उत्तराखंड में किसानों की सुरक्षा के लिए जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में किसानों की फसलें लंबे समय से जंगली सूअर और नीलगाय के हमलों से भारी नुकसान झेल रही थीं। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की लगातार मांग के बाद, वन विभाग ने अब इन दोनों वन्यजीवों के सशर्त शिकार की अनुमति देने की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। मुख्य वन्यजीव … The post उत्तराखंड में सरकार ने दी जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति appeared first on Round The Watch.

उत्तराखंड में किसानों की सुरक्षा के लिए जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड सहित कई क्षेत्रों में किसानों को लंबे समय से जंगली सूअर और नीलगाय के हमलों का सामना करना पड़ रहा है। इन वन्यजीवों के द्वारा फसल को जिस प्रकार से नुकसान पहुँचाया जा रहा था, वह न केवल किसानों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन रहा था, बल्कि कृषि उत्पादन को भी प्रभावित कर रहा था। इसी के मद्देनजर, वन विभाग ने इन दोनों वन्यजीवों के सशर्त शिकार की अनुमति की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। यह निर्णय किसानों की मांग के बाद लिया गया है, जिससे वे अपने फसल की सुरक्षा कर सकें।
सरकारी आदेश और नीतियाँ
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन कुमार मिश्रा ने इस मुद्दे पर स्पष्टता देते हुए कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2022) के तहत अनुसूची-दो में शामिल प्राणियों के शिकार की अनुमति दी जाएगी। इसमें नीलगाय को क्रम संख्या 1 और जंगली सूअर को क्रम संख्या 23 पर रखा गया है। यदि इन जीवों द्वारा मानव जीवन या संपत्ति (जिसमें फसलें भी शामिल हैं) को खतरा है, तो उनके शिकार की अनुमति दी जा सकेगी।
शिकार करने की प्रक्रिया
अब मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अधिकार क्षेत्र में कई वन अधिकारी शामिल हो गए हैं। इनमें क्षेत्रीय वन संरक्षक, प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक वन संरक्षक, वन क्षेत्राधिकारी, उप वन क्षेत्राधिकारी, और वन दारोगा शामिल हैं। ये अधिकारी किसी व्यक्ति को शिकार की अनुमति देने के लिए लिखित आदेश और कारण दर्शा सकेंगे। यह किसानों के लिए फसल की सुरक्षा के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
शिकार की अनुमति की शर्तें
शिकार की अनुमति केवल वन क्षेत्र से बाहर उपलब्ध होगी और इसे केवल निजी कृषि भूमि पर किया जा सकेगा। महत्वपूर्ण यह है कि घायल जानवर को वापस जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा और इसे लिखित अनुमति के बाद ही उचित तरीके से नष्ट किया जाएगा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और वनों के रक्षक की उपस्थिति को भी अनिवार्य किया गया है।
अनुमति के लिए आवश्यक प्रक्रिया
- आवेदन को निकटतम प्राधिकृत अधिकारी के पास निर्धारित प्रारूप में जमा करना होगा।
- स्थानीय ग्राम प्रधान से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा।
- शिकार केवल लाइसेंसी बंदूक या राइफल का प्रयोग करते हुए किया जा सकेगा।
- अनुमति आदेश केवल एक माह के लिए मान्य होगा।
निष्कर्ष
यह कदम किसानों के लिए राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लंबे समय तक जारी समस्या का समाधान किसानों की फसल सुरक्षा के द्वारा किसानों के जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेगा। हमें उम्मीद है कि यह निर्णय ना सिर्फ सितम सहने वाले किसान भाईयों के लिए राहत लाएगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी पुनर्जीवित करने में सहायक होगा। अधिक जानकारी के लिए, कृपया यहाँ जाएँ।
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