Dadasaheb Phalke Birth Anniversary: फिल्मों का ऐसा जुनून, संपत्ति तक रख दी गिरवी, दादा साहेब फाल्के ऐसे बने भारतीय सिनेमा के जनक
भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहेब फाल्के का 30 अप्रैल को जन्म हुआ था। उन्होंने एक मूक फिल्म बनाई थी, जिसके सभी कैरेक्टर्स सिर्फ एक्टिंग कर रहे थे। इस फिल्म का नाम 'राजा हरिश्चंद्र' था। भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय दादा साहेब फाल्के को जाता है। वह एक मशहूर प्रोड्यूसर, डायरेक्टर के साथ स्क्रीनराइटर भी थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर दादा साहेब फाल्के के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षामहाराष्ट्र के नासिक में एक मराठी परिवार में 30 अप्रैल 1870 को दादा साहेब फाल्के का जन्म हुआ था। इनका असली नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के था। इनके पिता संस्कृत के विद्वान थे। दादा साहेब फाल्के ने बड़ौदा के कला भवन से अपनी शिक्षा पूरी की थी। यहां पर उन्होंने इंजीनियरिंग, चित्रकला, मूर्तिकला, पेंटिंग और फोटोग्राफी की शिक्षा ली थी। वहीं साल 1910 में बंबई के अमरीका-इंडिया पिक्चर पैलेस में 'द लाइफ ऑफ क्राइस्ट' फिल्म दिखाई गई। इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने यह निश्चय किया कि वह भारतीय धार्मिक और मिथकीय चरित्रों को रुपहले पर्दे पर जीवंत करने का काम करेंगे।इसे भी पढ़ें: Satyajit Ray Death Anniversary: सत्यजीत रे को कहा जाता था सिनेमा का जीनियस, ऐसे मिला था ऑस्करफिल्मी सफरइसके बाद उन्होंने बंबई में मौजूद थियेटरों की लगभग सभी फिल्में देख डालीं। दो महीने तक वह रोजाना शाम में चार से पांच घंटे सिनेमा देखते थे। वहीं बाकी के समय में वह फिल्म बनाने में लगे रहते थे। जिसका असर यह हुआ कि उनकी आंखों की रोशनी करीब-करीब चली गई। फिर दादा साहेब फाल्के ने फिल्म शुरू की। जिसको आज सभी हम हिंदुस्तान की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' के नाम से जानते थे। वह इस फिल्म के सिर्फ निर्माता, निर्देशक ही नहीं बल्कि उन्होंने कॉस्ट्यूम डिजाइन, लाइटमैन और कैमरा डिपार्टमेंट भी संभाला था। वह इस फिल्म के पटकथा लेखक भी थे। इस फिल्म को 3 मई 1913 को कोरोनेशन सिनेमा बॉम्बे में रिलीज किया गया।फिल्म राजा हरिश्चंद्र की सफलता के बाद दादा साहेब ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने बिजनेसमैन के साथ मिलकर 'हिंदुस्तान फिल्म्स' नामक कंपनी बनाई। यह देश की पहली फिल्म कंपनी थी। वहीं इसके तहत वह अभिनेताओं के अलावा टेक्नीशियनों को भी ट्रेनिंग देने लगे। लेकिन फिर साल 1920 में उन्होंने हिंदुस्तान फिल्म्स से इस्तीफा दे दिया और सिनेमा जगत से भी रिटायरमेंट लेने की घोषणा कर दी।

Dadasaheb Phalke Birth Anniversary: फिल्मों का ऐसा जुनून, संपत्ति तक रख दी गिरवी, दादा साहेब फाल्के ऐसे बने भारतीय सिनेमा के जनक
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: साक्षी शर्मा
टीम नेतानागरी
परिचय
दादा साहेब फाल्के, जिन्हें भारतीय सिनेमा का जनक माना जाता है, का जन्म 30 अप्रैल 1870 को हुआ था। उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग की नींव रखी और ऐसी फिल्मों का निर्माण किया, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं। फाल्के का सपना था कि वह भारतीय संस्कृति और इतिहास को सिनेमा के माध्यम से जीवित करें। उनकी कहानी सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि एक जुनून की कहानी है, जिसमें उन्होंने अपनी सम्पत्ति तक गिरवी रख दी।
फिल्मों के प्रति जुनून
दादा साहेब फाल्के का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपनी फिल्म "राजा हरिश्चंद्र" से भारतीय सिनेमा की शुरुआत की। यह फिल्म 1913 में रिलीज हुई थी और इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्में बनाई। फाल्के ने अपनी संपत्ति तक गिरवी रख दी थी, ताकि वह अपने सपनों को साकार कर सकें। उनके कई कार्यों से यह सिद्ध होता है कि उन्होंने सिनेमा के प्रति कितना गंभीरता से लिया था।
दादा साहेब फाल्के का संघर्ष
फाल्के का सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपनी साहसिकता और समर्पण से अनेक कठिनाइयों का सामना किया। जब फाल्के ने पहली बार फिल्म बनाई, तो उन्हें समाज से बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार अपने काम में लगे रहे। उनके कार्य ने न केवल भारतीय सिनेमा को एक नया दिशा दिया बल्कि भारतीय दर्शकों को भी एक नई पहचान दी।
भारतीय सिनेमा का विकास
दादा साहेब फाल्के की फिल्मों ने न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराइयों में भी बसी। उनकी दृष्टिकोण ने सिनेमा को न केवल मनोरंजन का माध्यम बनाया, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और जन जागरूकता का भी स्त्रोत बना।
निष्कर्ष
दादा साहेब फाल्के का योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में अनमोल है। उनकी कहानियाँ, संघर्ष और रचनात्मकता आज भी सिनेमा प्रेमियों को प्रेरित करती हैं। फाल्के का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर जुनून सच्चा हो, तो कोई भी बाधा हमें अपने सपनों को पाने से रोक नहीं सकती। उनकी जयंती पर हमें उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए और उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
Keywords
Dadasaheb Phalke Birth Anniversary, Indian Cinema, Raja Harishchandra, Film Industry, Cinema PioneerWhat's Your Reaction?






