अस्पताल का रहस्य: आईसीयू से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की अनियमितता, दो अस्पतालों की संबद्धता हुई निलंबित
Rajkumar Dhiman, Dehradun: ऐसे अस्पतालों को चमत्कार ही कहा जाएगा। जो मरीज 05 से 06 दिन आईसीयू वार्ड में भर्ती रहे, वह सामान्य वार्ड में आते ही एक या दो दिन के भीतर डिस्चार्ज कर दिए जा रहे हैं। गजब यह भी कि जिन मरीजों का तापमान लगातार 102 डिग्री फारेनहाइट दिखाया गया, वह डिस्चार्ज … The post अस्पताल या चमत्कार, आईसीयू से बाहर आते ही मरीज पहुंच रहे घर, 02 अस्पतालों की संबद्धता सस्पेंड appeared first on Round The Watch.

अस्पताल का रहस्य: आईसीयू से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की अनियमितता, दो अस्पतालों की संबद्धता हुई निलंबित
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राजकुमार धीमान, देहरादून: हाल ही में कुछ अस्पतालों की गतिविधियों ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है। इन अस्पतालों को चमत्कार कहा जा सकता है, जहां मरीज खुद को आईसीयू में 5 से 6 दिन बिताने के बाद भी सामान्य वार्ड में आते ही एक या दो दिन में डिस्चार्ज कर दिए जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे मरीजों ने चमत्कार का अनुभव किया हो, क्योंकि जिन मरीजों का तापमान लगातार 102 डिग्री फारेनहाइट था, वे डिस्चार्ज के दिन 98 डिग्री पर पहुंच जाते हैं। हरिद्वार का मेट्रो हॉस्पिटल और रुड़की का क्वाड्रा हॉस्पिटल जैसे अस्पतालों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है, जिसके कारण राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने तुरंत उनकी औपचारिक संबद्धताओं को निलंबित कर दिया है। दोनों अस्पतालों के प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस भी प्रदान किया गया है।
आईसीयू से डिस्चार्ज के पीछे का रहस्य
इन अस्पतालों का आंकड़ा चिंताजनक है। न केवल ये अपनी सेवाओं के लिए उच्च चार्ज लेते हैं, बल्कि आंकड़े भी तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। एक ऑडिट रिपोर्ट से यह पाया गया है कि क्वाड्रा हॉस्पिटल में सामान्य चिकित्सा के 1800 दावों में से 1619 मामलों में मरीजों को आईसीयू में दिखाया गया, जबकि केवल 181 मामलों में ही सामान्य वार्ड में रखा गया। इसका मतलब है कि 90 प्रतिशत मरीजों को आईसीयू पैकेज का भुगतान करने के उद्देश्य से भर्ती दिखाया गया। जांच से यह भी पता चला है कि उन्हें वास्तविकता में केवल दो दिनों के लिए सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया जाता था, ताकि भुगतान के लिए कारण का समर्थन किया जा सके।
ईमानदारी के मानकों का उल्लंघन
जब हम इस बात की जांच करते हैं कि यह सब कैसे संभव हो रहा है, तो हमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आती हैं। मरीजों को आम बीमारियों जैसे उल्टी, यूटीआई और निर्जलीकरण के मामलों में भी आईसीयू में अनावश्यक रूप से भर्ती दिखाया गया। कई मरीजों के तापमान से जुड़ा डेटा भी संदिग्ध है, जो डिस्चार्ज के पहले दिन अचानक सामान्य हो जाता है। मरीजों के बेड नंबर भी लगातार बदलते रहे, जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि सब कुछ सुनियोजित था।
मेट्रो हॉस्पिटल की गंभीर अनियमितताएं
हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल में भी यह स्थिति कुछ भिन्न नहीं है। यहां भी मरीजों को 3 से 18 दिन तक आईसीयू में दिखाने के बाद छुट्टी दिए जाने की प्रक्रिया देखी गई। अस्पताल ने आवश्यक दस्तावेजों को प्राधिकरण को उपलब्ध नहीं कराया, जो नियमों के तहत अनिवार्य हैं। मरीजों के लिए जारी किए गए रिकॉर्ड में भी समानता पाई गई है, जो कि यहाँ भी धोखाधड़ी की भावना को साक्षात्कारित करती है।
सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इन अनियमितताओं की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कदम उठाए हैं। यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो न केवल मौजूदा मरीजों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा, बल्कि जनता का अस्पतालों पर विश्वास भी समाप्त हो जाएगा। हमें उम्मीद है कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह के संकटों से बचा जा सके।
एक स्वस्थ और ईमानदार स्वास्थ्य प्रणाली के लिए यह आवश्यक है कि हमारे अस्पताल पारदर्शिता का पालन करें और मरीजों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी मरीज गलत स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभाव में न पड़े।
हेमलता, संध्या, और सुषमा द्वारा रिपोर्ट, टीम Haqiqat Kya Hai
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