उत्तराखंड सचिवालय की भ्रष्टाचार की परतें खुलने को तैयार, मुख्यमंत्री ने गोपनीय फाइल मांगी

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड सचिवालय में वर्षों से भ्रष्टाचार का गढ़ बने अफसर अब सरकार के रडार पर हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने अपने अधीनस्थों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सचिवालय के दागी अधिकारियों की गोपनीय फाइल तैयार की जाए। इसमें उनके एक-एक कारनामे का क्रमवार ब्यौरा दर्ज होगा। सूची में वे अफसर … The post सचिवालय की ‘काली भेड़ें’ सरकार के रडार पर, मुख्यमंत्री ने मांगी गोपनीय फाइल appeared first on Round The Watch.

Sep 24, 2025 - 00:39
 151  3.3k
उत्तराखंड सचिवालय की भ्रष्टाचार की परतें खुलने को तैयार, मुख्यमंत्री ने गोपनीय फाइल मांगी
उत्तराखंड सचिवालय की भ्रष्टाचार की परतें खुलने को तैयार, मुख्यमंत्री ने गोपनीय फाइल मांगी

उत्तराखंड सचिवालय की भ्रष्टाचार की परतें खुलने को तैयार, मुख्यमंत्री ने गोपनीय फाइल मांगी

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Haqiqat Kya Hai

कम शब्दों में कहें तो, मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड सचिवालय में भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई करते हुए दागी अधिकारियों के खिलाफ गोपनीय फाइल तैयार करने का आदेश दिया है। इस फाइल में उन अधिकारियों के कारनामों का विस्तार से उल्लेख होगा जो भ्रष्टाचार में संलिप्त रहे हैं।

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड सचिवालय अब भ्रष्टाचार के नए अध्याय में प्रवेश कर रहा है। कई वर्षों से इस सचिवालय में कार्यरत अधिकारी जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं, अब सरकार के रडार पर हैं। मुख्यमंत्री ने आदेश दिए हैं कि इन दागी अधिकारियों की गोपनीय फाइल तैयार की जाए, जिसमें प्रत्येक अधिकारी के भ्रष्टाचार से संबंधित विवरणों का उल्लेख किया जाएगा। यह स्पष्ट दिशा-निर्देश उन अधिकारियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की ओर संकेत कर रहा है, जिन्होंने अपने राजनीतिक संपर्कों का लाभ उठाकर जांचों को टालने का काम किया।

मुख्यमंत्री की सख्ती से अफसरों में हड़कंप

पिछले छह महीनों में मुख्यमंत्री ने सचिवालय में कार्यरत कई अनुभाग अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें उनके पदों से हटाया है। ये वही अधिकारी थे, जिन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बंधक बना लिया था और विभागीय कामकाज को अपने इशारों के अनुसार चलाने लगे थे।

प्रसिद्ध 'खान' का साम्राज्य और उसका अंत

एक प्रमुख उदाहरण देखकर स्थिति स्पष्ट होती है, जब सचिवालय प्रशासन के तत्कालीन सचिव भोपाल सिंह मनराल से पूछा गया कि स्थानांतरण की फाइलें उनके पास क्यों नहीं आ रहीं। यह जांच इस बात को उजागर करती है कि अनुभाग अधिकारी खान ने एक जीओ (सरकारी आदेश) जारी कर अपनी फाइलें सीधे अपर मुख्य सचिव को भेजी। यह मामला इतना बढ़ गया कि खान को अंततः मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर सचिवालय से हटा दिया गया।

नेताओं के साथ मिलीभगत

सचिवालय सेवा का एक अन्य 'नेता टाइप' अधिकारी जो कि सुविधा शुल्क लेकर डीपीसी में अनियमितताएँ करना चाहता था, उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और इसे जांच के लिए सचिव स्तर के अधिकारी के पास भेजा गया। फिर भी, राजनीतिक दबाव के कारण यह मामला दबा दिया गया। इसी प्रकार के अनियमितताओं के चलते अभी हाल ही में सूचना आयोग ने भी इस अधिकारी पर जुर्माना लगाया।

भ्रष्टाचार का आलम

सचिवालय में एक अनुभाग अधिकारी, जिसे 'आरडीएक्स' नाम से जाना जाता है, ने महत्वपूर्ण फाइलों को गायब कर दिया। इसके चलते मंत्री सौरभ बहुगुणा के खास मामलों को निपटाने के एवज में लाखों रुपये का आरोप भी लगा। अधिकारी की स्निग्धता से यथास्थिति बनी हुई थी, जिस कारण कोई भी सचिव उन्हें अपने अधीन नहीं लेना चाहता था।

महिला अधिकारियों की भूमिका

भ्रष्टाचार में महिला अधिकारी भी पीछे नहीं रहीं। एक महिला अनुभाग अधिकारी पर आरोप है कि उसने महत्वपूर्ण फाइल पर ₹15 लाख लिए। इसी प्रकार, अन्य महिला अधिकारी 'मिस 50,000' के नाम से जानी जाती हैं, क्योंकि उनके सामने मालदार फाइलों पर सिग्नेचर करने के लिए ₹50,000 की दर तय है।

मुख्यमंत्री कार्यालय के स्थायी सदस्य

एक अधिकारी पिछले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत हैं। चार पदोन्नतियाँ लेने के बावजूद, वे सचिवालय के बाहर कदम नहीं रख पाए हैं। सचिवालय की स्थानांतरण नीति इनके दरवाजे पर दम तोड़ देती है।

आईएएस अधिकारी भी रडार पर

मुख्यमंत्री की निगरानी सूची में पांच आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं। एक आईएएस दंपति लंदन में बड़ी संपत्ति खरीदी है। इस संदर्भ में, एक अन्य आईएएस अधिकारी पर आपदा के नाम पर करोड़ों की कमाई करने का आरोप है।

सचिवालय की गिरती साख

पिछले दस वर्षों में, उत्तराखंड सचिवालय की प्रतिष्ठा में गिरावट आई है। सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी इसमें समान रूप से जिम्मेदार हैं। वे अपने चहेते अधिकारियों को मनमर्जी की छूट देते हैं, जबकि ईमानदार अधिकारियों को हाशिए पर डालते हैं।

अंततः, सचिवालय की वर्तमान स्थिति भ्रष्ट अधिकारियों की प्रयोगशाला बनकर रह गई है। अब मुख्यमंत्री की सख्त कार्रवाई का इंतज़ार है, जिससे यह सचिवालय अपनी खोई हुई गरिमा पुनः प्राप्त कर सके।

सचिवालय की ‘काली भेड़ें’ सरकार के रडार पर, मुख्यमंत्री ने मांगी गोपनीय फाइल, पराग, हर किसी की आँखों में सवाल है कि क्या यह केवल एक अगली रिपोर्ट भर है या वास्तव में परिवर्तन का आगाज़ है।

For more updates, visit Haqiqat Kya Hai

सादर,
Team Haqiqat Kya Hai, आरती शर्मा

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow