उत्तराखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में दर्ज नाम वाले मतदाताओं और प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने और मतदान करने पर रोक लगा दी है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में 6 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन को न्यायालय ने असंवैधानिक … The post उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव appeared first on Round The Watch.

Jul 11, 2025 - 18:39
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उत्तराखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे
उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव

उत्तराखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे

By Anjali Verma, Priya Singh, and Sneha Mehta – Team Haqiqat Kya Hai

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संक्षिप्त परिचय

कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में नाम दर्ज होने वाले प्रत्याशियों को पंचायत चुनावों में भाग लेने से रोका गया है। न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा 6 जुलाई को जारी अधिसूचना को असंवैधानिक ठहराया है। यह निर्णय सिर्फ चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए है।

मामले का विवरण

यह फैसला मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ द्वारा गढ़वाल निवासी शक्ति सिंह बर्त्वाल द्वारा दर्ज की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। याचिका में कहा गया था कि 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने वाले कई प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में एक साथ दर्ज हैं। यह न केवल पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) का उल्लंघन है, बल्कि गंभीर चुनावी अनियमितता को भी दर्शाता है।

दोहरे नामांकन पर उठे सवाल

याचिका में विचार किया गया कि किस प्रकार से दोहरी मतदाता सूचियों में नाम होने के कारण कुछ प्रत्याशियों के नामांकन को निरस्त किया गया, जबकि अन्य के नाम स्वीकृत किए गए, जो चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त से इस मामले में स्पष्ट दिशा निर्देश मांगे थे, लेकिन जब कोई सटीक उत्तर नहीं मिला, तब उन्होंने न्यायालय का रुख किया।

कोर्ट का स्पष्ट रुख

हाईकोर्ट ने कहा कि वह मौजूदा पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता, लेकिन भविष्य में इस आदेश का पालन अनिवार्य होगा। चुनाव आयोग की ओर से मौजूद अधिवक्ता संजय भट्ट ने अदालत के निर्णय के बारे में बताया कि न्यायालय ने आयोग के 6 जुलाई के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। इसके बाद आयोग को आदेश की प्रति मिलने पर विधिक पहलुओं पर पुनर्विचार करना होगा।

भविष्य के लिए महत्वपूर्ण फैसला

यह निर्णय उत्तराखंड की चुनावी व्यवस्था में सुधार का संकेत दे सकता है। याचिका में यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया गया था कि एक व्यक्ति का नाम दो विभिन्न मतदाता सूचियों में होना अन्य राज्यों में एक अपराध है; ऐसे में उत्तराखंड में यह नियम क्यों उल्लंघित हुआ, यह एक चिंता का विषय है।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट के इस निर्णय का सीधा प्रभाव निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर पड़ता है। यह अपेक्षा की जा रही है कि यह आदेश निर्वाचन आयोग को सही दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इसकी अनुपालन से अवश्य ही चुनावी प्रक्रिया की स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा।

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