दिल्ली दंगा मामले में शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत याचिकाएं खारिज - एक महत्वपूर्ण अदालती फैसला
नई दिल्ली (महानाद) : हाई कोर्ट ने फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के पीछे साजिश से जुड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में पिछले 5 साल से जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम, उमर खालिद सहित कईं आरोपियों जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर […]

दिल्ली दंगा मामले में जमानत याचिकाएं खारिज
नई दिल्ली (महानाद): दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। आरोपियों में जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम और उमर खालिद शामिल हैं, जो पिछले पांच वर्षों से जेल में बंद हैं। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की पीठ ने इस मामले पर अंतिम निर्णय लिया।
अदालत का निर्णय और सुनवाई के पहलु
इस मामले में अदालत ने सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की दलीलें सुनकर अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह मामले स्वतःस्फूर्त दंगों का नहीं है, बल्कि यह एक साजिश है, जो एक भयावह उद्देश्य के तहत बनाई गई थी। अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं जैसे मौहम्मद सलीम खान, अब्दुल खालिद, अतहर खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, और शादाब अहमद भी खारिज कर दी गईं।
अदालत में प्रस्तुत तर्क
शरजील इमाम और उमर खालिद ने लंबे समय तक जेल में बंद रहने का तर्क देते हुए समानता के आधार पर जमानत की मांग की। वहीं, दिल्ली पुलिस के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह मामला केवल लंबी कैद के आधार पर जमानत देने का नहीं है, बल्कि यह भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर धूमिल करने की एक साजिश का हिस्सा है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे का संदर्भ
फरवरी 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह दंगे सीएए-एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान भड़के थे। आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन्हें दंगों का कथित मास्टरमाइंड बताया गया है। शरजील इमाम को 25 अगस्त 2020 को और उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
आगे की राह
इस निर्णय के बाद अब यह देखना होगा कि अभियुक्त इस फैसले के खिलाफ अपील करते हैं या नहीं। जमानत याचिकाओं का खारिज होना न केवल आरोपियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है यह दर्शाता है कि अदालतें ऐसे मामलों को गंभीरता से लेती हैं।
कम शब्दों में कहें तो, शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत याचिकाएं खारिज होने से यह स्पष्ट होता है कि अदालतें दंगों से जुड़े मामलों में गंभीरता बरतने को लेकर तत्पर हैं। यह निर्णय निश्चित रूप से उन सभी के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है जो इस मामले में रुचि रखते हैं। अधिक जानकारी और अपडेट के लिए, कृपया यहाँ क्लिक करें.
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