ईडी की बड़ी कार्रवाई: देहरादून के फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा, करोड़ों की ठगी का मामला

Amit Bhatt, Dehradun: अमेरिकी नागरिकों को माइक्रोसॉफ्ट का अधिकारी बनकर ठगने वाले देहरादून स्थित फर्जी कॉल सेंटर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने ए टू ज़ेड सॉल्यूशंस के मालिक अरिफ अली समेत नितिन गुप्ता, गर्वित सिंघल और उदित गर्ग के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत … The post ईडी का बड़ा एक्शन: देहरादून के फर्जी कॉल सेंटर पर शिकंजा, करोड़ों की ठगी का खुलासा appeared first on Round The Watch.

Sep 10, 2025 - 00:39
 101  66.4k
ईडी की बड़ी कार्रवाई: देहरादून के फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा, करोड़ों की ठगी का मामला
ईडी की बड़ी कार्रवाई: देहरादून के फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा, करोड़ों की ठगी का मामला

ईडी की बड़ी कार्रवाई: देहरादून के फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा, करोड़ों की ठगी का मामला

कम शब्दों में कहें तो: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देहरादून के फर्जी कॉल सेंटर पर बड़ी ताबड़तोड़ कार्रवाई की है, जिसने अमेरिकी नागरिकों को ठगने के मामले में करोड़ों की ठगी का पर्दाफाश किया।

अमित भट्ट, देहरादून: अमेरिकी नागरिकों को माइक्रोसॉफ्ट का अधिकारी बनकर ठगने वाले देहरादून स्थित फर्जी कॉल सेंटर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने "ए टू ज़ेड सॉल्यूशंस" के मालिक अरिफ अली समेत नितिन गुप्ता, गर्वित सिंघल और उदित गर्ग के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत विशेष न्यायालय में अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दाखिल की है। इस मामले में कोर्ट ने आरोपितों को नोटिस जारी कर दिए हैं।

जीवन के अंधेरे पहलू की परतें खोलता मामला

यह मामला जुलाई 2022 में तब सामने आया जब उत्तराखंड एसटीएफ ने न्यू रोड स्थित कॉल सेंटर पर छापा मारकर 14 आरोपितों को गिरफ्तार किया। इस छापे में बड़ी मात्रा में नकदी, लैपटॉप और डाटा बरामद किया गया था। इसके बाद ईडी ने मेघा रावत और अन्य के विरुद्ध दर्ज एसटीएफ की एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की।

ठगी का तरीका: कैसे करते थे इन आरोपितों ने ठगी

गिरोह के सदस्य खुद को माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारी बताकर विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे। वे हैकिंग एप्लीकेशंस के जरिए पीड़ितों के कंप्यूटरों और लैपटॉप पर एक्सेस हासिल कर लेते थे। इसके जरिए वे तकनीकी खामियां दूर करने और एंटीवायरस अपडेट करने का झांसा देकर प्रति कॉल 500 से 1000 डॉलर तक वसूली की जाती। इसके अलावा, वे पीड़ित के कंप्यूटर पर पोर्न साइट्स की सर्च हिस्ट्री डालकर ब्लैकमेलिंग भी करते थे और अधिक पैसे ऐंठने में सफल होते थे।

संगठित नेटवर्क: दिल्ली से डाटा की सप्लाई

इस गिरोह को विदेशी नागरिकों का डाटा दिल्ली की एक एजेंसी से प्राप्त होता था। यह एजेंसी माइक्रोसॉफ्ट के नाम से फर्जी टोल-फ्री नंबर जारी कराती थी, जिसे पॉप-अप संदेशों के माध्यम से विदेशी ग्राहकों तक पहुंचाया जाता था। जब कोई ग्राहक सहायता के लिए कॉल करता, तो उनका कॉल सीधे देहरादून के इस फर्जी कॉल सेंटर में ट्रांसफर कर दिया जाता।

संपर्क के जाल और कर्मचारियों की संख्या

इस फर्जी कॉल सेंटर में लगभग 300 कर्मचारी कार्यरत थे, जिन्हें प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपये वेतन दिया जाता था। अवैध तरीके से कमाई गई यह रकम गैरकानूनी चैनलों के माध्यम से भारत लाई जाती थी। ईडी ने उत्तराखंड पुलिस की छापेमारी में बरामद 1.26 करोड़ रुपये नकद को भी अपने कब्जे में ले लिया है।

जांच का विस्तार: सख्त कार्रवाई की तैयारी

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि ठगी के और जड़ों तक पहुँचने के लिए जांच में तेजी लायी जा रही है। वे इस धंधे में शामिल अन्य लोगों और धन के प्रवाह के स्रोत की भी जांच कर रहे हैं, जिससे यह जान सकें कि ये धन कैसे विदेश से भारत आया।

श्रीमती सविता देसाई, टीम हकीकत क्या है

इस मामले में आगे की कार्रवाई देखते हैं। इसके तहत, यदि आप और जानकारी चाहते हैं, तो यहां क्लिक करें

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow