संगठन और स्थानीय मुद्दों पर एक ठोस रणनीति अपनाई है। लेकिन कांग्रेस के आरोपों के बीच यह देखना होगा कि आने वाले समय में क्या बदलाव आता है।

अंत में, यह चुनावी परिणाम न केवल उत्तराखंड की राजनीति पर असर डालेंगे, बल्कि भारतीय राजनीति के एक बड़े हिस्से को भी प्रभावित करेंगे। आगे देखते हैं कि ये राजनीतिक उठापटक किस दिशा में जाती है।

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