उत्तराखंड वन विभाग में नया घोटाला, CBI और ED जांच का आदेश
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड वन विभाग में निजाम बदलते ही कॉर्बेट जैसा बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। मुनस्यारी में ईको हट निर्माण में भारी अनियमितता और धन के दुरुपयोग की बात सामने आई है। इस घोटाले में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय भार्गव फंस गए हैं, जो कि एक मंत्री के दामाद बताए जा रहे हैं। … The post कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश appeared first on Round The Watch.

उत्तराखंड वन विभाग में नया घोटाला, CBI और ED जांच का आदेश
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राजकुमार धीमान, देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में हालिया बदलावों के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जो कॉर्बेट क्षेत्र के घोटाले की याद दिलाता है। मुनस्यारी में ईको हट निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं और धन के दुरुपयोग से संबंधित मामले में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय भार्गव का नाम सामने आया है, जिन्हें एक मंत्री का दामाद बताया जा रहा है। वर्तमान शासन ने उनसे स्पष्टीकरण मांगने के लिए 15 दिनों का समय दिया है, जबकि विभागीय जांच रिपोर्ट में CBI और ED की जांच की सिफारिश की गई है।
ईको टूरिज्म में गंभीर अनियमितताएं
मुनस्यारी क्षेत्र में ईको टूरिज्म के तहत करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित ईको हट्स में घोटाले की गंभीर बातें उजागर हुई हैं। उत्तराखंड शासन ने डॉ. विनय कुमार भार्गव, जो वर्तमान में पश्चिमी वृत्त हल्द्वानी के वन संरक्षक हैं, को 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया है। 18 जुलाई 2025 को जारी शासनादेश के मुताबिक, उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें वित्तीय अनियमितताएं और बिना टेंडर निजी संस्थाओं को अनुबंध देना शामिल है। शासन ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर उत्तर नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई होगी।
घोटाले के प्रमुख आरोप
1. बिना स्वीकृति के निर्माण:
2019 में मुनस्यारी रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र में निम्नलिखित संरचनाएं बनाई गईं, जो बिना पूर्व अनुमति के थीं:
- डॉरमेट्री
- वन उत्पाद विक्रय केंद्र
- 10 वीआईपी ईको हट्स
- ग्रोथ सेंटर
2. बिना टेंडर निर्माण सामग्री का खरीददारी:
एक निजी संस्था को बिना किसी सार्वजनिक टेंडर प्रक्रिया के ठेका दिया गया और पूरा भुगतान भी किया गया। इससे वित्तीय पारदर्शिता नीति को गंभीर चोट पहुंची है।
3. 70% पर्यटन आय का अवैध हस्तांतरण:
मुनस्यारी में EDC पातलथौड़ के साथ बिना सक्षम अनुमोदन के MoU पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें ईको हट्स की आय का 70% हिस्सा निजी संस्थाओं को हस्तांतरित किया गया है। यह कंपनी एक विधायक से जुड़ी बताई जा रही है।
4. वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन:
इन ढांचों का निर्माण बिना केंद्रीय सरकार से आवश्यक स्वीकृति लिए किया गया, जो कि अवैध है।
5. फायरलाइन खर्च में धोखाधड़ी:
जहां कार्य योजना में केवल 14.6 किमी फायरलाइन दर्ज है, वहां 90 किमी फायरलाइन दर्शाकर 2 लाख रुपये का व्यय दिखाया गया।
घोटाले का कुल मूल्यांकन और संदिग्ध लेनदेन
ईको हट्स पर कुल खर्च: ₹1.63 करोड़
बिना अनुमति निजी संस्था को हस्तांतरित राजस्व: 70%
सभी मापन पुस्तिकाओं का भरा जाना एक ही दिन में किया गया था, जो कार्यों की वास्तविकता पर प्रश्न उठाता है।
जांच की आगे की कार्रवाई
इस घोटाले की जांच IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच की। उन्होंने 700 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की, जो दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में HoFF को सौंपी गई। यह रिपोर्ट शासन को मार्च 2025 में भेजी गई, जिसे मुख्यमंत्री ने जून 2025 में अनुमोदित किया। इस रिपोर्ट में CBI और ED जांच की सिफारिश की गई है, साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की भी अनुशंसा की गई।
डॉ. विनय भार्गव का विवादित इतिहास
डॉ. भार्गव पर 2015 में ही वानिकी कार्यों में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे थे, लेकिन उन्हें “अनुभव की कमी” के कारण छोड़ दिया गया था। उनके राजनीतिक संबंधों की चर्चा लंबे समय से चल रही है। उनकी शादी एक कैबिनेट मंत्री की भतीजी से हुई है, जो उनके प्रभाव का प्रमुख कारण माना जाता है। इस घोटाले को अब "कॉर्बेट 2" के नाम से भी जाना जाने लगा है।
इस मामले की विस्तृत जांच और कार्रवाई के निष्कर्षों का सभी को इंतजार है। यह घोटाला न केवल वन विभाग की छवि को धूमिल करता है, बल्कि इससे जुड़ी सरकारी तंत्र की निष्क्रियता की पोल खोलता है।
हमें आशा है कि आगामी जांच में सभी दोषियों को न्याय मिल सकेगा और यह घोटाला सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक उदाहरण बनेगा।
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हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
सादर,
निशा शर्मा,
टीम हकीकत क्या है
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