अस्पताल या चमत्कार, आईसीयू से बाहर आते ही मरीज पहुंच रहे घर, 02 अस्पतालों की संबद्धता सस्पेंड

Rajkumar Dhiman, Dehradun: ऐसे अस्पतालों को चमत्कार ही कहा जाएगा। जो मरीज 05 से 06 दिन आईसीयू वार्ड में भर्ती रहे, वह सामान्य वार्ड में आते ही एक या दो दिन के भीतर डिस्चार्ज कर दिए जा रहे हैं। गजब यह भी कि जिन मरीजों का तापमान लगातार 102 डिग्री फारेनहाइट दिखाया गया, वह डिस्चार्ज … The post अस्पताल या चमत्कार, आईसीयू से बाहर आते ही मरीज पहुंच रहे घर, 02 अस्पतालों की संबद्धता सस्पेंड appeared first on Round The Watch.

Aug 3, 2025 - 00:39
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अस्पताल या चमत्कार, आईसीयू से बाहर आते ही मरीज पहुंच रहे घर, 02 अस्पतालों की संबद्धता सस्पेंड
अस्पताल या चमत्कार, आईसीयू से बाहर आते ही मरीज पहुंच रहे घर, 02 अस्पतालों की संबद्धता सस्पेंड

अस्पताल या चमत्कार, आईसीयू से बाहर आते ही मरीज पहुंच रहे घर, 02 अस्पतालों की संबद्धता सस्पेंड

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Rajkumar Dhiman, Dehradun: ऐसे अस्पतालों को चमत्कार ही कहा जाएगा। जो मरीज 05 से 06 दिन आईसीयू वार्ड में भर्ती रहे, वह सामान्य वार्ड में आते ही एक या दो दिन के भीतर डिस्चार्ज कर दिए जा रहे हैं। गजब यह भी कि जिन मरीजों का तापमान लगातार 102 डिग्री फारेनहाइट दिखाया गया, वह डिस्चार्ज वाले दिन अचानक ही 98 डिग्री फारेनहाइट पर पहुंच गए। इनमें से एक अस्पताल हरिद्वार में है, जिसका नाम मेट्रो हॉस्पिटल है, जबकि रुड़की का अस्पताल क्वाड्रा है। आयुष्मान भारत योजना का सरकारी पैसा डकारने के लिए इन अस्पतालों ने ऐसे-ऐसे प्रपंच किए कि स्वास्थ्य विभाग भी सकते में आ गया। अब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने तत्काल प्रभाव से दोनों अस्पतालों की आयुष्मान की संबद्धता निलंबित कर दी है। दोनों अस्पताल के प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।

आईसीयू से डिस्चार्ज होते मरीजों का चमत्कारिक अनुभव

इस अस्पताल के 90 प्रतिशत मरीज सीधे आईसीयू में होते हैं भर्ती। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार क्वाड्रा हॉस्पिटल में सामान्य चिकित्सा के 1800 दावों में से 1619 मामलों में मरीजों को आईसीयू में भर्ती दिखाया गया। महज 181 मामलों में ही उन्हें सामान्य वार्ड में रखा गया। यानी, कुल 90 प्रतिशत मामलों में आईसीयू पैकेज का इस्तेमाल किया गया, जो सामान्य श्रेणी के मरीजों के लिहाज से बेहद अधिक है। जांच में यह भी सामने आया कि अस्पताल में एक सुनियोजित पैटर्न के तहत अधिकतर मरीजों को पहले 3 से 6 दिन तक आईसीयू में रखा गया और छुट्टी से ठीक पहले 1 या 2 दिन के लिए सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। ताकि आईसीयू पैकेज के भुगतान का औचित्य साबित किया जा सके। नियमों के मुताबिक मरीज को सीधे आईसीयू से छुट्टी नहीं दी जा सकती।

अस्पतालों में ईमानदारी के मानकों का उलंग्घन

इस अस्पताल ने कई सामान्य बीमारियों जैसे उल्टी, यूटीआई और निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) के मामलों में भी मरीजों को अनावश्यक रूप से गंभीर दर्शाकर आईसीयू में भर्ती दिखाया। अधिकतर मरीजों के तापमान को लगातार 102°F दिखाया गया, जो डिस्चार्ज के दिन अचानक 98°F हो जाता है। इसके अलावा, मरीजों के बेड नंबर रोजाना बदलते रहे। आईसीयू में भर्ती दर्शाए गए मरीजों की तस्वीरों में न तो मॉनिटर चालू थे और न ही आईवी लाइन लगी थी। अस्पताल में दाखिल मरीजों के फॉर्म में एक जैसे मोबाइल नंबर अलग-अलग परिवारों के नाम पर पाए गए, जबकि BIS रिकॉर्ड में उनके पते और पहचान अलग थे। इतना ही नहीं, कई मरीजों को दस्तावेजों में गंभीर स्थिति में दिखाने के बाद भी उन्हें LAMA (Leave Against Medical Advice) के तहत छुट्टी दे दी गई। दस्तावेजों की भाषा और लिखावट में समानता भी फर्जीवाड़े की ओर साफ इशारा करती है।

हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल की गंभीर अनियमितताएं

हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल की जांच में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आईं। लगभग हर मरीज को 3 से 18 दिन तक आईसीयू में भर्ती दिखाया गया और बाद में छुट्टी से पहले सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया। अस्पताल ने आईसीयू चार्ट, मरीज की तस्वीरें और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्राधिकरण को उपलब्ध नहीं कराए। जो एसएचए (राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण) के नियमों के तहत अनिवार्य हैं। टीएमएस पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों से यह भी सामने आया कि कई ऐसे मरीज, जो सामान्य बीमारियों से पीड़ित थे, उन्हें भी आईसीयू में भर्ती दिखाकर आईसीयू श्रेणी की अपकोडिंग की गई। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से प्रस्तुत कई दस्तावेज धुंधले और अपठनीय भी पाए गए हैं।

समय रहते सही कार्रवाई की आवश्यकता

इन अनियमितताओं की गंभीरता को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने त्वरित कदम उठाए हैं। इससे न केवल मौजूदा मरीजों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि अस्पतालों के प्रति जनता का विश्वास भी कम हो सकता है। हमें उम्मीद है कि इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

एक स्वस्थ समाज के लिए यह आवश्यक है कि हमारे अस्पताल और स्वास्थ्य प्रणाली में पारदर्शिता और नैतिकता का पालन किया जाए। किसी भी मरीज को ऐसे हालात का सामना नहीं करना चाहिए, जिससे उनकी उचित स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो।

हेमलता, संध्या, और सुषमा द्वारा रिपोर्ट, टीम haqiqatkyahai

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