दून पंचायत चुनाव: मुन्ना सिंह चौहान बनाम प्रीतम सिंह, कौन बनेगा मजबूत नेता?
Rajkumar Dhiman, Dehradun: दून जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का चुनाव अब सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक मुकाबला नहीं रह गया, बल्कि यह सीधे-सीधे दो कद्दावर विधायकों की प्रतिष्ठा की जंग में बदल चुका है। अध्यक्ष पद पर भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान मैदान में हैं, तो … The post पंचायत चुनाव: मुन्ना सिंह चौहान बनाम प्रीतम सिंह, क्या दोनों की होगी जीत! appeared first on Round The Watch.
दून पंचायत चुनाव: मुन्ना सिंह चौहान बनाम प्रीतम सिंह, कौन बनेगा मजबूत नेता?
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Written by Priya Sharma, Suman Gupta, and Anjali Verma | Team Haqiqat Kya Hai
राजकुमार धिमान, देहरादून: दून जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव ने अब भाजपा और कांग्रेस के बीच में केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि यह सीधे-सीधे दो प्रमुख नेताओं की प्रतिष्ठा की जंग बन गई है। भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान अध्यक्ष पद के लिए मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक सिंह उपाध्यक्ष बनने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इस चुनाव का महत्व केवल पार्टी निष्ठा से बढ़कर कद्दावर नेताओं की व्यक्तिगत छवि और परिवार की प्रतिष्ठा के लिए भी है।
प्रतिष्ठा की लड़ाई
यदि मधु चौहान अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करती हैं, तो यह न केवल भाजपा के लिए, बल्कि उनके पति मुन्ना सिंह चौहान के लिए भी एक स्थायी राजनीतिक मजबूती का प्रतीक होगा। इसी तरह, यदि अभिषेक सिंह उपाध्यक्ष पद पर जीत जाते हैं, तो यह प्रीतम सिंह के लिए भी महत्वपूर्ण माने जाएगा। यह मुकाबला इतना गहरा हो गया है कि यह अब केवल पार्टी का नहीं, गहरे व्यक्तिगत व पारिवारिक सम्मान का भी सवाल बन चुका है। मतदान 14 अगस्त को होने वाला है, और उसके बाद ही तय होगा कि जिला पंचायत की कमान किसके हाथों में होगी।
राजनीतिक मतभेद, फिर भी एक परिवार!
ध्यान देने वाली बात यह है कि मुन्ना सिंह चौहान और प्रीतम सिंह हमेशा से राजनीतिक विरोधी रहे हैं। ऐसे में, अगर दोनों के उम्मीदवार अपनी-अपनी सीटें जीत जाते हैं, तो जिला पंचायत के कामकाज में किस प्रकार की सामंजस्यता स्थापित होगी, यह सबसे बड़ा प्रश्न है। क्या विकास कार्यों के लिए सहयोग की संभावना है या राजनीतिक मतभेदों का प्रभाव निर्णय प्रक्रिया पर पड़ेगा? यह चुनाव निश्चित रूप से दून की राजनीतिक दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है।
भाजपा और कांग्रेस की रणनीतियाँ
कांग्रेस पार्टी का दावा है कि उनके पास पहले से बहुमत है, जबकि भाजपा अपनी स्थिति को मजबूत बनाने में जुटी हुई है। अध्यक्ष बनने के लिए 16 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। यह स्पष्ट है कि दोनों पार्टीयों को अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करना होगा। चुनाव का परिणाम केवल दून जिला पर नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की राजनीतिक दिशा पर प्रभाव डालने की क्षमता रखता है।
14 अगस्त का महत्वपूर्ण दिन
14 अगस्त को मतदान के बाद यह तय होगा कि जिला पंचायत की कमान किसके हाथों में होगी और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा। इस चुनाव में सभी राजनीतिक पहलू एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह चुनाव महज वोटों की संख्या का सवाल नहीं रह गया, बल्कि यह लोगों की उम्मीदों और विश्वासों का प्रतीक भी है।
आखिर में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुन्ना सिंह चौहान अपनी पत्नी के माध्यम से भाजपा को जीताने में सफल होंगे, या फिर प्रीतम सिंह का बेटा अभिषेक इस बार का मुकाबला जीतने में कामयाब होता है। क्या इस चुनाव से भाजपा और कांग्रेस के बीच की पुरानी दुश्मनी समाप्त होगी? यह प्रश्न अब दोनों पार्टियों और उनके समर्थकों के लिए उत्सुकता का विषय बन चुका है।
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