युद्ध काल में लक्ष्मणरेखा लांघता विपक्ष

पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए क्रूर आतंकी हमले की सूचना मिलते ही गृह मंत्री अमित शाह कश्मीर पहुंच गए, प्रधानमंत्री मोदी विदेश दौरा बीच में ही रोक कर वापस आए, एअरपोर्ट पर ही सम्बंधित अधिकारियों के साथ बैठक की, और अगले ही दिन आतंकियों और उनके पीछे पीछे शत्रुओं को ऐसा दंड देने की घोषणा की जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। इसके बाद सरकार के सभी अंग अपने अपने काम पर लग गए और विपक्ष सरकार का उपहास उड़ाने में। सरकार ने पहले बड़े कूटनीतिक निर्णय लेते हुए सिन्धु जल समझौते को स्थगित किया फिर पूरी तैयारी के साथ ऑपरेशन सिन्दूर लांच हुआ, जिसके अंतर्गत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तथा पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकाने नष्ट किये गए जिनमें सौ से अधिक आतंकवादी मारे गए। भारत ने पाकिस्तान के किसी सैन्य ठिकाने या नागरिक क्षेत्र को निशाना नहीं बनाया और स्पष्ट किया कि उसकी कार्यवाई केवल आतंक के विरुद्ध है किन्तु पाकिस्तानी सेना फिर भी बीच में कूद पड़ी और भारत के सैन्य तथा नागरिक क्षेत्र को निशाना बनाकर हमले किए। भारत के पलटवार के बाद पाकिस्तान में तबाही का मंजर देखा गया और  फिर अचानक सीज़ फायर हो गया। इसके पश्चात प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि यह युद्ध विराम नहीं मात्र स्थगन है, ऑपरेशन सिन्दूर जारी है। वर्तमान में भारत के सर्वदलीय सांसद समूह विश्व के अलग अलग देशों में भारत का पक्ष रखने पहुंचे हुए हैं।विगत एक माह के इस समस्त घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस पार्टी व इंडी गठबंधन के नेता यह बयान तो देते रहे कि वे आतंकवाद के खिलाफ सरकार जो भी रणनीति अपनाएगी उसके साथ पूरी तरह से एकजुट होकर खड़े रहेंगे किन्तु उनकी करनी उनकी इस कथनी के एकदम विपरीत है। ऑपरेशन सिन्दूर लांच होने से पूर्व, सीज फायर की घोषणा और फिर संसदीय दलों की सूची बनने तक राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडी गठबंधन के नेता जिस प्रकार की बयानबाजी, प्रदर्शन और सोशल मीडिया पोस्ट कर रहे हैं कर रहे हैं उससे यह स्पष्ट हो गया है कि वास्तव में इन दलों द्वारा आपदकाल में एकजुट रहने की बात करना एक कोरा दिखावा मात्र है।इसे भी पढ़ें: सही कहा राहुल जी, देश को सच्चाई जानने का हक हैकांग्रेस ने सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी की बिना सिर की तस्वीर सोशल मीडिया पर जारी की और उसके ऊपर गायब लिखा, सोशल मीडिया पर हुए भारी विरोध के बाद भी कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रकोष्ठ की हेड उसका बचाव करती रहीं लेकिन बाद में मजबूरन उनको वह पोस्ट हटाना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ने राफेल का उपहास उड़ाया। कुछ विरोधियों ने तो दो कदम आगे बढ़कर इसे चुनावी स्टंट तक बता दिया। ये लोग लगातार प्रधानमंत्री के मीम सोशल मीडिया पर डालते रहे। विमर्श बदलने और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए इन्होने पहलगाम की घटना को हल्का करने और इस सत्य पर चूना पोतने का प्रयास किया कि आतंकवादियों ने धर्म पूछकर केवल हिन्दू पुरुषों को मारा। मीडिया बहसों के दौरान किसी भी विरोधी दल के प्रवक्ता ने यह नहीं कहा कि पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर मारा है अपितु वह सभी लोग यही कहते रहे कि आतंकवादियों ने कुछ निर्दोष लोगों को मार दिया। साथ ही मुस्लिम परस्त विरोधी दलों के नेता लगातार ये कहने लगे कि किसी एक के आतंकवादी होने से पूरी कौम को आतंकी नहीं कह सकते जबकि उस समय यह विषय ही चर्चा करने का नहीं था। ऑपरेशन सिंदूर स्थगन के बाद से राहुल गांधी व इंडी गठबंधन के नेता व प्रवक्ता सरकार के विरोध की लक्ष्मण रेखा लांघ कर उसे राष्ट्र विरोध में बदल रहे है। राहुल गांधी, इंडी गठबंधन व उनके प्रवक्ता मीडिया के सामने जो प्रश्न कर रहे हैं वो पाकिस्तान व आतंकवादियों के लिए कवर फायर देने वाले हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व उत्तर प्रदेश के स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोगों को ऑपरेशन सिंदूर एक छुटपुट घटना लग रही है। इन लोगों के अनुसार यह ऑपरेशन 24 घंटे में ही फुस्स हो गया। कांगेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का पाकिस्तान प्रेम तो अद्भुत ही उनका कहना है कि “अपने पाकिस्तान“ से युद्ध चल रहा है। राहुल गांधी व इंडी गठबंधन ने आज तक ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा नहीं की है अपितु वह पूछ रहे हैं कि इस ऑपरेशन में हमने कितने पायलट खो दिये हैं, हमारे कितने विमान नष्ट हुए। कांग्रेस प्रवक्ता दो हाथ आगे जाकर ऑपरेशन सिंदूर को सौदा बता रहे हैं। विपक्ष उसी तरह से बौखलाया दिख रहा है जिस तरह से पाकिस्तान। अब जबकि अभी ऑपरेशन सिंदूर का एक छोटा सा चक्र ही पूरा हुआ है राहुल गांधी और अन्य विपक्ष विदेश मंत्री के बयान को तोड़ मरोड़ कर उनके पीछे पड़ गया है और उनके इस्तीफे की मांग कर रहा हैं, सुनियोजित तरीके से सीजफायर के मामले पर अमेरिकी दबाव के आगे झुकने का झूठ फैला रहा है। जब अमेरिका ने पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने पर हमला किया था तब अमेरिका ने भी पाकिस्तान को पूर्व में ही सूचित कर दिया था यह एक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का अहम हिस्सा है और भारत ने भी उसी नियम का पालन किया है किंतु पता नही क्यों राहुल गांधी को इस पर भी राजनीति करनी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर विदेश मामलों के विशेषज्ञ हैं, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता उनको “मुखबिर“ कह रहे हैं।  राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी उरी से लेकर पुलवामा और पहलगाम तक हर घटना पर संदेह व्यक्त किया है और कभी भी पाकिस्तान व आतंकवाद के खिलाफ नहीं बोली। इतना ही नहीं इन्होने पुलवामा के बाद हुई एयर स्ट्राइक का सबूत भी माँगा। वर्तमान कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से अर्बन नक्सलियों के शिकंजे में जा चुकी है। आज वो लोग सरकार व सेना पर सवाल उठा रहे हैं जिनकी मुस्लिम तुष्टिकरण नीति के कारण आज आतंकवाद व आतंकवादी नासूर बन गये हैं। वो लोग सवाल उठा रहे हैं जिनके रहते कश्मीर घाटी में हिन्दुओं के साथ 1980- 90 के दशकों में खून की होली खेली गई और कश्मीर घाटी हिन्दुओं से विहीन कर दी गई। इन सभी दलों को 2004से 2014 तक

May 23, 2025 - 18:39
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युद्ध काल में लक्ष्मणरेखा लांघता विपक्ष
युद्ध काल में लक्ष्मणरेखा लांघता विपक्ष

युद्ध काल में लक्ष्मणरेखा लांघता विपक्ष

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Written by Kavita Sharma, Priya Malhotra, and Anita Gupta. Signed off by team haqiqatkyahai.

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले की घटना ने न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि इसने राजनीतिक स्थिति को भी जटिल बना दिया है। हमले की सूचना मिलते ही, गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर का दौरा किया, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विदेश दौरे को बीच में ही समाप्त कर दिया। इस समय पर सभी सरकारी अंग सजग हो गए और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने में जुट गए। लेकिन, इस आपातकालीन स्थिति में विपक्ष की स्थिति क्या थी? कुछ कड़े सवाल उठते हैं जिनका उत्तर खोजना जरूरी है।

विपक्ष का उपहास और बयानबाजी

सरकार ने सिन्धु जल समझौते को स्थगित किया और ऑपरेशन सिन्दूर की घोषणा की, जिसके तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई की गई। यह सभी कार्रवाईयां आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम थीं, लेकिन विपक्ष ने इस पर मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन के नेताओं ने एक ओर जहां यह कहा कि वे सरकार के साथ खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर गैर-जिम्मेदाराना बयान देना शुरू कर दिया। क्या इन सबका मकसद केवल राजनीतिक लाभ उठाना था? यह एक गंभीर सवाल है।

राहुल गांधी और उनके दल के नेताओं के ट्वीट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स ने साफ दिखाया कि उनकी कही बातें केवल दिखावे के लिए थीं। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री मोदी की बिना सिर की तस्वीर साझा की और बाद में उस पर विवादित टिप्पणी की, जो किसी भी संवेदनशील समय के लिए अनुचित लगी। यह घटना उनके नेत्रत्व में विपक्ष के एकजुट रहने के दावे को कमजोर करती है।

क्या विपक्ष ने लक्ष्मणरेखा लांघी?

विपक्ष की बयानबाजी ने यह स्पष्ट कर दिया कि आपातकालीन स्थिति में भी वे अपनी राजनीति करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। विपक्ष के नेताओं ने खुले तौर पर सरकार की कूटनीति और कार्रवाई पर सवाल उठाए, जैसे कि ऑपरेशन सिन्दूर की प्रभावशीलता को चुनौती देना। मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेताओं का ‘अपने पाकिस्तान’ के बयान ने तो और भी प्रश्न उठाए। क्या ऐसी बातों से सुरक्षा व्यवस्था को खतरा नहीं है?

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि विपक्ष के सवाल और आलोचना का भी एक स्थान होता है, लेकिन यह भी एक जिम्मेदारी है कि वे सीमा को पार न करें, खासकर तब जब देश युद्धकाल में हो। इस समय, जब भारतीय सैनिक सख्त कार्रवाई कर रहे हैं, विपक्ष को स्वयं को राष्ट्र के हित में खड़ा करना चाहिए।

निष्कर्ष: देशहित या स्वार्थ?

इस संकट के समय में, भारत को एकता की आवश्यकता है। लेकिन विपक्ष की राजनीति और बयानबाजी ने यह संदेश दिया है कि वे लक्ष्मणरेखा लांघने के लिए तैयार हैं। यह अहम है कि हम सभी को इस बात की याद दिलाई जाए कि जब देश की सुरक्षा की बात हो, तो हमें राजनीति से ऊपर उठकर सोचना होगा।

आपातकाल में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों का एक-दूसरे पर आमने-सामने आना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसे समय में लक्ष्मणरेखा का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि देशहित और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके। हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी राजनीति देश की खोज में कोई बाधा न बने।

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