हल्द्वानी: जेल में रक्षाबंधन की खुशी, कुमाऊं कमिश्नर का महिला बंदियों के साथ उत्सव
रक्षाबंधन पर कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी जेल में महिला बंदियों संग मनाया पर्व, जेल निरीक्षण में दिखी बंदियों की आत्मनिर्भरता, पेंटिंग व कारपेंटरी Source

हल्द्वानी: जेल में रक्षाबंधन की खुशी, कुमाऊं कमिश्नर का महिला बंदियों के साथ उत्सव
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कम शब्दों में कहें तो, रक्षाबंधन के इस पवित्र पर्व पर कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी जेल में महिला बंदियों के साथ एक अनूठा उत्सव मनाया। इस आयोजन ने न केवल भाइयों और बहनों के बंधन को सलाम किया, बल्कि यह महिलाओं की आत्मनिर्भरता और गरिमा को भी उजागर किया।
कमिश्नर का जेल दौरा
इस साल रक्षाबंधन के खास अवसर पर, कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी जेल में जाकर वहाँ की महिला बंदियों से संपर्क किया। उन्होंने महिलाओं के साथ मिलकर रक्षा बंधन की खुशियाँ बाँटी और उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली। उनके इस दौरे के दौरान यह देखने को मिला कि जेल में बंद महिलाएं पेंटिंग और कारपेंटरी जैसे कौशल को विकसित कर रही हैं, जिनसे न केवल उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ रही है, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी मिल रही है। कमिश्नर ने इस सकारात्मक पहल की सराहना की और बताया कि ऐसे कार्यक्रम समाज में बदलाव लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
महिला बंदियों की आत्मनिर्भरता
हल्द्वानी जेल में चलाए जा रहे कौशल विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला बंदियों को सशक्त बनाना है। यह देखना आश्चर्यजनक था कि कई महिलाएं ऐसे हुनर सीख रही हैं, जिनसे वे जेल से बाहर निकलने के बाद अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने में सक्षम हो सकेंगी। इस रक्षाबंधन पर, उन्होंने अपने अपने हाथों से बनाई गई राखियों का आदान-प्रदान किया, जो उनकी आपसी रिश्ते को मजबूत बनाता है और उनमें एकजुटता की भावना को बढ़ाता है।
सकारात्मक बदलाव की दिशा
इस समारोह में कुमाऊं कमिश्नर ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन सामाजिक बदलाव लाने में मदद करते हैं। उन्होंने महिला बंदियों को प्रेरित किया कि वे अपने जीवन की कठिनाइयों को पार करके आत्म-सम्मान की ओर बढ़ें। यह देखकर अच्छा लगा कि महिलाएं न केवल इस पर्व का आनंद ले रहीं थीं, बल्कि उन्होंने इस आयोजन को एक नई सोच और अनुभव के साथ मनाया। उनके चेहरे पर आत्मविश्वास और प्रेरणा की चमक स्पष्ट थी।
समाज के लिए एक प्रेरणा
हल्द्वानी जेल में मनाया गया यह रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं था, बल्कि यह समानता, सामाजिक एकता और आत्मनिर्भरता का एक प्रेरणास्रोत बना। ऐसे कार्यक्रम समाज में बंदियों को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारी यह उम्मीद है कि इस तरह की प्रयास लगातार जारी रहेंगी, जिससे समाज में जागरूकता एवं बदलाव लाई जा सके।
कुमाऊं कमिश्नर का यह प्रयास यह दिखाता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी हालात में क्यों न हो, उसे अपनी मानवीय गरिमा और खुशियों की तलाश का हक है।
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