Vishwakhabram: Iran ने उड़ाया था मजाक, Benjamin Netanyahu ने धमाके करके दिया जवाब, Trump नहीं रोकते तो Iran को पहले ही ठोक देते
ईरान ने कभी इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का मज़ाक उड़ाते हुए उन्हें "भेड़िया आ गया" कहने वाला लड़का बताया था।'' ईरान ने कहा था कि नेतन्याहू एक ऐसा नेता है जो लगातार ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ चेतावनी देता रहा, लेकिन कभी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। लेकिन आखिरकार वो समय आ गया जब नेतन्याहू ने अपना संकल्प सिद्ध करके दिखा दिया। हम आपको याद दिला दें कि 2018 में ईरान के तत्कालीन विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा था, "आप कुछ लोगों को बार-बार बेवकूफ नहीं बना सकते।" उन्होंने इजराइली प्रधानमंत्री की तुलना "भेड़िया आ गया" कहने वाले लड़के से की थी। लेकिन दो दशकों से ईरान को चेतावनी दे रहे इजराइल ने अब आखिरकार वो काम कर दिखाया जोकि बहुत पहले कर दिया जाना चाहिए था।राष्ट्र को संबोधित करते हुए इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमेशा की तरह द्वितीय विश्व युद्ध और नाज़ी होलोकॉस्ट का ज़िक्र करते हुए कहा, "करीब एक सदी पहले, जब नाज़ियों का खतरा था, तब दुनिया के नेताओं ने समय रहते कार्रवाई नहीं की।'' उन्होंने कहा कि उस तुष्टिकरण की नीति ने छह मिलियन यहूदियों को मारने वाली त्रासदी को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि 'नेवर अगेन' अब सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि आज की वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि इजराइल ने दिखा दिया है कि हमने इतिहास से सबक लिया है।इसे भी पढ़ें: दुनिया के सबसे जिद्दी नेता की कहानी, कैसे विरोधियों पर भारी पड़ने के बाद घर में भी बचाई अपनी कुर्सीहम आपको बता दें कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक पूर्व विशेष बल अधिकारी हैं जिन्होंने इजराइल के कुछ सबसे साहसी बंधक बचाव अभियानों में हिस्सा लिया है। उन्होंने 2022 में प्रधानमंत्री के रूप में अपना छठा कार्यकाल जीता, जिससे वह इजराइल के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री बन गए। वह वर्षों से संयुक्त राष्ट्र में बम के कार्टून दिखाकर ईरान के खतरे पर ज़ोर देते रहे हैं। सैन्य विशेषज्ञों का मानना था कि ईरान पर हमला करने की इजराइल की क्षमता पहले सीमित थी, क्योंकि इससे हिज़्बुल्लाह और हमास जैसे ईरानी सहयोगियों की जवाबी कार्रवाई होती। इसलिए नेतन्याहू ने पहले हमास और हिज्बुल्लाह को तबाह किया और फिर ईरान को बर्बाद किया।हम आपको याद दिला दें कि 2023 में हमास के हमले के बाद इजराइल ने गाजा में ज़बरदस्त जवाबी हमला किया जो आज तक जारी है। इसके अलावा, 2024 में इजराइली सेना ने कुछ ही दिनों में हिज़्बुल्लाह को भारी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद ईरान के भीतर किये गये रॉकेट हमलों ने नेतन्याहू को भरोसा दिया कि उनकी सैन्य शक्ति अब ईरान तक पहुंचने में सक्षम है। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल नवंबर में इजराइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने कहा था कि ईरान आज पहले से कहीं ज्यादा कमजोर है। यह हमारे लिए ऐतिहासिक अवसर है उस खतरे को समाप्त करने का, जो हमारे अस्तित्व के खिलाफ है। माना जा रहा था कि इजराइल तभी से ईरान के खिलाफ हमला करने की तैयारी कर रहा था। इजराइल ने कहा भी है कि उसने पहले ही अपने ड्रोन और अन्य हथियार गुप्त तरीके से ईरान के भीतर तक पहुँचा दिये थे। लेकिन नेतन्याहू के प्रयासों को तब झटका लगा था जब इस साल अप्रैल महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में घोषणा की थी कि अमेरिका और ईरान सीधी परमाणु वार्ता शुरू करने जा रहे हैं। नेतन्याहू को उम्मीद थी कि ट्रम्प उनका साथ देंगे लेकिन वार्ता के चलते उन्हें रुकना पड़ा। लेकिन जैसे ही वार्ता के लिए दो महीने की डेडलाइन खत्म हुई, उसके ठीक अगले दिन नेतन्याहू ने ईरान पर हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि ईरान पर हमले के लिए अमेरिका ने इजराइल को मंजूरी दे दी थी। इससे पहले जानबूझकर ट्रंप और नेतन्याहू के बीच मतभेद की खबरें फैलाई गयी थीं ताकि ईरान गुमराह हो जाये। हम आपको यह भी बता दें कि इजराइल ने यह सैन्य अभियान इसलिए शुरू किया क्योंकि उसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम से अपने अस्तित्व का खतरा महसूस हुआ। इजराइल का कहना है कि ईरानी शासन बार-बार उसके विनाश की बात करता रहा है और यह महज़ राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उनकी रणनीति का हिस्सा है इसलिए जवाब देना जरूरी था। बहरहाल, नेतन्याहू ने एकदम सही कहा है कि आने वाली पीढ़ियां इस दिन को याद रखेंगी जब हमारी पीढ़ी ने साहस दिखाया, समय पर कदम उठाया और हमारे साझा भविष्य को सुरक्षित किया।

Vishwakhabram: Iran ने उड़ाया था मजाक, Benjamin Netanyahu ने धमाके करके दिया जवाब, Trump नहीं रोकते तो Iran को पहले ही ठोक देते
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ईरान ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का मज़ाक उड़ाते हुए उन्हें "भेड़िया आ गया" कहकर चित्रित किया था। ईरान का यह दावा था कि नेतन्याहू वो नेता हैं जो वर्षों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम की चेतावनी देते आ रहे हैं, लेकिन कभी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। हालाँकि, अब बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए ईरान को सीधे जवाब दिया है, जिससे यह साबित होता है कि समय में परिवर्तन संभव है।
नेतन्याहू का दृढ़ संकल्प
इजराइली प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए द्वितीय विश्व युद्ध और नाज़ी होलोकॉस्ट का हवाला दिया। उन्होंने कहा, "करीब एक सदी पहले, जब नाज़ियों का खतरा था, तब दुनिया ने समय रहते कार्रवाई नहीं की।" नेतन्याहू का यह बयान बताता है कि वे ईरान से प्राप्त गंभीर खतरों को कैसे देखते हैं। उनकी दलील यह है कि 'नेवर अगेन' सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है। इजराइल ने यह साबित किया है कि वे इतिहास से सबक लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
इजराइल की सामरिक रणनीति
इजराइली सेना ने पिछले वर्षों में इराक और हिज्बुल्लाह को नियंत्रित करने के लिए कई सफल सैन्य अभियानों को अंजाम दिया है। यह स्पष्ट हो गया है कि नेतन्याहू ने पहले ईरान की सहयोगी शक्तियों को कमजोर किया और उसके बाद ईरान पर कटाक्ष किया। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इजराइल पहले ही ईरान पर सीधे हमले करने की तैयारी कर चुका था, लेकिन अमेरिका के साथ रणनीतिक वार्ताओं के कारण यह प्रक्रिया धीमी हो गई थी।
ट्रंप का प्रभाव
इस बीच, यह भी चर्चा में है कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ वार्ता को रद्द नहीं किया होता, तो इजराइल शायद पहले ही ईरान पर हमला कर देता। नेतन्याहू ने कई बार कहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजराइल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है और इसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है।
आगे का रास्ता
हाल ही के दिनों में, इजराइली सरकार ने ईरान के खिलाफ कई सुरक्षात्मक उपाय किए हैं, जो उन्हें भविष्य में और अधिक हमलों के लिए तैयार रखेंगे। नेतन्याहू ने इस बात पर भी जोर दिया है कि आने वाली पीढ़ियाँ इस दिन को याद करेंगी, जब उनके पूर्वजों ने साहसिक कदम उठाए और अपने भविष्य को सुरक्षित किया।
इस संदर्भ में, बेंजामिन नेतन्याहू का बयान न केवल इजराइल के मुख्य सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह पूरे मध्य पूर्व में स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
समाप्ति पर, हम यह समझ सकते हैं कि यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं है; बल्कि यह एक रणनीतिक धारा का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य न केवल इजराइल की रक्षा करना बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी बनाए रखना है।
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