देहरादून: काजल, रागनी और प्रीति के चेहरे पर स्कूल ड्रेस में खुशियों की छवि

असहाय;निर्धनों की दशा और दिशा बदलते जिला प्रशासन के त्वरित फैसले; बिन मां की 03 निर्धन बेटियों काजल ;रागनी; प्रीति को स्कूल में दाखिला बीते Source

Sep 15, 2025 - 00:39
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देहरादून: काजल, रागनी और प्रीति के चेहरे पर स्कूल ड्रेस में खुशियों की छवि
देहरादून: काजल, रागनी और प्रीति के चेहरे पर स्कूल ड्रेस में खुशियों की छवि

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कम शब्दों में कहें तो, देहरादून में जिला प्रशासन के त्वरित फैसलों ने नेत्रहीनता की स्थिति में तीन निर्धन बेटियों काजल, रागनी और प्रीति की जिंदगियों में नई किरण जगाई है। इन तीनों बहनों को, जिनकी मां नहीं हैं, स्कूल में दाखिला मिल गया है, जिससे उनके चेहरे खिल उठे हैं और उम्मीदों की एक नई रोशनी देखने को मिली है।

जिला प्रशासन की संवेदनशीलता

जिला प्रशासन की संवेदनशीलता और उनकी तत्परता का यह उदाहरण उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। निर्धनता और असहायता के बीच जीने वाली ये बहनें अब भविष्य के सपनों की ओर बढ़ रही हैं। स्कूल में उनका दाखिला होना न केवल उन्हें शिक्षा का अवसर देता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक कदम बढ़ाने का मौका प्रदान करता है।

बिना मां के जीवन की चुनौतियाँ

काजल, रागनी और प्रीति जैसी लड़कियों का जीवन, जिनकी मां का साया उनके सिर पर नहीं है, कई चुनौतियों से भरा होता है। लेकिन अब उन्हें स्कूल ड्रेस में देखकर खुशी की एक नई लहर देखी जा रही है। यह पहल वास्तव में उन परिवारों की दिशा और दशा बदलने का काम कर रही है जिनके पास शिक्षा का अवसर नहीं था।

सभी के लिए शिक्षा का अधिकार

यह घटना दर्शाती है कि शिक्षा का अधिकार केवल एक कानूनी बात नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार होना चाहिए। जब प्रशासन इस तरह के निर्णय लेता है, तो यह समाज के लिए एक नई दिशा साबित होता है। काजल, रागनी और प्रीति के जैसे बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का दीप जलाना, उन्हें एक नई राह दिखाने का काम करेगा।

भविष्य की उम्मीद

इस प्रकार के सकारात्मक कदम न केवल बेटियों के लिए, बल्कि समाज के हर व्यक्तियों के लिए प्रेरणादायक हैं। आज इन तीनों लड़कियों के चेहरे पर खुशी और उल्लास दिख रहा है, जो उनकी नई शुरुआत की कहानी बयां करता है। हम आशा करते हैं कि उनके अंदर विद्यमान प्रतिभा और क्षमता को न केवल पहचाना जाएगा, बल्कि इसे संवारा भी जाएगा।

उनकी शिक्षा ही उनकी जीवन की दिशा बदलने में सहायक होगी। हमें इस दिशा में और भी कई कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हम हर निर्धन बच्चे को शिक्षा के समान अवसर प्रदान कर सकें। समर्थन और सहयोग की इस भावना को हमें बनाए रखना चाहिए।

अंततः, हम आशा करते हैं कि अन्य जिलों में भी इस तरह की पहल की जाएगी और शिक्षित भारत की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।

यदि आप इस मामले में और अधिक जानना चाहते हैं, तो यहां क्लिक करें.

सादर, टीम हकीकत क्या है, द्वारा साक्षी शर्मा

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