यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही !

पहलगाम आतंकी घटना के बाद भारत के वीर जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों को जिस तरह से नष्ट भ्रष्ट किया, विश्वभर में उसका कोई दूसरा उदाहरण सहसा ही स्मरण नहीं आता। आतंकी ठिकानों की विनाश और सैकड़ों आतंकियों के अर्थी एक साथ उठने से बौखलाए पाकिस्तान ने भारतीय शहरों, आम नागरिकों, पूजा स्थलों और सैन्य ठिकानों पर हमले करके जिस अदूरदर्शिता का परिचय दिया उसके बारे में क्या कहा ही कहा जाए।पाकिस्तानी सेना के हमलों के प्रत्युत्तर में जब वीर भारतीय सैनिकों ने अपने हथियारों का रुख पाकिस्तान की ओर मोड़ा तो तीन ही दिन में पाकिस्तान दया की भिक्षा मांगने लगा। दुनिया में श्रेष्ठ सैनिकों में शामिल भारतीय सैनिकों ने जिस तरह पाकिस्तान के हमलों को कुशलता पूर्वक असफल किया और उसके सैन्य ठिकानों पर अचूक निशाना लगाया है, उससे विश्व की तमाम छोटी—बड़ी शक्तियां अवाक और संज्ञाशून्य की स्थिति में है। दोनों देशों के डीजीएमओ की बातचीत के बाद मौखिक संघर्ष विराम हो चुका है। पाकिस्तान की प्रवृति, चरित्र और इतिहास के आलोक में एक बात स्पष्ट तौर पर जान लीजिए, या गांठ बांध लीजिए, आज नहीं तो कल युद्ध तो होना ही है।इसे भी पढ़ें: युद्धकाल में सेना व सरकार के शौर्य और रणनीति पर सवाल उचित नहींप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मिनट के अपने सटीक, संतुलित और सारगर्भित संबोधन में पाकिस्तान के दुष्ट आचरण और दुष्प्रवृति को समस्त विश्व के समक्ष निरावृत करने में कोई कसर शेष नहीं  छोड़ी। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से साहसी भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को जितनी गहरे घाव दिये हैं, वो उसकी आने वाली संततियों को भी विस्मृत नहीं होंगे। वर्ष 1948, 1965, 1971 और 1999 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को इतनी बुरी तरह से नहीं पीटा, जितना ऑपरेशन सिंदूर में उसको क्षति पहुंची है। जितने गहरे घाव उसे इस बार वीर भारतीय सैनिकों ने दिये हैं, वो अगर पूर्व में दिये गये होते तो यह दिन देखने की आवश्यकता नहीं होती। एक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में पाकिस्तान हर बार बचता रहा। और हमारे सैनिक चाहकर भी पाकिस्तान को छोड़ते रहे। लेकिन वर्तमान में पीएम मोदी की सरकार ने जिस दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम ही है।साहसी भारतीय सेना के हमलों से हो रहे प्रत्यक्ष और संभावित नुकसान के दृष्टिगत पाकिस्तान अपने आका अमेरिका की शरण में गया, लेकिन उसे वहां से भी कोई संतोषप्रद आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ। अंततोगत्वा पाकिस्तान के मिलट्री ऑपरेशन के डीजी ने अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क साधा। भारतीय सेना ने अपने संकल्पों, नियमों और इच्छा अनुकूल संघर्ष विराम की उद्घोषणा की। संघर्ष विराम का क्रेडिट लेने का भरपूर प्रयास अमेरिका और उसके राष्ट्रपति ट्रम्प ने किया। लेकिन भारतीय सेना की ब्रीफिंग और पीएम मोदी के संबोधन ने अमेरिका के सारे दावों की वायु निकाल दी।एक प्रसिद्ध कहावत है, चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए। और पाकिस्तान ही वह चोर है, जो हेरा फेरी से बाज नहीं आएगा। संघर्ष विराम की घोषणा के बाद भी उसके आचरण में अधिक परिवर्तन देखने को नहीं मिला। इसलिए भारत सरकार और पीएम मोदी ने स्पष्ट संदेश पाकिस्तान को दिया है कि भविष्य में आतंक की घटना को युद्ध माना जाएगा।पाकिस्तान अपने चरित्र के अनुरूप आचरण करेगा, यह मेरा ही नहीं, हर जागरूक नागरिक का अटल विश्वास है। भारतीय नीति और विचार यह है कि हमारे लिए आतंकवाद समाप्त हो जाए तो हमारा संघर्ष और युद्ध समाप्त हो जाएगा। उसे हम अपनी जीत मान लेंगे। लेकिन पाकिस्तान के लिए यह लड़ाई कभी समाप्त नहीं होगी क्योंकि उसका वास्तविक लक्ष्य है भारत को मिट्टी में मिलाना है। उसका जन्म ही भारत से घृणा के आधार पर हुआ है। जब तक भारत है, तब तक पाकिस्तान की लड़ाई है। तो भारत का होना, भारत की उपस्थिति, भारत का अस्तित्व ये पाकिस्तान के लिए जोखिम है। वो इसी जोखिम को समाप्त करने का प्रयास करता रहता है।भारत को मिट्टी में मिलाने के पाकिस्तान ने पहले युद्ध के माध्यम से प्रयास किए। जब उसने यह  देखा कि युद्ध में हानि अधिक है, और वह अपने लक्ष्यों का प्राप्त नहीं कर पा रहा है तो उसने छद्म युद्ध शुरू किया। इस छद्म युद्ध के अंतर्गत आतंकवादियों का संरक्षण, प्रशिक्षण देकर भारत में अशांति फैलाने की नीति पर चलना शुरू किया। इसमें कोई बड़ा खर्च भी नहीं है। शस्त्र क्रय करने के लिए उसे धन अमेरिका, यूरोप, तुर्की और चीन दे ही देते हैं। अफगान युद्ध का उसने खूब लाभ उठाया। अमेरिका से उसने पैसा भी लिया, हथियार भी लिए। पहले रूस से लड़ने के लिए, फिर अफगानिस्तान से लड़ने के लिए। अमेरिका को भी धोखा देता रहा। ओसामा बिन लादेन को अपने यहां छुपा कर रखा और अमेरिका को पता नहीं लगने दिया। आखिरकार अमेरिका ने खोज लिया और खोज कर मारा।इसमें कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान किसी को भी धोखा दे सकता है। और भारत को तो हमेशा धोखा ही देगा। पाकिस्तान की एक बात पर हमेशा विश्वास करना चाहिए कि उस पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। वो हमेशा दगा देखा, हमेशा धोखा देगा। इसलिए वो चाहे कोई भी वायदा करे तब भी उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए कि वो भविष्य में आतंकवाद का साथ नहीं देगा। वो सिर्फ अवसर की प्रतीक्षा करेगा। वर्तमान में जो स्थितियां वहां भारत के हमले के बाद उपजी हैं, उसके चलते पाकिस्तान की सेना और सरकार आमजन में अपनी छवि और साख को बनाए रखने के लिए भारत को नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हटेगा। ये बात गांठ बांध लीजिए। ये संघर्ष विराम उसे इसीलिए चाहिए था, सांस लेने का अवसर। जो घाव भारतीय सेना ने उसे दिये है, उन पर मरहम पट्टी का अवसर चाहिए था। उसे फिर से तैयारी का अवसर चाहिए था। फिर से आतंकवादी गतिविधियों की रणनीति बनाने का समय और मौका चाहिए था। उसे तीन वस्तुओं की आवश्यकता थी। समय, पैसा और हथियार। और उसको ये तीनों चीजें संघर्ष विराम ही दिला सकता था। और उसे संघर्ष विराम मिल चुका ह

May 14, 2025 - 18:39
 147  501.8k
यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही !
यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही !

यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही!

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - haqiqatkyahai

By Anjali Verma, Priya Singh, and Neelam Gupta, Team haqiqatkyahai

परिचय

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों पहलगाम आतंकी घटना के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर की सहायता से पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर बजबजाते हमले किए हैं जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान दयावश भारतीय सरकार से संपर्क करने के लिए मजबूर हुआ। यह स्थिति एक अल्पविराम हो सकती है, लेकिन क्या यह वास्तव में युद्ध के प्रत्याशा में एक ठहराव है? आइए इस महत्वपूर्ण विषय की गहराई से चर्चा करें।

भारतीय सैनिकों की साहसी कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सैनिकों ने जिस साहस और कुशलता से पाकिस्तान स्थित आंतकवादी अड्डों को समाप्त किया, उसका कोई अन्य उदाहरण नहीं मिलता। सामरिक दृष्टि से, भारतीय सेना की यह कार्रवाई यह सिद्ध करती है कि अगर स्थिति अनियंत्रित हो तो भारतीय बल त्वरित और प्रभावी उत्तर देने में सक्षम हैं।

ऐसे समय में जब पाकिस्तान ने भारतीय शहरों, पूजा स्थलों और सैन्य ठिकानों पर हमले किए, भारतीय सुरक्षा बलों ने कुशलता से उन हमलों का ठोस जवाब दिया। इसे ही भारतीय सेना की वीरता कहा जाएगा। भारतीय सैनिकों ने जिस तरह से पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सफलतापूर्वक निशाना लगाया है, उसने वैश्विक दृष्टिकोण से दोनों देशों के बीच की शक्ति संतुलन को पूरी तरह बदल दिया है।

संघर्ष विराम की स्थिति

हालांकि, वर्तमान में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत जारी रहने के कारण एक मौखिक संघर्ष विराम की घोषणा की गई है। इसके बावजूद, इस संघर्ष विराम के पीछे की राजनीतिक स्थिति को समझना और भी आवश्यक है। इतिहास को देखते हुए, पाकिस्तान की प्रवृत्तियों को महसूस किया जा सकता है, और यह स्पष्ट है कि यह केवल एक अस्थायी ठहराव है।

भविष्य की ओर संकेत

पाकिस्तान हमेशा से ही भारत के खिलाफ आतंकवाद का सहारा लेता रहा है। अगर भारत इस अचानक पल में विश्वास करता है, तो यह उसके लिए एक बड़ी भूल हो सकती है। भारतीय नेताओं की दृढ़ इच्छाशक्ति और सशस्त्र बलों की क्षमता को देखते हुए, समय आ चुका है कि भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा में कोई खतरा उठाने से पहले पूरी तैयारी करना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समझदारी भरे और संतुलित संबोधन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय सेना का संघर्ष और प्रभाव केवल इस युद्ध तक सीमित नहीं है। यह संघर्ष पूरे क्षेत्र को प्रभावित करने वाले सुरक्षा मुद्दों में निहित है।

निष्कर्ष

समय अभी अपनी अंतिमता को नहीं पहुंचा है; यह एक ऐतिहासिक मोड़ है जब भारत अपने शौर्य का प्रदर्शन कर सकता है। संघर्ष विराम केवल एक क्षणिक ठहराव है, और भारत के लिए यह युद्ध के तैयारियों का एक हिस्सा है। हमें अपने सैनिकों के साहस पर गर्व है और उनका समर्थन करना हमारे नैतिक दायित्व है।

Keywords:

India-Pakistan Conflict, Operation Sindoor, Indian Army, Ceasefire, Political Analysis, Terrorism, National Security, Military Strategy, Prime Minister Modi, Indo-Pak Relations

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow