उत्तराखंड में पीडीएनए प्रक्रिया का शुभारंभ, उत्तरकाशी और चमोली के लिए रवाना हुई टीमें

देहरादून: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से उत्तराखण्ड में पोस्ट डिज़ास्टर नीड्स असेसमेंट की प्रक्रिया बुधवार से प्रारम्भ हो गई है। इस कार्य हेतु गठित टीमें आज प्रभावित जनपदों के लिए रवाना हो गई हैं। पहली टीम ने उत्तरकाशी पहुंचकर और दूसरी टीम ने चमोली पहुंचकर जिलाधिकारी के साथ बैठक कर पीडीएनए को लेकर […]

Sep 25, 2025 - 00:39
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उत्तराखंड में पीडीएनए प्रक्रिया का शुभारंभ, उत्तरकाशी और चमोली के लिए रवाना हुई टीमें
उत्तराखंड में पीडीएनए प्रक्रिया का शुभारंभ, उत्तरकाशी और चमोली के लिए रवाना हुई टीमें

उत्तराखंड में पीडीएनए प्रक्रिया का शुभारंभ, उत्तरकाशी और चमोली के लिए रवाना हुई टीमें

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कम शब्दों में कहें तो: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उत्तराखंड में पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट (पीडीएनए) शुरू कर दी है। टीमें उत्तरकाशी और चमोली पहुंच चुकी हैं और कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है।

देहरादून: उत्तराखंड में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं के बाद, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने पीडीएनए प्रक्रिया की शुरुआत की है। यह प्रक्रिया बुधवार से उत्तराखंड के विभिन्न प्रभावित जनपदों में आरंभ हो चुकी है। प्रदेश के सचिव, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, श्री विनोद कुमार सुमन के दिशा-निर्देश में, टीमें तत्काल जनपदों के लिए रवाना हो गई हैं। पहली टीम उत्तरकाशी पहुंच गई है जबकि दूसरी टीम ने चमोली में जिलाधिकारी के साथ बैठक की।

इस कार्य के अंतर्गत, कल से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर क्षति का आकलन किया जाएगा। प्रदेश में इस वर्ष हुई भारी बारिश और बाढ़ से बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 135 लोगों की मृत्यु, 148 लोग घायल और 90 लोग लापता हो गए हैं। सड़क, बिजली, जल आपूर्ति, कृषि भूमि, वाणिज्यिक परिसरों व अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा भी प्रभावित हुआ है।

श्री सुमन ने बताया कि एनडीएमए के मार्गदर्शन में पीडीएनए प्रक्रिया आरंभ की गई है। इसके अंतर्गत विभिन्न विभागों के अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जिसमें पीडीएनए संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। साथ ही विभागों के प्रश्नों का समाधान भी किया गया है।

विशेषज्ञों की टीमों का गठन

पीडीएनए के लिए एनडीएमए, राज्य और जनपद स्तर पर विशेषज्ञों की चार टीमें गठित की गई हैं। इस क्रम में, पहली टीम देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी और टिहरी जिलों में सर्वेक्षण करेगी। दूसरी टीम पौड़ी, चंपावत और रुद्रप्रयाग के लिए निर्धारित है। तीसरी टीम पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर का दौरा करेगी, जबकि चौथी टीम ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और चंपावत का सर्वेक्षण करेगी।

टीमें जिलों में पहुंचकर सबसे पहले जिलाधिकारियों के साथ बैठकें करेंगी, उसके बाद प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण प्रारंभ करेंगी। एनडीएमए की ओर से कई विशेषज्ञों को टीम में शामिल किया गया है, जैसे कि सीबीआरआई के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार, आईआईटी रुड़की के प्रो. डॉ. श्रीकृष्णन शिवा, और अन्य अभियंता एवं वैज्ञानिक।

पीडीएनए का उद्देश्य और दृष्टिकोण

सचिव सुमन के अनुसार, पीडीएनए का मुख्य उद्देश्य आपदा से हुई क्षति का आकलन करना और समग्र पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण योजना तैयार करना है। इस प्रक्रिया में आपदा के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे प्रभावित जिलों और समुदायों की वास्तविक स्थिति समक्ष आ सके। पीडीएनए रिपोर्ट में अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण आवश्यकताओं को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा।

इसमें 'बिल्ड बैक बैटर' के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए राज्य में सुरक्षित और टिकाऊ पुनर्निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा। सामाजिक-आर्थिक पहलुओं के साथ-साथ लैंगिक और पर्यावरणीय पहलुओं को भी प्राथमिकता दी जाएगी ताकि पुनर्निर्माण कार्य सस्टेनेबल हो सके।

समाज और बुनियादी ढांचे का आकलन

पीडीएनए के तहत बुनियादी ढांचे का आकलन करते समय आवास एवं बस्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, सार्वजनिक भवन, पेयजल, स्वच्छता, सड़कों और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं का समावेश किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर क्षेत्र की वास्तविक स्थिति को सही तरीके से समझा जा सके।

इसके अलावा, उत्पादक क्षेत्रों जैसे कृषि, बागवानी, पशुपालन, आजीविका, वानिकी और पर्यटन तथा सांस्कृतिक धरोहर को भी मूल्यांकित किया जाएगा। इसके साथ ही क्रॉस-कटिंग क्षेत्रों, विशेषकर आपदा जोखिम न्यूनीकरण और पर्यावरणीय पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

अंततः, अंतिम रिपोर्ट को राज्य सरकार द्वारा तैयार किया जाएगा और इसे गृह मंत्रालय, भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा।

यह प्रक्रिया न केवल आपदा के प्रभाव को समझने में सहायक होगी, बल्कि भविष्य में बेहतर जोखिम प्रबंधन और सस्टेनेबल विकास की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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