बिल्डर शाश्वत पर अब इंपीरियल वैली में धोखाधड़ी का मुकदमा, पत्नी साक्षी और पार्टनर विकास ठाकुर भी आरोपी
Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून से करोड़ों रुपये समेटकर परिवार सहित फरार बिल्डर शाश्वत गर्ग और उसकी पत्नी साक्षी गर्ग पर आर्केडिया हिलॉक्स के बाद अब थानो में इंपीरियल वैली प्रोजेक्ट में भी धोखाधड़ी का मुकदमा रानीपोखरी थाने में दर्ज किया गया है। यह मुकदमा प्रेमनगर क्षेत्र की भूड़ गांव निवासी रीना पाल ने कराया है, … The post बिल्डर शाश्वत पर अब इंपीरियल वैली में धोखाधड़ी का मुकदमा, पत्नी साक्षी और पार्टनर विकास ठाकुर भी आरोपी appeared first on Round The Watch.
Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून से करोड़ों रुपये समेटकर परिवार सहित फरार बिल्डर शाश्वत गर्ग और उसकी पत्नी साक्षी गर्ग पर आर्केडिया हिलॉक्स के बाद अब थानो में इंपीरियल वैली प्रोजेक्ट में भी धोखाधड़ी का मुकदमा रानीपोखरी थाने में दर्ज किया गया है। यह मुकदमा प्रेमनगर क्षेत्र की भूड़ गांव निवासी रीना पाल ने कराया है, जिसमें बिल्डर दंपती के पार्टनर विकास ठाकुर को भी आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि तीनों ने परियोजना में प्लॉट बेचने के नाम पर रीना से 75.51 लाख रुपये ठग लिए। पैसे लेने के बाद रजिस्ट्री नहीं कराई गई और अब गर्ग दंपती गायब हैं।

इससे पहले आर्केडिया हिलॉक्स में 21 फ्लैटों के आवंटन में करोड़ों रुपये हड़पने के केस में गर्ग दंपती के साथ ही उनके स्वजनों, परिचितों और कुछ वित्तीय संस्थाओं पर भी एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। साथ ही गर्ग दंपती के पासपोर्ट रद्द किए जा चुके हैं। उनके नेपाल भागने की सूचना है। हालांकि, पुलिस ने लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया है।
इंपीरियल वैली का ताजा मामला प्लॉट बिक्री से जुड़ा है, जिसमें रीना का आरोप है कि उन्होंने परियोजना में भूमि खाता संख्या 18 (फसली वर्ष 1422 से 1427) के खसरा संख्या 202ग, जिसका प्लॉट संख्या 36 (इम्पीरियल वैली), रकबा 208.34 वर्गमीटर, मौजा ककनावा मयचक तल्ली, परगना परवादून, तहसील डोईवाला, जिला देहरादून में बुक कराया था।
यह सौदा भूमि के वास्तविक स्वामी विकास ठाकुर, निवासी शास्त्रीनगर, जिला देहरादून ने कराया था। विकास ठाकुर बिल्डर गर्ग दंपती की फर्म असगर टेक्सटाइल में पार्टनर है और यही फर्म परियोजना का निर्माण कर रही थी। खरीदारों को झांसे में लेने के लिए तीनों ने असगर टेक्सटाइल के माध्यम से भूमि विक्रय करने से पूर्व भूमि का लेआउट तैयार कर भूमि को एमडीडीए से स्वीकृत कराया गया।
साथ ही उत्तराखंड रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) द्वारा पंजीयन संख्या UKREP04250000631 के रूप में पंजीकृत कराया गया था, जिसमें एमडीडीए की ओर से स्वीकृत मैप के अनुसार असगर टेक्सटाइल व पार्टनर विकास ठाकुर ने प्लॉट आवंटित किए गए थे तथा सभी भूमि भागों पर प्लॉट संख्या अंकित कर लेआउट तैयार किया गया था। उसी के अनुरूप विपक्षी विकास ठाकुर एवं असगर टेक्सटाइल द्वारा भूमि भागों में विक्रय किया जाना था।
तीनों व्यक्तियों से भूमि का कुल सौदा मूल्य 75.51 लाख रुपये में तय किया गया, जिसकी एवज में 35.51 लाख रुपये नगद रूप से विपक्षगणों को रीना ने स्वयं और अन्य लोगों की मदद से लेकर दिए। शेष धनराशि 40 लाख रुपये का अनुबंध पत्र बैंक ऋण हेतु बनाया गया, जिस पर प्रार्थिनी ने भारतीय स्टेट बैंक से 40 लाख रुपये का ऋण प्लॉट क्रय करने हेतु लिया। इस पर भारतीय स्टेट बैंक ने 20 लाख रुपये का डीडी संख्या 359867 दिनांक 04.09.2025 विकास ठाकुर के नाम से बनाया गया तथा 20 लाख रुपये का डीडी संख्या 359866 दिनांक 04.09.2025 असगर टेक्सटाइल के नाम से बनाया था।
लेकिन आरोपी रजिस्ट्री के नाम पर टालमटोल करते रहे और रीना के पक्ष में कोई भी विक्रय पत्र संपादित नहीं कराया गया। पीड़िता ने 1,68,800 रुपये का स्टांप शुल्क भी दिनांक 06.09.2023 को अदा किया, लेकिन आरोपी लगातार उन्हें टहलाते रहे। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि विपक्षी बाहुबली तथा भूमाफिया किस्म के व्यक्ति हैं, जो कि प्रार्थिनी की गाढ़ी कमाई को डकार गए हैं।
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