यमुनोत्री धाम में मंडराया नया खतरा, स्यानचट्टी झील में डूबा मुख्य पड़ाव
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तरकाशी में धराली की जलप्रलय और हर्षिल में भागीरथी का प्रवाह अवरुद्ध होने से बनी बनी कृत्रिम झील के बाद अब यमुनोत्री धाम में नया खतरा मंडरा रहा है। यहां यमुना नदी का प्रवाह अवरुद्ध हो जाने से बनी झील में धाम का मुख्य पड़ाव स्यानचट्टी डूब गया है। इसके साथ ही … The post वीडियो: धराली-हर्षिल के बाद अब यमुनोत्री धाम में मंडराया खतरा, मुख्य पड़ाव स्यानचट्टी झील में डूबा appeared first on Round The Watch.
यमुनोत्री धाम में मंडराया नया खतरा, स्यानचट्टी झील में डूबा मुख्य पड़ाव
राजकुमार धिमान, देहरादून: उत्तरकाशी में धराली और हर्षिल के बाद अब यमुनोत्री धाम में भीषण जल संकट का खतरा मंडरा रहा है। यमुना नदी के प्रवाह में बाधा आने के कारण यहां एक कृत्रिम झील का निर्माण हो गया है, जिससे धाम का मुख्य पड़ाव स्यानचट्टी जलमग्न हो गया है। इसके साथ ही गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल, पुलिस चौकी, इंटर कॉलेज जैसे कई महत्वपूर्ण भवन भी जलमग्न हो गए हैं।
यमुनोत्री धाम का प्रमुख क्षेत्र, स्यानचट्टी, अब गंभीर खतरे में है। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यहां के सभी होटल और भवनों को खाली कराने का फैसला किया है। इस निर्णय ने स्थानीय निवासियों में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। यमुना नदी की धारा के अवरुद्ध होने का कारण कुपड़ा गाड़ से आया भारी मलबा बताया जा रहा है।
अतीत की यादें
गत वर्ष भी यमुनोत्री क्षेत्र में ऐसी ही घटना सामने आई थी जब भारी बारिश के कारण एक कृत्रिम झील बन गई थी, जिससे इलाके में भयंकर तबाही हुई थी। उस समय प्रशासन ने चैनलाइजेशन के माध्यम से झील को पंक्चर कर पानी की निकासी की थी। अब एक बार फिर ऐसा ही संकट उत्पन्न होते दिखाई दे रहा है। ऐसे में लोगों की सुरक्षा और जीवन की रक्षा के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।
स्थानीय संपर्क का नुकसान
जैसे धराली आपदा के बाद गंगोत्री धाम का संपर्क पूरी तरह कट गया था, उसी प्रकार यमुनोत्री राजमार्ग को जोड़ने वाला एकमात्र पुल भी जलमग्न हो जाने से धाम का संपर्क तहसील और जिला मुख्यालय से कट गया है। यह स्थिति आपातकालीन सेवाओं और स्थानीय आवागमन में रुकावट उत्पन्न कर रही है, जिससे स्थानीय निवासियों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
भविष्य की चुनौतियाँ
इस प्रकार के आपदाओं का ठोस समाधान भविष्य में अवश्य निकालना होगा। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे नदियों और धाराओं का नियमित निरीक्षण करें और समय-समय पर उचित कदम उठाएं, ताकि इस प्रकार की विकट परिस्थितियों से बचा जा सके। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बदलते मौसम के पैटर्न पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
यमुनोत्री क्षेत्र में जल संकट केवल स्थानीय निवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को एकजुट होकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इस ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य से संपन्न क्षेत्र की पहचान को बनाए रखने के लिए उचित संरक्षण और सुरक्षा की दिशा में ठोस प्रयास आवश्यक हैं।
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