उत्तराखंड रजत जयंती: 09 दिन तक झलकेगी संस्कृति, लोकधरोहर और कला की रंगत
Rajkumar Dhiman, Dehradun: देवभूमि उत्तराखंड आगामी 09 नवंबर को अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है। राज्य की इस गौरवशाली रजत जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेशभर में 01 से 09 नवंबर तक रंगारंग “रजत जयंती समारोह” का आयोजन किया जाएगा। 09 दिनों तक चलने वाले इस सांस्कृतिक पर्व में लोकनृत्य, शास्त्रीय संगीत, … The post उत्तराखंड रजत जयंती: 09 दिन तक झलकेगी संस्कृति, लोकधरोहर और कला की रंगत appeared first on Round The Watch.
Rajkumar Dhiman, Dehradun: देवभूमि उत्तराखंड आगामी 09 नवंबर को अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है। राज्य की इस गौरवशाली रजत जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेशभर में 01 से 09 नवंबर तक रंगारंग “रजत जयंती समारोह” का आयोजन किया जाएगा। 09 दिनों तक चलने वाले इस सांस्कृतिक पर्व में लोकनृत्य, शास्त्रीय संगीत, नाट्य मंचन, कवि सम्मेलन, पैनल डिस्कशन और जनजातीय प्रस्तुतियों का अनोखा संगम देखने को मिलेगा।
सचिव धर्मस्व एवं संस्कृति युगल किशोर पंत ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में बताया कि प्रत्येक दिन अलग-अलग थीम पर आधारित कार्यक्रम होंगे, जिनमें उत्तराखण्ड की समृद्ध परंपरा के साथ देशभर की विविध सांस्कृतिक झलकियां दिखाई देंगी।
1 नवंबर: रजत जयंती समारोह का शुभारंभ
– समारोह का आगाज लोकनृत्य और संगीत की मधुर धुनों के साथ होगा।
-प्रातः सत्र (11.00 से 2.00 बजे तक)–लोक नृत्य प्रस्तुति
-द्वितीय सत्र (3.30 से 5.00 बजे तक)–भातखंडे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय, पौड़ी के छात्रों की प्रस्तुति
तृतीय सत्र (6.00 से 9.00 बजे तक)- रामेश्वरी भट्ट का जागर गायन, नागालैंड की यूलिखेरी प्रस्तुति और श्री सुरेश बाडेकर का कार्यक्रम
2 नवंबर: सिनेमा और लोकसंगीत का संगम
-हिमाचल के दलों द्वारा नाटी नृत्य, गंगा अवतरण की विशेष प्रस्तुति
-पैनल चर्चा–“उत्तराखंड में सिनेमा”
-शाम को कमला देवी, श्री विपुल राय (सिम्फनी ऑफ हिमालयाज) और लोकगायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी की प्रस्तुति
3 नवंबर: जनजातीय परंपरा और शास्त्रीय सुर
-तिब्बतियन इंस्टिट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, धर्मशाला और हिमाचल के सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुति
-पैनल डिस्कशन–उत्तराखंड की लोकभाषा एवं संस्कृति
शास्त्रीय गायन–रित्विज पंत, तबला संगत–चित्रांक पंत, मोहन वीणा वादन–पं. विश्व मोहन भट्ट
4 नवंबर: रंगमंच और जुगलबंदी का दिन
– असम और हिमाचल की लोक प्रस्तुतियां, चर्चा–हिमालय में रंगमंच
-सांय सत्र–योगेश खेतवाल का शास्त्रीय गायन, रोनू मजूमदार और मैसूर मंजूनाथ की बांसुरी-वायलिन जुगलबंदी, पं. हरीश गंगानी और नायनिका खंडूरी की कथक जुगलबंदी
5 नवंबर: लोकवाद्य और नाट्य मंचन
-तिब्बतियन होम फाउंडेशन और मणिपुरी बसंत रासलीला की प्रस्तुति
-नाट्य मंच–डॉ. एहसान बक्श (एनएसडी)
-संतूर वादन–पं. राहुल शर्मा (तबला संगत ओजस अधिया), लोकसंगीत–श्रीमती मालिनी अवस्थी
6 नवंबर: नंदा राजजात पर विमर्श
-जनजातीय नृत्य, गंधर्व महाविद्यालय और सुभारती इंस्टीट्यूट की प्रस्तुतियां
-पैनल चर्चा–नंदा राजजात
-शाम को मोहन रावत, निशीथ गंगानी, हिमांशु दरमोडा (लैंडेड रिदमस्थान बैंड) और जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण के कार्यक्रम
7 नवंबर: खानपान और विरासत का स्वाद
– उत्तराखण्ड व जम्मू-कश्मीर के लोकनृत्य
-पैनल चर्चा–हिमालय में खानपान, विरासत और उत्तराधिकार
-नृत्य नाटिका–डॉ. सोनल मानसिंह, साथ ही पांडवाज बैंड की विशेष प्रस्तुति
8 नवंबर: कवि सम्मेलन और शास्त्रीय राग
-भातखंडे संगीत महाविद्यालय अल्मोड़ा और देहरादून की प्रस्तुतियां
-चर्चा–संगीत से रोगोपचार (म्यूजिक थैरेपी)–डॉ. विजय भट्ट
-कवि सम्मेलन–डॉ. हरिओम पंवार, विष्णु सक्सेना, शंभू शिखर, तेज नारायण बेचैन और श्वेता सिंह
-शास्त्रीय गायन–पं. रितेश एवं रजनीश मिश्रा
9 नवंबर: राज्य स्थापना दिवस का भव्य समापन
– उत्तराखंड की लोक संस्कृति, सुनहरे घुंघरू डांस स्कूल और अर्धांग इंस्टीट्यूट की प्रस्तुतियां
– गढ़वाली, कुमांउनी, जौनसारी और थारू नृत्य प्रस्तुतियां
-समापन कार्यक्रम में भूटान बैंड–मिस्टी टेरिस की विशेष प्रस्तुति
अंत में सचिव पंत ने बताया कि समारोह न केवल उत्तराखण्ड की संस्कृति का उत्सव होगा, बल्कि यह हिमालयी विरासत, कला, भाषा और लोकजीवन के संरक्षण का प्रतीक भी बनेगा।
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