उत्तराखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को मिली अनुमति
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पर लगी रोक हटा दी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि पूर्व में घोषित चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे … The post उत्तराखंड के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को मिली हरी झंडी, हाईकोर्ट ने आरक्षण विवाद में दी आंशिक राहत appeared first on Round The Watch.
उत्तराखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को मिली अनुमति
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अमित भट्ट, देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पर लगी रोक को समाप्त कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देशित किया कि पूर्व में जारी चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाया जाए और इसे संशोधित करें।
आरक्षण विवाद पर हाईकोर्ट का निर्णय
इस मामले में कोर्ट ने आरक्षण रोस्टर के संबंध में दायर याचिकाओं पर सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सके। कोर्ट ने ब्लॉक प्रमुखों के लिए आरक्षण के निर्धारण पर चिंता व्यक्त की तथा जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण की अनुपस्थिति पर गहरी आपत्ति जताई है।
सुनवाई के दौरान, एक याचिकाकर्ता ने उदाहरण प्रस्तुत किया जो दर्शाता है कि देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में ग्राम प्रधानों की 63 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। याचिकाओं में यह तर्क दिया गया है कि कई सीटों पर एक ही वर्ग को लंबे समय से आरक्षण दिया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद-243 और सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। यह स्थिति चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है।
राज्य सरकार का दृष्टिकोण
रोक हटने के बाद, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने जानकारी दी है कि अब राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम को संशोधित करके आगे की प्रक्रिया आरम्भ करेगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार नियत समय में याचिकाओं का जवाब देगी।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाओं पर अंतिम निर्णय लेने से पूर्व चुनावों में विजयी होने वाले प्रत्याशियों को भी सुना जाएगा। पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने कोर्ट परिसर में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जल्द ही नए चुनाव शेड्यूल की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जुलाई माह में पूरी पंचायत चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
लोकतंत्र की पुनर्स्थापना
यह निर्णय राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः गति देने वाला माना जा रहा है, जहां पंचायत चुनावों में लंबे समय से अनिश्चितता बनी हुई थी। अब सभी की नज़रें राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित किए जाने वाले संशोधित कार्यक्रम पर टिकी हैं। लोकतंत्र की इस पुनर्स्थापना से स्थानीय प्रतिनिधियों को सत्ता में लाने की प्रक्रिया को गति प्राप्त होगी।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की इस स्थिति ने यह प्रदर्शित किया है कि न्यायपालिका का हस्तक्षेप लोकतंत्र में आवश्यक है। यह निर्णय न केवल चुनावी प्रक्रिया को गति देगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि स्थानीय स्तर पर सही और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व हो।
अंततः, प्रत्येक नागरिक को यह समझना होगा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करने में उनका योगदान क्या हो सकता है। स्थानीय चुनावों का महत्व हमेशा अधिक रहता है, और इन चुनावों के माध्यम से ही हमारे समाज में सुधार लाया जा सकता है।
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