उत्तराखंड पंचायत चुनाव में चुनौतियाँ: दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को झटका, लेकिन चुनाव पर रोक नहीं

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर नैनीताल हाई कोर्ट से राहत और अड़चन के दरवाजे एक साथ खुले हैं। एक और जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने अपने मौखिक आदेश में निकाय चुनाव प्रक्रिया जारी रखने पर हरी झंडी दे दी है, वहीं राज्य निर्वाचन … The post मुश्किल में पड़ी पंचायत चुनाव की व्यवस्था, चुनाव पर रोक नहीं, पर दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को झटका appeared first on Round The Watch.

Jul 14, 2025 - 18:39
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उत्तराखंड पंचायत चुनाव में चुनौतियाँ: दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को झटका, लेकिन चुनाव पर रोक नहीं
मुश्किल में पड़ी पंचायत चुनाव की व्यवस्था, चुनाव पर रोक नहीं, पर दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को झटका

उत्तराखंड पंचायत चुनाव में चुनौतियाँ: दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को झटका, लेकिन चुनाव पर रोक नहीं

राजकुमार धिमान, देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने एक साथ राहत और समस्या के दरवाज़े खोल दिए हैं। जहां एक तरफ मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी है, वहीं दूसरी ओर राज्य निर्वाचन आयोग के 06 जुलाई के सर्कुलर पर रोक जारी रहने की स्थिति ने कई प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। इसके तहत उन प्रत्याशियों और मतदाताओं के नाम, जो नगर निकाय और पंचायत क्षेत्रों दोनों में दर्ज हैं, चुनाव में भाग लेने का अवसर दिया गया था।

कोर्ट का आदेश और चुनाव प्रक्रिया पर प्रभाव

कोर्ट का यह स्पष्ट आदेश केवल 06 जुलाई के सर्कुलर पर रोक लगाता है और 11 जुलाई 2025 का आदेश पंचायती राज अधिनियम के अनुरूप है। आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार, इस आदेश के बाद चुनाव प्रक्रिया में कोई कानूनी अवरोध नहीं है। राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया था, जिसमें बताया गया कि हाई कोर्ट के इस निर्णय से चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हुई है और आयोग ने इस प्रक्रिया में संसाधन पहले ही खर्च कर दिए हैं। ऐसे में, यदि रोक नहीं हटी तो चुनाव प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो जाएगी।

दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों पर रोक

पूर्व में, हाई कोर्ट ने रुद्रप्रयाग के शक्ति सिंह बर्थवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दो मतदाता सूची के साथ नामित प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उपधारा 6 में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है कि कोई व्यक्ति जो एक से अधिक मतदाता सूची में शामिल है, वो चुनाव नहीं लड़ सकता। आयोग ने इस नियम का उल्लंघन करते हुए ऐसे प्रत्याशियों के नामांकन पत्र ग्रहण कर लिए। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर रिटर्निंग अधिकारियों ने इस विषय पर विभिन्न निर्णय लिए, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।

चुनाव प्रक्रिया की चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

इस प्रक्रिया में कहीं नामांकन खारिज किए गए, तो कहीं स्वीकार कर लिए गए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार, कोर्ट ने अपने मौखिक आदेश में कोई बदलाव नहीं किया है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के आधिकारिक आदेश पर हैं। यदि मौखिक आदेश के अनुसार विस्तृत आदेश आता है, तो यह राज्य निर्वाचन आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा। चूँकि चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने का दबाव है, वहीं दूसरी ओर दोहरी मतदाता सूची वाले उम्मीदवारों को लेकर भी आयोग को निर्णय लेना होगा।

संभावित परिणाम और आयोग की स्थिति

यदि ऐसे प्रत्याशी चुनाव लड़ने का प्रयास करते हैं, तो हार-जीत की स्थिति में कोर्ट में वाद दर्ज होने की संभावना बढ़ जाएगी। सर्कुलर पर रोक बरकरार रहने की स्थिति में, आयोग क्या इन प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में बनाए रख पाएगा, ये एक बड़ा सवाल है। इस विषय में आयोग से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है।

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इस स्थिति ने राजनीति और चुनावों के प्रति जनता की रुचि को और बढ़ा दिया है। यह चुनाव प्रक्रिया सभी के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत कर रही है। चुनाव आयोग को भी आवश्यक हो गया है कि वह सभी प्रत्याशियों को नियमों का पालन कर सके और स्थिति को स्पष्टता से समझाए।

कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के मुद्दे जटिल और संवेदनशील हो गए हैं। चुनाव आयोग के सामने इस मामले को सुलझाने की बड़ी चुनौती है। इसके परिणाम आने वाले समय में राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएँ: https://haqiqatkyahai.com

सादर,
टीम हक़ीक़त क्या है - सुष्मिता गुप्ता

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