उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: जनता को आरक्षण के माध्यम से मिलेगा सही प्रतिनिधित्व

देहरादून :  राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) के लिए The post उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: आरक्षण चक्र लागू, 12 जिलों के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित first appeared on radhaswaminews.

Aug 2, 2025 - 00:39
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उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: जनता को आरक्षण के माध्यम से मिलेगा सही प्रतिनिधित्व
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: आरक्षण चक्र लागू, 12 जिलों के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित

उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: जनता को आरक्षण के माध्यम से मिलेगा सही प्रतिनिधित्व

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देहरादून: उत्तराखंड राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए (हरिद्वार जनपद को छोड़कर) जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण चक्र को लागू करने का निर्णय लिया है। यह महत्वपूर्ण कदम न केवल राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती देने के लिए उठाया गया है, बल्कि यह विभिन्न समाज में समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का भी प्रयास है। पंचायतीराज अनुभाग-1 द्वारा जारी शासनादेश (संख्या: 1088/XII(1)/2025/86(22)/2019 दिनांक 01 अगस्त 2025) के तहत 12 जिलों के लिए आरक्षण की स्थिति को स्पष्ट किया गया है।

आरक्षण का उद्देश्य

इस फैसले के तहत महिलाओं, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग (अनारक्षित) के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण पहली बार लागू किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न समाज के समूहों को राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी मिले, ताकि उनके मुद्दों और चिंताओं को उचित मंच मिल सके। यह निर्णय समाज के उन वर्गों को सशक्त बनाने में मदद करेगा जो लंबे समय से हाशिए पर रहे हैं।

आरक्षण का निर्धारण

उत्तराखंड पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम, 2025 और पंचायतों के आरक्षण एवं आवेदन नियमावली 2025 के तहत यह आरक्षण सुनिश्चित किया गया है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णयों को ध्यान में रखते हुए यह आदेश पारित किया गया है। इस कदम का लक्ष्य सभी वर्गों को सशक्त बनाना है, जिससे कि हर समाज का सही और उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

आरक्षण सूची – जिला पंचायत अध्यक्ष पद (2025)

  • 1. अल्मोड़ा – महिला
  • 2. बागेश्वर – अनुसूचित जाति
  • 3. चंपावत – अनारक्षित
  • 4. चमोली – अनारक्षित
  • 5. देहरादून – महिला
  • 6. नैनीताल – अनारक्षित
  • 7. पौड़ी गढ़वाल – महिला
  • 8. पिथौरागढ़ – अनुसूचित जाति
  • 9. रुद्रप्रयाग – महिला
  • 10. टिहरी गढ़वाल – महिला
  • 11. उधमसिंह नगर – पिछड़ा वर्ग
  • 12. उत्तरकाशी – अनारक्षित

आपत्तियां और सुझाव

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति इस प्रस्ताव पर आपत्ति या सुझाव देना चाहता है, तो उसे 15 दिन के भीतर लिखित रूप में अपना पक्ष पंचायतीराज विभाग, सचिवालय परिसर, 04-सुभाष मार्ग, देहरादून में प्रस्तुत करना होगा। यह प्रक्रिया लोगों को उनके विचार व्यक्त करने का अवसर देती है, जिससे जनादेश की प्रक्रिया को और अधिक स्पष्ट और पारदर्शी बनाया जा सके।

समापन टिप्पणी

यह नया आरक्षण चक्र केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय प्रभावी है। आशा है कि इस प्रक्रिया से समाज के सभी वर्गों को समानता और न्याय का अनुभव होगा, जिससे लोकतंत्र और मजबूत होगा।

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लेखिका: सुमित्रा यादव

टीम हक़ीक़त क्या है

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