भूकंप की तबाही से सदमे में थे लोग तभी सेना ने अपने ही लोगों पर बरसा दिए ताबड़तोड़ बम, मच गई तबाही
म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप से बचे लोग सेना की बमबारी से दहशत में हैं। म्यांमार के सदी से सबसे भयानक भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा 1700 से पार हो गया और 3 हजार से ज्यादा घायल हैं। गृहयुद्ध की मार झेल रहे म्यांमार के 5.4 करोड़ लोगों में से 2 करोड़ के खाने का संकट खड़ा हो गया है। उधर, भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में हवाई हमलों से चिंता बढ़ गई है। सेना ने स्पष्ट कर दिया कि राहत की तत्काल आवश्यकता के बावजूद वह बमबारी अभियान को नहीं रोकेगी। रविवार दोपहर को पाकोक्कु कस्बे में हवाई हमले में 2 महिलाओं की मौत हुई, 7 अन्य घायल हो गए। इसे भी पढ़ें: Myanmar Earthquake News: 2,000 के करीब पहुंची मृतकों की संख्या, 3,900 से अधिक घायल, जीवित बचे लोगों की तलाश जारीटोंगा में 7.1 तीव्रता का भूकंप, सुनामी का अलर्टरविवार को प्रशांत महासागर में स्थित टोंगा में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। जिसके बाद 0.3 से 1 मीटर ऊंची सुनामी की चेतावनी जारी की गई। एक लाख की आबादी वाला टोंगा 171 द्वीपों का देश है। टोंगा भूकंपीय रिंग ऑफ फायर में स्थित है, जहां भूकंप आम है। इसे भी पढ़ें: Myanmar Earthquake: अमेरिकी भूविज्ञानी ने किया दावा, 300 से अधिक परमाणु बमों के बराबर थी म्यांमार में आए भूकंप की ऊर्जारमजान में जुमे की नमाज के दौरान म्यांमा में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के कारण 700 से अधिक नमाजियों की मौत हो गई। म्यांमा के एक मुस्लिम संगठन ने यह दावा किया है। ‘स्प्रिंग रेवोल्यूशन म्यांमा मुस्लिम नेटवर्क’ की संचालन समिति के सदस्य तुन की ने सोमवार को बताया कि देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के निकट आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के कारण लगभग 60 मस्जिदें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि मस्जिदों में मारे गए लोगों की यह संख्या भूकंप में अब तक मारे गए 1,700 से अधिक लोगों की आधिकारिक संख्या में शामिल है या नहीं। ‘द इरावदी’ ऑनलाइन समाचार साइट पर ‘पोस्ट’ किए गए वीडियो में भूकंप के दौरान कई मस्जिदें गिरती हुई दिखाई दे रही हैं और लोग इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं। तुन की ने कहा कि क्षतिग्रस्त हुई अधिकतर मस्जिदों की इमारतें पुरानी थीं।

भूकंप की तबाही से सदमे में थे लोग तभी सेना ने अपने ही लोगों पर बरसा दिए ताबड़तोड़ बम, मच गई तबाही
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: सुषमा रानी, टीम नेटानागरी
हाल ही में आए एक भूकंप ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचाई है। लोग सदमे में हैं और मदद की गुहार लगा रहे हैं। इसी बीच, सेना द्वारा एक अत्यधिक विवादास्पद कार्रवाई के तहत अपने ही नागरिकों पर बम गिराए जाने का मामला सामने आया है। क्या यह एक गलती थी, या यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था? यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
भूकंप की घड़ी: तबाही का मंजर
भूकंप का झटका आते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल पड़े। हड़कंप मच गया, और सड़कों पर अफरा-तफरी का माहौल था। लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए भाग रहे थे। इस समय, जब नागरिक सबसे अधिक संवेदनशील थे, सेना ने अपनी कार्रवाई शुरू की, जिसने सभी को हैरान कर दिया।
सेना की कार्रवाई पर विवाद
भूकंप के बाद राहत कार्यों के दौरान, सेना ने एक ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें कई हताहत होने की रिपोर्ट आई। यह दावा किया गया कि सेना ने संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। लेकिन इस स्थिति में नागरिकों पर बमबारी करने के लिए सेना को आलोचना का सामना करना पड़ा। यह स्थिति और अधिक गंभीर हो गई जब स्थानीय लोगों ने इसे निर्दोष नागरिकों के खिलाफ अत्याचार माना।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एक गाँव के प्रमुख ने कहा, "हमने भूकंप का सामना किया, और अब हमें अपने ही लोगों का सामना करना पड़ रहा है। यह अस्वीकार्य है!" सेना की कार्रवाई ने लोगों के मन में डर और आशंका पैदा कर दी है।
सरकारी बयान
इस घटना के बाद, सरकार ने एक आपात बैठक बुलाई है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि सीधी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि सुरक्षा बलों के लिए नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।
भविष्य की रूपरेखा
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं पहले ही लोगों को प्रभावित कर चुकी हैं। अब, जब सैन्य कार्रवाई ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, तो यह जरूरी है कि एक समानान्तर योजना बनाई जाए। राहत कार्यों की शुरुआत में स्थानीय समितियों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आम लोगों की वास्तविक समस्याएं समझी जा सकें।
निष्कर्ष
भूकंप के बाद की स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक है कि सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा। सेनात्मक कार्रवाइयों की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी परिस्थितियाँ न बनें। राहत एवं पुनर्वास कार्यों में शामिल ہونے के लिए नागरिकों को आगे आना होगा।
जब तक जांच की प्रक्रिया चल रही है, तब तक नागरिकों को संयम बरतने और सही सूचना प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए। पूरी घटना से यह भी पता चलता है कि किस तरह प्राकृतिक आपदाएँ अकेले ही नहीं, बल्कि मानव क्रियाओं के परिणाम भी संकट पैदा कर सकते हैं।
फिर भी, इस कठिन समय में संयम और साहस से ही हमें आगे बढ़ना होगा।
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