उत्तराखंड पत्रकारिता जगत में शोक: अमर उजाला के ब्यूरो चीफ राकेश खंडूड़ी का निधन
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड के पत्रकारिता जगत के लिए एक और दुखभरी खबर सामने आई है। अमर उजाला समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ राकेश खंडूड़ी का आकस्मिक निधन हो गया। हृदय की बीमारी से जूझते हुए उन्होंने ऋषिकेश एम्स में अंतिम सांस ली। वह करीब 20 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता का हिस्सा थे और उन्होंने … The post अमर उजाला के ब्यूरो चीफ खंडूड़ी का निधन, शोक में पत्रकारिता जगत appeared first on Round The Watch.

उत्तराखंड पत्रकारिता जगत में शोक: अमर उजाला के ब्यूरो चीफ राकेश खंडूड़ी का निधन
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राजकुमार धीमान, देहरादून: उत्तराखंड के पत्रकारिता जगत के लिए एक और दुखद समाचार सामने आया है। अमर उजाला समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ राकेश खंडूड़ी का आकस्मिक निधन हो गया है। वह हृदय रोग से पीड़ित थे और उन्होंने ऋषिकेश एम्स में अंतिम सांस ली। राकेश खंडूड़ी ने लगभग 20 वर्षों तक सक्रिय पत्रकारिता की और इससे पहले हिमाचल प्रदेश में भी अपनी सेवाएं दी थीं। उनकी उम्र लगभग 51 वर्ष थी।
राकेश खंडूड़ी का पत्रकारिता करियर
राकेश खंडूड़ी ने अपने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत एक स्थानीय न्यूज़ पत्रिका से की। उन्होंने कई प्रमुख मीडिया हाउस में काम किया और विभिन्न मुद्दों पर रिपोर्टिंग की, जिसमें राजनीति, समाज और संस्कृति शामिल थे। उनकी लेखनी में एक गहरी सोच और समझ थी, जिसने उन्हें एक सम्मानित पत्रकार बना दिया। खंडूड़ी की कहानी हमें यह सिखाती है कि पत्रकारिता केवल सूचना प्रदान करने का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज की आवाज को उठाने का माध्यम भी है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और आकस्मिक निधन
हाल ही में, राकेश खंडूड़ी ने सफल हार्ट बाईपास सर्जरी कराई थी, हालांकि बीमारी से उबरने के बाद एक अचानक दिल का दौरा पड़ा। उन्हें तुरंत ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया, मगर चिकित्सक उन्हें बचाने में असफल रहे। उनके पार्थिव शरीर को डोईवाला के आवास पर लाया गया है, जहाँ से उनकी अंतिम यात्रा हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट तक होगी।
पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
राकेश खंडूड़ी का निधन भारतीय पत्रकारिता के लिए एक गहरी क्षति है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा उत्तरांचल प्रेस क्लब, विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। कई नेता, जैसे पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशान, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत, और सूर्यकांत धस्माना उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए, जो उनकी पत्रकारिता और उनके योगदान की मान्यता है।
पत्रकारों के स्वास्थ्य पर बढ़ते सवाल
राकेश खंडूड़ी जैसे पत्रकारों की स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंताओं को उजागर करती है। विशेष रूप से उत्तराखंड में, जहां पत्रकारिता का कार्य अक्सर जोखिम भरा होता है। इससे पहले, दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ विकास धूलिया के निधन ने भी पत्रकारिता में कार्यरत लोगों के स्वास्थ्य के मुद्दों को उठाया था। यह स्थिति हमें यह याद दिलाती है कि पत्रकारों की भलाई का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही से निभा सकें।
निष्कर्ष
राकेश खंडूड़ी की पत्रकारिता में जो मिसाल उनके कार्यों के माध्यम से स्थापित हुई, वह सदैव याद रखी जाएगी। उनके असामयिक निधन ने पत्रकारिता जगत में एक गहरी रिक्तता छोड़ दी है। हम उनके परिवार और उनके करीबी लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।
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