PM ओली ने पूर्व राजा पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया, ज्ञानेंद्र शाह पर लगाया जुर्माना, सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी घटाई
नेपाल सरकार ने पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करते हुए उनके निजी आवास निर्मल निवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या 25 से घटाकर 16 कर दी है। यह फैसला काठमांडू में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के हिंसक होने के वाद लिया गया। शुक्रवार को हुए इन प्रदर्शनों में पत्थरवाजी, वाहनों को आग लगाने और दुकानों में लूटपाट जैसी घटनाएं हुईं। इस झड़प में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 110 से अधिक लोग घायल हुए। इसे भी पढ़ें: नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सुरक्षा घटाई गई, हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा भी वसूलेगी सरकारसरकार ने पूर्व राजा की गतिविधियों पर सतर्कता वढ़ाने और सुरक्षा टीम में फेरवदल करने का भी निर्णय लिया है। काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी ने सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान के लिए ज्ञानेंद्र शाह पर 7,93,000 नेपाली रुपये का जुर्माना लगाया है। सरकार ने उनके पासपोर्ट को रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शन हाल के दिनों में बढ़े हैं, जिससे सरकार और पूर्व राजा के वीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसे भी पढ़ें: Protest in Nepal | नेपाल में हालात हुए बेकाबू, 100 से ज्यादा गिरफ्तार, सड़कों पर उतरी सेनापीएम केपी शर्मा ओली सोमवार को नेपाली संसद में बयान दिया। ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह देश में अशांति फैलाने और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया लगाया है। उनका कहना था कि शाह ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए सामाजिक अशांति फैलाने की कोशिश की, जिससे तिनकुने क्षेत्र में हिंसक घटनाएं हुईं। ओली की रणनीति पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक पार्टियों को एकजुट कर उन्हें अलग-थलग करने की है। नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता प्रकाशशरण महत ने कहा कि पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र ने काठमांडू हिंसा की जिम्मेदारी लें। साथ ही सरकार ज्ञानेंद्र पर कड़ी कार्रवाई को अमल में लाए। इस बीच रविवार को ओली ने सभी पार्टियों के साथ बैठक की। नेपाल में राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातन्त्र पार्टी (आरपीपी) को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने इस बैठक में हिस्सा लिया।

PM ओली ने पूर्व राजा पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया, ज्ञानेंद्र शाह पर लगाया जुर्माना, सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी घटाई
Haqiqat Kya Hai
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह देश में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। PM ओली ने यह बयान उस समय दिया जब उन्होंने पूर्व राजा को सरकारी सुरक्षा में कटौती करने का निर्देश दिया। इस निर्णय के साथ ही ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना भी लगाया गया है। यह समाचार नेपाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ की ओर इशारा करता है।
आरोपों की पृष्ठभूमि
मौजूदा राजनीतिक वातावरण में, PM ओली ने आरोप लगाया है कि ज्ञानेंद्र शाह देश की शांति भंग करने के लिए सक्रिय हैं। उन्हें संदेह है कि शाह ने अपने दरबार के कुछ पूर्व सदस्यों के माध्यम से साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने इस परिस्थिति को गंभीरता से लिया है और ऐसे किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
सरकार का निर्णय
PM ओली ने घोषणा की कि ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती की जाएगी। जानकारी के अनुसार, अधिकारिक सुरक्षाकर्मियों की संख्या में कमी की गई है। यह कदम जनता के बीच सरकारी विश्वास को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य पूर्व राजा के द्वारा किए जाने वाले संभावित राजनीतिक उठापटक को रोकना है।
ज्ञानेंद्र शाह और राजनीतिक स्थिति
ज्ञानेंद्र शाह, जो नेपाल के अंतिम राजा रहे हैं, अपने शासनकाल के दौरान और उसके बाद भी विवादों में रहे हैं। उनका नाम कई राजनीतिक आंदोलनों में लिया जाता रहा है, जिनमें लोकतंत्र की बहाली और राजशाही के खिलाफ आंदोलन शामिल हैं। उनका इतिहास कभी-कभी देश के अभिभावकों के गुण से प्रेरित हुआ है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में उनका अधिकतर समर्थन राजनीतिक विपक्ष से है।
निष्कर्ष
इस समय किए गए आयोजन और आरोपों ने नेपाल की राजनीति में एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। PM ओली का यह निर्णय यह दर्शाता है कि वह किसी भी तरह की अशांति को स्वीकार नहीं करेंगे और देश की स्थिरता बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करते रहेंगे। ज्ञानेंद्र शाह के प्रति की गई कार्रवाई यह स्पष्ट करती है कि वर्तमान सरकार उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखेगी।
नेपाली राजनीतिक परिदृश्य में यह स्थिति हमेशा परिवर्तित होती रहती है, और जन मानस के बीच इसकी गूंज जारी रहेगी। ऐसे मामलों में और अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर आएं - haqiqatkyahai.com.
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