पति की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रही मां रेनू, डीएम ने लिया संज्ञान

देहरादून: जिला प्रशासन देहरादून द्वारा जनहित में निरंतर एक के बाद फैसले लिए जा रहे है। जिससे जनमानस में सरकार प्रशासन की नीतियों पर विश्वास बढा है। मा0 मुख्यमंत्री के जनसेवा सर्वोपरि के संकल्प से प्रेरित देहरादून जिले के जिलाधिकारी सविन बसंल अपनी प्रशासन की कोर टीम के साथ निरंतर जनहित त्वरित निर्णय ले रहे […]

Jul 14, 2025 - 18:39
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पति की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रही मां रेनू, डीएम ने लिया संज्ञान
पति की मृत्यु उपरान्त मृतक आश्रित कोटे से नौकरी को दर-दर भटक रही 2 बच्चों की मॉ रेनू, डीएम ने लिया संज्ञान

पति की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रही मां रेनू, डीएम ने लिया संज्ञान

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देहरादून: जिला प्रशासन देहरादून द्वारा जनहित में निरंतर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जा रहे हैं। इससे जनमानस में सरकार और प्रशासन की नीतियों पर विश्वास बढ़ा है। माननीय मुख्यमंत्री के जनसेवा सर्वोपरि के संकल्प से प्रेरित देहरादून जिले के जिलाधिकारी सविन बसंल अपनी प्रशासन की कोर टीम के साथ जनहित में त्वरित निर्णय लेते आ रहे हैं, जिससे लोगों को सुलभ न्याय मिल रहा है।

रेनू की दर्दनाक कहानी

हाल ही में, 7 जुलाई को आयोजित जनता दर्शन में एक गंभीर मामला सामने आया, जिसमें विधवा रेनू ने अपनी दास्तान सुनाई। रेनू ने कहा कि उनके पति सुरेंद्र सिंह नगर निगम देहरादून में पर्यावरण मित्र के पद पर कार्यरत थे। दुर्भाग्यवश, 17 अप्रैल 2025 को उनके पति का निधन हो गया। इस मुश्किल घड़ी में, रेनू के पास दो छोटी बेटियाँ हैं और उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है।

रेनू ने नगर निगम में नौकरी के लिए कई बार गुहार लगाई और सभी आवश्यक दस्तावेज भी सौंपे, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस स्थिति ने उनके लिए और उनके बच्चों के लिए बेहद कठिनाई पैदा कर दी। रेनू का सरकार से उम्मीद का दामन थामे रहना भी कठिन हो गया था।

जिलाधिकारी का त्वरित संज्ञान

इस शिकायत पर जिलाधिकारी सविन बसंल ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों और तहसीलदार को तलब किया और त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया। डीएम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब मृतक आश्रित कोटे से नौकरी का प्राविधान है, तो नगर निगम को इस मामले में क्या आपत्ति है। उनकी नाराजगी का जनसामान्य पर स्पष्ट प्रभाव पड़ा।

डीएम ने निर्देश दिया कि रेनू को जल्द से जल्द पति के स्थान पर नौकरी दी जाए। यह जानकर हैरानी हुई कि अधिकारियों द्वारा इस मामले को लम्बित रखने का कोई तर्क नहीं प्रस्तुत किया जा सका। इसके बाद, रेनू को अपने पति के श्रेणी में नौकरी मिलने की आशा नजर आने लगी है।

जिलाधिकारी का लगन और प्रयास

जिलाधिकारी सविन बसंल के जनहित में अडिग प्रयासों से प्रशासन पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। वे सप्ताहिक जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान दूर-दूर से आए लोगों की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में नगर निगम से लेकर राजस्व विभाग तक, विभिन्न प्रकार की शिकायतें आ रही हैं, और प्रशासन इन समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर है।

निष्कर्ष: सकारात्मक बदलाव की ओर

इस मामले ने यह स्पष्ट किया है कि जब प्रशासन की इच्छाशक्ति तत्पर हो, तो जनहित में त्वरित निर्णय लेकर लोगों को न्याय दिया जा सकता है। रेनू की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक सक्षम प्रशासन समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा कर सकता है।

उम्मीद है कि ऐसे और भी मामले सुलझाए जाएंगे, और जागरूकता के कारण जनमानस में विश्वास और बढ़ेगा। हम सभी को मिलकर ऐसे मामलों में सहयोग करना चाहिए और जनहित में उठाए गए कदमों का समर्थन करना चाहिए। इसके लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सके।

संदर्भ के लिए और अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएँ: हकीकत क्या है.

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