पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसायटी की प्रबंधन पर जांच, महिला आयोग ने भेजा शिक्षा सचिव को पत्र
Amit Bhatt, Dehradun: पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी ने एक समय में जो मान और सम्मान कमाया, उस पर कुछ पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली बट्टा लगा रही है। जो सोसाइटी देहरादून के पुरकुल क्षेत्र में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए लर्निंग अकादमी चलाती है, वहां ऐसा लगता है कि मानवीय मूल्य क्षीण होने लगे हैं। यह … The post पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी की मनमानी पर होगी जांच, महिला आयोग ने शिक्षा सचिव को भेजा पत्र appeared first on Round The Watch.

पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसायटी की प्रबंधन पर जांच, महिला आयोग ने भेजा शिक्षा सचिव को पत्र
Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून स्थित पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसायटी, जो गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए लर्निंग अकादमी का संचालन करती है, अपने कुछ पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली से विवादों में घिर गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि स्थापित सम्मान और मान को नजरअंदाज करते हुए, सोसायटी की गतिविधियों में मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है। संस्था ने वित्तीय सहायता के लिए देश-विदेश से धनराशि प्राप्त की है, लेकिन अंदरुनी कर्मचारियों के प्रति नीतियों में पारदर्शिता की कमी दिखाई देती है। इस संदर्भ में कुछ शिक्षिकाओं को अकारण ही बाहर कर दिया गया है, जबकि वे मातृत्व अवकाश पर थीं।
जब शिक्षिका कंचन ध्यानी ने अपने मातृत्व अवकाश के बाद अपनी स्थिति को लेकर आयोग से संपर्क किया, तो उत्तराखंड महिला आयोग ने इसमें हस्तक्षेप किया। कंचन ने 23 जुलाई 2024 से 14 नवंबर 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया और अवकाश को बढ़ाने के लिए अनुरोध किया। हालांकि, सचिव अनूप सेठ ने उनकी बात को अनसुना करते हुए अवकाश को बिना कारण बढ़ा दिया। इसके फलस्वरूप, उन्हें स्कूल से निकालने की धमकी तक दी गई।
महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए दोनों पक्षों की सुनवाई की और सचिव को निर्देश दिया कि वे कंचन को पुनः नियुक्ति दें। हालांकि, सचिव इस निर्णय को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। आयोग ने शिक्षा सचिव को इस प्रकरण की विस्तृत जांच और उचित कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है, जो कि जिलाधिकारी और सीबीएसई बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक को भी प्रेषित किया गया है।
महिला आयोग ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि किसी महिला को बिना किसी उचित कारण के उसकी नौकरी से निकालना असंवेदनशीलता का प्रतीक है। यह प्रतीक है कि किसी भी संस्था का प्राथमिक कर्तव्य केवल सेवा करना नहीं, बल्कि पारदर्शिता बनाए रखना भी हो सकता है।
साथ ही, आयोग ने सोसायटी के शीर्ष प्रबंधन को इस बात की जांच करने के लिए कहा है कि कैसे कुछ अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना को कमजोर कर रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए जो धनराशि प्राप्त की जा रही है, उसका सही उपयोग किया जा रहा है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है, तो यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सारांश
समाज के उत्थान में लगी संस्थाओं को चाहिए कि वे न केवल सेवा करें, बल्कि अपने कार्यों में भी पारदर्शिता रखे। महिलाओं को उनके अधिकार और स्थान पर सम्मान देने की आवश्यकता है। महिला आयोग की इस कार्रवाई की सराहना की जानी चाहिए और हम आशा करते हैं कि आगे ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।
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