बिग ब्रेकिंग: हरक सिंह रावत और उनके करीबियों के खिलाफ 70 करोड़ के जमीन फर्जीवाड़े में ईडी की गंभीर चार्जशीट
Amit Bhatt, Dehradun: भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहते हुए विवादों में घिरे हरक सिंह रावत पर अब ईडी ने सहसपुर में 70 करोड़ रुपये की जमीन के फर्जीवाड़े में भी कार्रवाई तेज कर ली है। ईडी की देहरादून शाखा ने पीएमएलए कोर्ट (विशेष न्यायालय) में संबंधित मामले में हरक सिंह रावत, उनकी … The post बिग ब्रेकिंग: 70 करोड़ के जमीन फर्जीवाड़े में हरक सिंह रावत, पत्नी समेत करीबियों के विरुद्ध ईडी की चार्जशीट appeared first on Round The Watch.

बिग ब्रेकिंग: हरक सिंह रावत और उनके करीबियों के खिलाफ 70 करोड़ के जमीन फर्जीवाड़े में ईडी की गंभीर चार्जशीट
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लेखक: प्रिया शर्मा, समीक्षा कुमारी, और विद्या रानी - टीम हैकिकातक्या है
पृष्ठभूमि
कम शब्दों में कहें तो, भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रह चुके हरक सिंह रावत पर अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ा शिकंजा कसा है। सहसपुर में 70 करोड़ रुपये की जमीन के फर्जीवाड़े की यह कार्रवाई पिछले कुछ महीनों से चल रहे विवादों का नया मोड़ है। ईडी की देहरादून शाखा ने पीएमएलए कोर्ट में इनके खिलाफ चार्जशीट पेश की है, जिसमें रावत के करीबी लोगों का भी नाम शामिल किया गया है। इस मामले में उनकी पत्नी दीप्ति रावत तथा अन्य सहयोगियों के नाम भी शामिल हैं।
चार्जशीट की प्रमुख बातें
ईडी द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में प्रमुख आरोपी हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, करीबी बीरेंद्र सिंह कंडारी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ अभियोग शामिल हैं। यह आरोप है कि सहसपुर स्थित 101 बीघा भूमि को अवैध तरीके से बेचा गया, जबकि कोर्ट ने इस भूमि के विक्रय विलेख पर पहले ही रोक लगा दी थी। यह भूमि दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के संचालन में थी, जिसका प्रबंधन रावत के पुत्र तुषित के पास है।
जांच की विस्तृत जानकारी
ईडी की जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि हरक सिंह रावत के सहयोगियों ने एक आपराधिक साजिश के तहत दो पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत कराए, जिनका उपयोग इस भूमि के अवैध विक्रय के लिए किया गया। जबसे यह मामला सुर्खियों में आया है, तबसे रावत की छवि पर भी दाग लग चुका है। यह केवल भूमि फर्जीवाड़ा नहीं है; इससे पहले भी रावत कई दूसरे विवादों में घिरे रहे हैं, जैसे कार्बेट क्षेत्र में अवैध पेड़ कटाई और अनधिकृत निर्माण के आरोप।
भविष्य के प्रभाव
ईडी की चार्जशीट के कारण हरक सिंह रावत के लिए मुश्किलें बढ़ने की आशंका है। हाल ही में संपत्ति अटैच होने के कारण जनवरी 2025 से पहले या उसके आसपास और बड़ी कार्रवाइयाँ सामने आ सकती हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो, यह मामला पार्टी भाजपा के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर सकता है, खासकर तब जब रावत ने भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया। भाजपा समर्थकों के लिए यह अप्रत्याशित संकट साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
हरक सिंह रावत के खिलाफ ईडी की चार्जशीट ने यह साबित कर दिया है कि राजनीतिक भ्रष्टाचार और जमीन के फर्जीवाड़े पर सरकार की नजर होनी चाहिए। यह केवल रावत या उनकी पार्टी के लिए नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम ऐसे मुद्दों पर ध्यान दें और भविष्य में इस प्रकार के मामलों को रोकने में सक्रिय रहें। अगले कुछ महीनों में इस मामले का क्या परिणाम निकलता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
इसके अलावा, यदि आप इस मुद्दे पर और ऑक्लियर जानकारी रखना चाहते हैं, तो कृपया हमारे पोर्टल पर जाएं: हकिकत क्या है.
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