बुजुर्गों को कानूनी हक दिलाने की पहल: कोर्ट के माध्यम से मिलेगा सुरक्षा और सम्मान
पराग अग्रवाल जसपुर (महानाद) : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उधम सिंह नगर के सचिव योगेंद्र कुमार सागर के निर्देशन में जसपुर के स्थानीय प्राविधिक कार्यकर्ताओं ने पृथ्वीराज चौहान चौक, अफजलगढ़ रोड, जसपुर में एक शिविर का आयोजन कर लोगों को विश्व नागरिक दिवस के बारे में जानकारी दी। पीएलबी डॉक्टर बीएस गौतम ने बताया कि […]

बुजुर्गों को कानूनी हक दिलाने की पहल: कोर्ट के माध्यम से मिलेगा सुरक्षा और सम्मान
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जसपुर (महानाद) : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उधम सिंह नगर के सचिव योगेंद्र कुमार सागर के मार्गदर्शन में, जसपुर के स्थानीय तकनीकी कार्यकर्ताओं ने विश्व नागरिक दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का यह उद्देश्य था कि लोग बुजुर्गों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूक हों। पीएलबी डॉक्टर बीएस गौतम ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की, जिससे बुजुर्गों को उनके कानूनी हक का महत्व समझ में आया।
विश्व नागरिक दिवस का महत्व
हर साल 21 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस, 1991 में स्थापित हुआ था। इस दिन का प्रमुख उद्देश्य बुजुर्गों के योगदान का सम्मान करना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। डॉक्टर बीएस गौतम ने जानकारी दी कि यह दिवस न केवल बुजुर्गों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि परिवारिक एकता और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देने का भी कार्य करता है।
बुजुर्गों के अधिकार और कानूनी प्रक्रिया
डॉ. गौतम ने आगे जानकारी दी कि कई बार परिवार में तनाव के कारण बुजुर्गों को मानसिक और भावनात्मक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि किसी बुजुर्ग को उनके परिवार के सदस्य जैसे बहू या बेटे द्वारा परेशान किया जाता है, तो वे कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यदि किसी बुजुर्ग ने अपनी संपत्ति अपने पुत्र के नाम कर दी है और वह उन्हें उचित देखभाल नहीं दे रहा या उन्हें घर से निकाल रहा है, तो वे संपत्ति को कानूनी तरीके से वापस ले सकते हैं। कानून उन्हें यह अधिकार देता है कि वे अपनी संपत्ति का वारिस भी अपने मन से तय कर सकें।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग
इस शिविर में कई प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिनमें पीएलबी डॉक्टर बीएस गौतम, मुनेश देवी, लता देवी, पैनल अधिवक्ता संदीप कुमार शर्मा, अजहरुद्दीन और प्रदीप कुमार शामिल थे। कार्यक्रम ने कानूनी ज्ञान के अलावा बुजुर्गों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया। यह वर्तमान समाज में बुजुर्गों के प्रति एक सकारात्मक पहल है, जो उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सचेत करती है।
समापन विचार
इस शिविर ने बुजुर्गों को केवल कानूनी ज्ञान नहीं दिया, बल्कि उन्हें उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक किया। समाज के हर वर्ग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे बुजुर्गों को सुरक्षा और सम्मान प्रदान करें। ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि हम बुजुर्गों के प्रति अपने दायित्वों को समझें और उन्हें एक सुरक्षित और सम्मानित जीवन जीने में सहायता करें। हम सभी को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
कम शब्दों में कहें तो, यह शिविर बुजुर्गों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी रास्ते का उपयोग करने की प्रेरणा मिलती है।
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टीम हक़ीकत क्या है, राधिका सुहागी
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