देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: किशोरी का अपहरण व दुष्कर्म, मुख्य आरोपी को 20 साल जेल

Amit Bhatt, Dehradun: फास्ट ट्रैक कोर्ट (पोक्सो) देहरादून ने 04 साल पुराने सनसनीखेज मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्कूल जाती किशोरी का अपहरण और दुष्कर्म करने वाले 03 आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने मुख्य आरोपी को 20 वर्ष कठोर कारावास और 01 लाख रुपये जुर्माना, जबकि उसके 02 साथियों को 04-04 … The post पिस्टल दिखाकर किशोरी का अपहरण व दुष्कर्म: देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 03 को दोषी ठहराया, मुख्य आरोपी को 20 साल जेल appeared first on Round The Watch.

Sep 26, 2025 - 00:39
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देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: किशोरी का अपहरण व दुष्कर्म, मुख्य आरोपी को 20 साल जेल
देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: किशोरी का अपहरण व दुष्कर्म, मुख्य आरोपी को 20 साल जेल

देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

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कम शब्दों में कहें तो, देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 4 साल पुरानी एक सनसनीखेज घटना में 3 आरोपियों को दोषी ठहराया है। अदालत ने मुख्य आरोपी को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है, जबकि उसके दो साथियों को 4-4 साल की सजा दी गई है। यह मामला तब शुरू हुआ था जब एक किशोरी स्कूल जा रही थी, इसी दौरान उसका अपहरण किया गया था।

घटनाक्रम की जानकारी

पीड़िता के पिता ने 3 सितंबर 2019 को पटेलनगर कोतवाली में तहरीर देते हुए कहा कि उनकी 15 वर्षीय बेटी किसी रिश्तेदार के हाथों अपहरण का शिकार हुई। पकड़े गए आरोपियों में से एक बरेली का निवासी था, जिसने परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद पुलिस ने 5 सितंबर को गुमशुदगी की रिपोर्ट के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी।

अदालत में दी गई गवाही

पीड़िता ने अदालत के समक्ष अपने बयान में कहा कि अपहरण का दिन, आरोपी ने बाइक पर उसे बैठाने की कोशिश की। जब उसने मना किया, तो आरोपी ने पिस्तौल का उपयोग करके उसे धमकाया। डर के मारे वह बाइक पर बैठ गई। इसके बाद आरोपी ने उसे बेहोश कर दिया। जब उसे होश आया, तो उसने खुद को एक जंगल में पाया, जहां उसके साथ दो अन्य युवक भी थे। बाद में उसे नैनीताल और रुद्रपुर ले जाकर कई दिनों तक दुष्कर्म किया गया।

चौंकाने वाले खुलासे

मेडिकल जांच में यह पता चला कि पीड़िता 7 महीने की गर्भवती थी। इस पर अदालत ने आदेश दिया कि उसका गर्भपात कराया जाए। जांच के दौरान भ्रूण के अवशेष भी पाए गए। डीएनए परीक्षण ने आरोपी की भागीदारी को साबित कर दिया।

गिरफ्तारी और न्यायिक प्रक्रिया

मुख्य आरोपी को 6 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया, जबकि अन्य दो आरोपियों की गिरफ्तारी 20 अक्टूबर 2019 को हुई। इस मामले में शासकीय अधिवक्ता किशोर कुमार और निजी अधिवक्ता शिवा वर्मा ने पीड़िता की ओर से पैरवी की।

अदालत का कड़ा संदेश

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट–पोक्सो) रजनी शुक्ला ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नाबालिग के साथ किए गए अपराध समाज को झकझोर देते हैं। भविष्य के लिए खिलवाड़ करने वाले दोषियों के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी। यह फैसला दूसरों के लिए भी एक नजीर बनेगा।

इस तरह का मामला समाज में सुरक्षा व्यवस्था और कानून के प्रभाव को दर्शाता है, जो कि युवाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। ऐसी घटनाओं में सख्त सजा देने से कानून के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ेगा। भविष्य में ऐसे मामलों में और अधिक सख्ती की आवश्यकता है।

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सादर,
Team Haqiqat Kya Hai - प्रियंका शर्मा

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