महिला का इस्तेमाल कर एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करने वाले वकील को 12 साल की सजा

लखनऊ (महानाद) : महिला का इस्तेमाल कर एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करने वाले एक वकील को विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) विवेकानंद शरण त्रिपाठी की कोर्ट ने 12 साल की सजा सुनाई है। वकील पर 45 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। वकील पर एससी/एसटी एक्ट में पीड़ित को मिलने वाले मुआवजे को भी […]

Nov 6, 2025 - 09:39
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महिला का इस्तेमाल कर एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करने वाले वकील को 12 साल की सजा

लखनऊ (महानाद) : महिला का इस्तेमाल कर एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करने वाले एक वकील को विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) विवेकानंद शरण त्रिपाठी की कोर्ट ने 12 साल की सजा सुनाई है। वकील पर 45 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। वकील पर एससी/एसटी एक्ट में पीड़ित को मिलने वाले मुआवजे को भी हड़पने का दोष साबित हुआ है।

वकील को सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ‘यह मुकदमा सत्य की खोज की एक यात्रा थी, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि पूरी कहानी काल्पनिक थी और अभियुक्तों व कथित पीड़िता को एक शातिर वकील ने कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया।’

बता दें कि 2023 में पूजा रावत नाम की महिला ने लखनऊ के चिनहट पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करवाते हुए आरोप लगाया था कि विपिन यादव, राम गोपाल यादव, मौहम्मद तासुक और भागीरथ पंडित ने उसके साथ मारपीट, छेड़छाड़ की और जातिसूचक गालियां दीं। महिला की शिकायत पर पलिस ने उक्त लोगों के खिलाफ धारा 406, 354, 504, 506 आईपीसी और धारा 3(2)5ए एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। दरअसल, पूजा रावत ने मल्हौर इलाके में मौहम्मद तासुक से एक दुकान किराए पर ली थी। लॉकडाउन के दौरान किराया न देने के कारण तासुक ने उसे दुकान खाली करने को कहा तो पूजा रावत ने आरोप लगाया कि उसने दुकान पर ताला लगा दिया, उसका सामान बाहर निकाल दिया और उसके साथ मारपीट कर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया।

सुनवाई के दौरान जब पीड़िता अदालत में पेश हुई तो उसने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उसके साथ कोई ऐसी घटना नहीं हुई थी, वकील परमानंद गुप्ता ने उसके दस्तावेज लेकर उनका दुरुपयोग करते हुए उक्त लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था।

कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वकील परमानंद गुप्ता ने न केवल निर्दाेष लोगों को फंसाने का षड्यंत्र रचा, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को भी कलंकित किया। कोर्ट ने कहा कि वादिनी और अभियुक्त दोनों ही इस मामले में कठपुतलियां थे, असली सूत्रधार वकील था, जिसने एससी/एसटी एक्ट की भावना को तोड़-मरोड़ कर झूठा मुकदमा गढ़ा।

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि फर्जी मुकदमे दर्ज कराने वालों पर सख्त कार्रवाई करे। इस तरह के मामलों में राहत राशि केवल आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही दी जाए, ताकि एक्ट का दुरुपयोग रोका जा सके। कोर्ट ने डीएम लखनऊ को पूजा रावत को दी गई 75 हजार की राहत राशि परमानंद गुप्ता से वसूलने के निर्देश दिये। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिये की यह जांच भी की जाये कि आरोप लगाने वाले ने इस तरह के कितने मामले पहले किसी और या आरोपियों पर दर्ज करवाए हैं।

बता दें कि इससे पहले 19 अगस्त को एससी/एसटी कोर्ट ने एक अन्य मामले में वकील परमानंद गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट के निर्णय की प्रति बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद को भेजी गई है, ताकि परमानंद की वकालत पर प्रतिबंध लगाया जा सके।

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