हमने ठीक कर दिया...पहलगाम हमले पर गुस्से में अमेरिका ने क्या एक्शन ले लिया
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल की घटना के बाद पूरी दुनिया का समर्थन भारत को मिल रहा है। पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है और अपना समर्थन भारत के एक्शन को दे रही है। इसमें सबसे पहला नाम अमेरिका का है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन करके बातचीत की और उसके तुरंत बाद अमेरिका का पूरा प्रशासन भारत के समर्थन में आ गया है। लेकिन फिर भी अमेरिका में कुछ ऐसे गुट, दल और पत्रकार हैं जो भारत के खिलाफ जहर उगलना नहीं छोड़ रहे हैं। नजीतन एक बार फिर अमेरिका का न्यूयॉर्क टाइम्स सुर्खियों में आ गया। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट फिर से विवादों में आ चुकी है। अखबार की हेडलाइ इस बार अमेरिका प्रशासन को ही पसंद नहीं आई। इसे भी पढ़ें: 30 साल से हम ये गंदा खेल खेल रहे हैं...आतंक की फैक्ट्री बनने पर क्यों मजबूर हुआ पाकिस्तान? कैमरे पर रक्षा मंत्री ने कर दिया खुलासाअमेरिका के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों को मिलिटेंट कहकर संबोधित किया। इससे अमेरिका प्रशासन गुस्से में आ गया। अमेरिका प्रशासन भारत के समर्थन में भड़ककर आकर खुद खड़ा हो गया और न्यूयार्क टाइम्स की इस गलती को सुधारने के लिए आगे आया। रिपोर्ट में जहां इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों को मिलिटेंट्स बताया तो वहीं गनमैन तक लिखा गया। इस पर अमेरिका की सरकार ने कड़ी आलोचना की। अमेरिकी संसद के विदेश मामलों की समिति ने न्यूयॉर्क टाइम्स पर आतंकी शब्द की बजाए मिलिटेंट्स और गनमैन जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर पहलगाम हमले की गंभीरता को कम करने का आरोप लगाया। समिति ने सोशल मीडिया पोस्ट पर खुलकर पहलगाम हमले के लिए अखाबर की तरफ से चुने गए शब्दों की आलोचना की। इसे भी पढ़ें: मेरा पासपोर्ट इंडियन और मेरे बच्चे पाकिस्तानी, कैसे भारत से बाहर निकलें? पहलगाम अटैक के बाद अटारी बॉर्डर बंद होने पर आया ऐसा रिएक्शनसमिति ने इस रिपोर्ट को शेयर किया जिसका शीर्षक कश्मीर में मिलिटेंट्स ने 24 पर्यटकों को मार गिराया था। इस पर समिति ने रिपोर्ट में लिखे गए शब्द को काटकर इसे फिर से ठीक किया और उसे काटकर उसकी जगह टेररिस्ट लिखा। समिति ने कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स हमने आपकी इस हेडिंग को ठीक कर दिया। ये साफ तौर पर आतंकी हमला था। फिर चाहे वो भारत में हो या फिर इजरायल में। जब भी आतंकवाद की बात आती है तो न्यूयॉर्क टाइम्स वास्तविकता से कोसों दूर रहता है। अमेरिका की तरफ से दिया गया ये रिएलिटी चेक न्यूयॉर्क टाइम्स की आज तक की पत्रकारिता पर एक करारा तमाचा है।

हमने ठीक कर दिया...पहलगाम हमले पर गुस्से में अमेरिका ने क्या एक्शन ले लिया
Haqiqat Kya Hai - यह शीर्षक भारत के जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों हुए पहलेगाम हमले के संदर्भ में है। यह हमला न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर तनाव का कारण बना है। अमेरिका ने इस हमले के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट किया है कि वह इस प्रकार की हिंसा को सहन नहीं करेगा।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिका ने पहलेगाम हमले की निंदा करते हुए कई प्रकार के दंडात्मक कार्रवाई करने का संकेत दिया है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि ऐसे हमलों से न केवल स्थानीय समुदाय में डर और अवसाद पैदा होता है बल्कि इससे वैश्विक सुरक्षा पर भी खतरा मंडराता है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस हमले को 'अवमानना' के रूप में वर्णित किया और कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।
पहलगाम हमला: क्या हुआ था?
पहलगाम में एक बस पर हुए इस हमले ने न केवल भारतीय सुरक्षा बलों को बल्कि आम नागरिकों को भी प्रभावित किया। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई। इस कारण पूरे देश में शोक और गुस्से का माहौल है। भारत सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। सुरक्षा बलों ने कहा है कि वे इस हमले के पीछे के तत्वों को खोज निकालेंगे।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएँ
इस घटना के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं। कई देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई है और कहा है कि वे इस प्रकार के आतंकवादी हमलों का विरोध करते हैं। यूनाइटेड नेशंस में अमेरिकी राजदूत ने इसे एक सोशल कलीनर का काम कहा और भारत को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
क्या आगे की कार्रवाई होगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका पहलेगाम हमले के बाद भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करेगा। इससे न केवल सुरक्षा सहयोग में वृद्धि होगी बल्कि आतंकवाद से निपटने के लिए भी एक संयुक्त रूपरेखा तैयार की जा सकती है। यही नहीं, अमेरिका के प्रतिबंधात्मक कदमों से उन देशों पर दबाव डाला जा सकता है जो आतंकवाद को समर्थन देते हैं।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला और अमेरिका की प्रतिक्रिया ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संगठनों और देशों को एकजुट होना होगा। अमेरिका ने जो कदम उठाने का वादा किया है, वह भारत के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण है। इस संदर्भ में हमें देखकर आगे बढ़ना होगा कि अपनी आंतरिक सुरक्षा को कैसे और मजबूत किया जाए।
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