सिंचाई विभाग की महिला अधिकारी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के मामले में मुकदमा

Rajkumar Dhiman, Dehradun: सिंचाई विभाग में मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने वाली एक महिला कार्मिक के शैक्षिक दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। वर्तमान में वह प्रशासनिक अधिकारी पद पर कार्यरत है। अब सहायक अभियंता की तहरीर पर देहरादून की कैंट कोतवाली में महिला कार्मिक अंशुल गोयल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस … The post सिंचाई विभाग में महिला अफसर पर मुकदमा, फर्जी दस्तावेजों से पाई नौकरी appeared first on Round The Watch.

Aug 24, 2025 - 00:39
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सिंचाई विभाग की महिला अधिकारी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के मामले में मुकदमा
सिंचाई विभाग में महिला अफसर पर मुकदमा, फर्जी दस्तावेजों से पाई नौकरी

सिंचाई विभाग की महिला अधिकारी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के मामले में मुकदमा

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राजकुमार धीमान, देहरादून: उत्तराखंड के सिंचाई विभाग में मृतक आश्रित कोटे पर नियुक्त एक महिला अधिकारी अंशुल गोयल के बारे में हाल ही में यह चौकाने वाली जानकारी सामने आई है कि उन्होंने फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त की है। वर्तमान में वह प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं और उनके खिलाफ देहरादून की कैंट कोतवाली में सहायक अभियंता के द्वारा तहरीर दी गई है। यह मामला सरकारी नौकरी प्राप्त करने की प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न उठाता है।

फर्जी दस्तावेजों की खोजबीन

जांच का आरंभ तब हुआ जब अंशुल गोयल के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के फर्जी होने से संबंधित शिकायतें मिलीं। साल 2009 में, अंशुल को मृतक आश्रित कोटे के तहत सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त किया गया था। जब शिकायतकर्ता विनीत अग्रवाल ने उनके दस्तावेजों की वैधता की जांच करने के लिए औपचारिक पत्र लिखा, तब यह स्पष्ट हुआ कि अंशुल द्वारा प्रस्तुत हाईस्कूल की अंकतालिका और प्रमाणपत्र सब नकली थे।

जांच की प्रक्रिया में उठाए गए कदम

मुख्य अभियंता के कार्यालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति ने 18 फरवरी 2025 को अंशुल गोयल के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच के लिए कदम उठाए। जांच में पाया गया कि अंशुल गोयल के नाम से कोई भी अभ्यर्थी पंजीकृत नहीं था। इसके अलावा, उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के पत्र से स्पष्ट हुआ कि 2001 में उनके नाम पर कोई रिकॉर्ड नहीं था। इससे यह प्रमाणित हुआ कि अंशुल गोयल द्वारा प्रस्तुत शैक्षणिक दस्तावेज निसंदेह झूठे थे।

कानूनी कार्रवाई की शुरुआत

सहायक अभियंता इंद्र सिंह ने तहरीर दी जिसके आधार पर पुलिस ने अंशुल गोयल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। कैंट कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक केसी भट्ट ने जानकारी दी कि इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। अंशुल की प्रशासनिक स्थिति के अलावा, गिरफ्तारी के संभावित प्रभाव पर भी चर्चा की गई है। ऐसे मामलों में सख्त कानून लागू करने की जरूरत है ताकि फर्जी दस्तावेजों के मामलों में सख्त कार्रवाई की जा सके।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह मामला केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह सरकारी सेवा में नियुक्तियों की प्रक्रिया में बुनियादी खामियों को भी उजागर करता है। ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कदम उठाना अत्यावश्यक है ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक पारदर्शी और प्रभावी व्यवस्था बनाई जा सके। अंशुल गोयल का भविष्य अब खतरें में पड़ चुका है, और यह मामला कार्यपालिका की नीयत और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

निष्कर्ष

सरकारी कर्मचारियों के अनुशासनहीनता के हालिया मामलों ने समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। यह मामला स्पष्ट करता है कि हमें मजबूत और पारदर्शी प्रक्रियाओं की आवश्यकता है। जैसे-जैसे इस मामले की जांच आगे बढ़ेगी, समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।

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सादर,

टीम हकीकत क्या है, साक्षी शर्मा

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