IFS पर मुकदमा चलाने की अनुमति पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार-सीबीआई से जवाब तलब

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से जुड़े मामले में राज्य सरकार और सीबीआई से 28 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ में शुक्रवार को हुई सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट किया कि … The post IFS पर मुकदमा चलाने की अनुमति पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार-सीबीआई से जवाब तलब appeared first on Round The Watch.

Oct 11, 2025 - 00:39
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IFS पर मुकदमा चलाने की अनुमति पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार-सीबीआई से जवाब तलब

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से जुड़े मामले में राज्य सरकार और सीबीआई से 28 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ में शुक्रवार को हुई सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और जांच की निष्पक्षता दोनों पर सवाल उठ रहे हैं, जिनका जवाब देना आवश्यक है। इस प्रकरण में यह भी गौर करने वाली बात है कि कार्बेट प्रकरण में ईडी की जांच में राहुल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। यहां से राहुल को क्लीनचिट मिल चुकी है।

मामला क्या है, ईडी की क्लीनचिट के मायने
वरिष्ठ आईएफएस अफसर और कार्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक राहुल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कालागढ़ क्षेत्र के पाखरो जोन में शासन की अनुमति के बिना निर्माण कार्य और पेड़ों की कटान के मामले में सीबीआई जांच चल रही थी। सीबीआई ने इस संबंध में आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल किया और चार सितंबर 2025 को कुछ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी, लेकिन पूर्व निदेशक राहुल को उस सूची से अलग रखा गया।

हालांकि, इसके सिर्फ एक सप्ताह बाद राज्य सरकार ने अपना रुख बदलते हुए राहुल के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को “मनमाना और प्रक्रिया-विरुद्ध” बताते हुए अदालत में चुनौती दी है। यह अनुमति ऐसे समय पर दी गई, जब राहुल को ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय से क्लीनचिट मिल गई। जिसके यह मायने हुए कि जांच में उनके विरुद्ध कुछ नहीं पाया गया।

याचिकाकर्ता की दलीलें, उठाए सवाल
राहुल की ओर से दलील दी गई कि राज्य सरकार ने बिना किसी नई जांच या ठोस साक्ष्य के मुकदमा चलाने की अनुमति दी। पहले सरकार ने खुद उनके खिलाफ अभियोजन अनुमति देने से इनकार किया था। इसके बाद, एक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर जांच फिर से खोल दी गई, जबकि प्रकरण वही पुराना था और उस पर पहले ही जांच पूरी हो चुकी थी। लगाए गए आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और उनकी कार्यप्रणाली के विपरीत हैं।

अदालत ने इन दलीलों पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार और सीबीआई, दोनों को अपने-अपने पक्ष में स्पष्ट जवाब देना होगा कि मुकदमा चलाने की अनुमति किन आधारों पर दी गई। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की है।

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