Ramabai Ambedkar Birth Anniversary: रमाबाई ने अंबेडकर को बनाया था 'बाबा साहेब, विनम्रता और करुणा की थीं मिशाल
आज ही के दिन यानी की 07 फरवरी को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पत्नी रमाबाई आंबेडकर का जन्म हुआ था। इनका जन्म एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन पर रमाबाई का काफी असर पड़ा था। वह महिला सशक्तिकरण की आदर्श प्रतीक, सामाजिक समानता और सद्भाव की प्रबल पक्षधर थीं। रमाबाई अंबेडर को रमई या माता राम भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर रमाबाई अंबेडकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षामहाराष्ट्र के एक छोटे से गांव दाभोल में 07 फरवरी 1898 को रमाबाई अंबेडकर का जन्म हुआ था। वह एक गरीब दलित परिवार से ताल्लुक रखती थीं। इनके पिता का नाम भीकू धात्रे और माता का नाम रुक्मिणी था। रमाबाई के पिता कुली का काम करते थे। वह अपने परिवार का पालन-पोषण बड़ी मुश्किल से करते थे। वहीं रमाबाई ने बहुत जल्द अपने माता-पिता को खो दिया था। जिसके बाद उनके चाचा रमाबाई और उनके भाई-बहनों को लेकर मुंबई आ गए थे।इसे भी पढ़ें: Motilal Nehru Death Anniversary: देश की आजादी में पंडित मोतीलाल नेहरू का था अहम योगदान, दो बार बने थे कांग्रेस अध्यक्षशादीसाल 1906 में भायखला बाजार में बाबासाहेब अंबेडकर से रमाबाई की शादी हुई। उस दौरान रमाबाई की उम्र महज 9 साल और बाबा साहेब की उम्र 15 साल थी। वह अपने पति को प्यार से साहेब कहकर बुलाती थी। वहीं अंबेडकर साहब उनको रामू कहते थे। उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर की महत्वकांक्षाओं को पूरा समर्थन दिया और विदेश में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।बाबा साहेब की बनीं ढालबता दें कि जब बाबा साहेब विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, तो उस दौरान रमाबाई भारत में कई कठिनाइयों का सामना कर रही थीं। लेकिन उन्होंने बाबा साहेब को अपने लक्ष्यों को पूरा करने से कभी नहीं रोका। साथ ही इन कठिनाइयों के विषय में रमाबाई ने बाबा साहेब को भनक तक नहीं लगने दी। दरअसल, इस दौरान उनको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।मृत्युवहीं लंबी बीमारी के बाद 26 मई 1935 को रमाबाई अंबेडकर का निधन हो गया था।

Ramabai Ambedkar Birth Anniversary: रमाबाई ने अंबेडकर को बनाया था 'बाबा साहेब, विनम्रता और करुणा की थीं मिशाल
Haqiqat Kya Hai - 14 अप्रैल 1891 को हुए भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन के अवसर पर, हम यह सोचते हैं कि उनके जीवन में उनकी धर्मपत्नी रमाबाई का योगदान कितना महत्वपूर्ण रहा। रमाबाई ना केवल अंबेडकर की पत्नी थीं, बल्कि उन्होंने उन्हें 'बाबा साहेब' नाम से भी पुकारा। उनका यह नाम और रिश्ते की गर्मी ने अंबेडकर के कार्यों को एक नई दिशा दी।
रमाबाई का जीवन और संघर्ष
रमाबाई का जन्म 1898 में हुआ था। वह एक साधारण परिवार से थीं, परंतु उनका साहस और समर्पण अद्वितीय था। उन्होंने हमेशा से सामाजिक सद्भावना और समानता के लिए संघर्ष किया। वे अंबेडकर के साथ शिक्षित रहने की चाहत रखती थीं। उनका योगदान अंबेडकर के आंदोलन में भी अहम रहा।
बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति विनम्रता का भाव
रमाबाई की विनम्रता अद्वितीय थी। उन्होंने शादी के बाद अंबेडकर की कठिनाइयों में हर कदम पर उनका साथ दिया। जब अंबेडकर ब्रिटेन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे, तब रमाबाई ने अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ जाकर उनके साथ रहने का निर्णय लिया। यह उनकी करुणा और समर्थन दर्शाता है।
अंबेडकर और रमाबाई का संबंध
अंबेडकर और रमाबाई का संबंध केवल दांपत्य जीवन नहीं था, बल्कि यह एक सहयोगी और प्रेरणादायक युगल का था। रमाबाई ने हमेशा अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाने में मदद की। उनके साथ मिलकर उन्होंने कई सामाजिक सुधारों का कार्य किया।
सामाजिक न्याय की दिशा में उनका कदम
रमाबाई ने हमेशा सामाजिक न्याय की ओर लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने अंबेडकर के साथ मिलकर अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और अंबेडकर के विचारों के प्रति लोगों को जागरूक किया। उनके कार्यों ने समाज में एक नई जागरूकता लाई।
निष्कर्ष
रमाबाई अम्बेडकर का जीवन और उनकी सोच आज भी हमें प्रेरित करती है। रमाबाई ना केवल अंबेडकर के जीवन का एक अहम हिस्सा रहीं, बल्कि वे सामाजिक न्याय के प्रतीक बनीं। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा, और इस अवसर पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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