Vishwakhabram: Balochistan Liberation Army का गठन क्यों और किसने किया? क्या Pakistan Army को हराने में यह संगठन सक्षम है?
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। जबसे उसने पाकिस्तान के गुडलार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाकों के पास 440 यात्रियों को लेकर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर घात लगाकर हमला किया तबसे दुनिया में हर कोई इस संगठन का इतिहास जानना चाहता है। लोग यह भी जानना चाहते हैं कि इस संगठन की पाकिस्तानी सेना और पुलिस से ऐसी क्या दुश्मनी है कि ट्रेन हाइजैक करने के तुरंत बाद पाकिस्तानी सुरक्षा बलों से जुड़े लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी गयी थी? दुनियाभर के रक्षा-सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ और थिंक टैंक इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी आखिर एक ऐसा संगठन कैसे बन गया जो सामरिक सटीकता के साथ दुस्साहसिक हमले कर सकता है? देखा जाये तो साल 2024 की शुरुआत से यह प्रतिबंधित संगठन जिस तरह अपने लक्ष्यों पर निशाना साध रहा है वह हैरान कर देने वाला है। पिछले एक साल के दौरान विभिन्न हमलों ने दर्शाया है कि इस संगठन की रणनीति तेजी से बदल रही है। कभी बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा बलों, कभी चीनी नागरिकों, कभी निर्दोष नागरिकों तो कभी बलूचिस्तान में काम करने वाले अन्य प्रांतों के लोगों पर 18 से अधिक हमले अत्याधुनिक तरीके से किए गये हैं।जहां तक बलूचिस्तान में उठ रही विद्रोह की आग की बात है तो उसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। बलूचिस्तान में स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार के अत्याचार सहते सहते तंग आ चुके हैं और बांग्लादेश की तरह आजाद होना चाहते हैं। देखा जाये तो पाकिस्तान से आजादी पाने के लिए ही बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का गठन हुआ और इन्हें जिस प्रकार का कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है वह हैरानी भरा तो है साथ ही वह उनके मन में बैठे आक्रोश का स्तर भी दर्शाता है। पाकिस्तान में करीब 3 करोड़ की आबादी वाले पश्तून समुदाय पर जमकर अत्याचार होते हैं। पश्तून लोगों के साथ मारपीट, उन्हें गायब कर देने, उनके साथ बुरे बर्ताव और उनकी महिलाओं के साथ यौन अत्याचार की घटनाएं आम हैं। पश्तूनी लोग पाकिस्तान के साथ कितनी भी मजबूती से खड़े रहें हों लेकिन वहां की सरकार उन्हें गद्दार मानती है और उनके साथ उसी तरह का व्यवहार करती है। संघ प्रशासित कबायली इलाके जिसे फाटा भी कहा जाता है, वहां अक्सर कर्फ्यू लगा रहता है। इस इलाके में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की बात तो छोड़ दीजिये यहां के लोगों के घर-बार भी अक्सर तोड़ दिये जाते हैं और उनके सामान पर कब्जा कर लिया जाता है तथा उन्हें सड़कों पर जीवन बिताने के लिए छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि विदेशों में भी जहाँ-जहाँ पश्तून रहते हैं, वह लोग वहाँ-वहाँ की राजधानियों में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर अक्सर विरोध प्रदर्शन करते हैं।इसे भी पढ़ें: Pakistan की ये आपदा अखंड भारत के लिए अवसर, बलूचिस्तान पर नेहरू की गलती सुधारने का मोदी के पास सुनहरा मौकाबलूच लोग खुली हवा में सांस लेने के लिए दशकों से तड़प रहे हैं। पाकिस्तान में बलूच होना ही उनके लिए सबसे बड़ा गुनाह होता है। बलूचों को मारने और किस्म-किस्म के अत्याचार करने का जैसे पाकिस्तानी सेना और पुलिस को लाइसेंस मिला हुआ है। अब इस खेल में चीन भी शामिल हो चुका है इसलिए भी यहां के लोगों के मन में चीन के प्रति गुस्सा है। बताया जाता है कि बलूचों की बहन-बेटियों को पाकिस्तानी सेना के जवान सरेआम उठा ले जाते हैं और उनके साथ कई-कई दिन तक बलात्कार किया जाता है। डर के चलते लड़कियां स्कूल और कॉलेज नहीं जातीं। पाकिस्तान की ओर से क्षेत्र में किसी विदेशी पत्रकार या न्यूज चैनल, सोशल वर्कर या विदेशी प्रतिनिधि को नहीं जाने दिया जाता जिससे कभी सच सामने नहीं आ पाता। पाकिस्तान में बलूचों के लिए सरकारी नौकरियों में कोई जगह नहीं है। बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले कई क्रांतिकारी नेताओं को पाकिस्तान की सेना ने बंधक बनाया हुआ है इसलिए वहां जो विरोध की चिंगारी उठ रही थी वह अब भड़क गयी है और पूरी ट्रेन को बंधक बना लिया गया। देखा जाये तो चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं के माध्यम से बलूचिस्तान के लिए स्वर्णिम युग लाने के वादों के बावजूद, लोगों के लिए कुछ भी नहीं बदला है।हम आपको यह भी बता दें कि बलूचिस्तान को आजादी के समय अलग देश की मान्यता मिली थी। यह पाकिस्तान का स्वाभाविक हिस्सा नहीं था। पाकिस्तान ने हमला करके बलूचिस्तान पर कब्जा किया था। तब से ही बलूचिस्तान के नागरिक पाकिस्तान की ज्यादतियों के विरोध में आवाज उठाते रहे हैं। अब बलूचिस्तान के लोगों ने जिस तरह आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है उसको देखते हुए कल को यह क्षेत्र पाकिस्तान से अलग होकर वापस स्वतंत्र राष्ट्र बन जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। हम आपको यह भी बता दें कि पाकिस्तान की कुल भूमि का 43 प्रतिशत हिस्सा बलूचिस्तान में है लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। गरीबी, विकास का अभाव, जबरन गायब किए जाने की समस्या, बलूचिस्तान में लोगों को प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से लाभ नहीं मिलना यहां की कठोर वास्तविकताएं हैं, जिनका समाधान खोजने में सरकारें लगातार विफल रही हैं। देखा जाये तो अलगाववादी, विद्रोही आंदोलन इस दक्षिण-पश्चिमी प्रांत के लिए कोई नई बात नहीं है। यहां सरकारों/सेना के बीच कम से कम चार बार संघर्ष दर्ज किए गए हैं, जिनमें से आखिरी संघर्ष 1973-1977 के बीच हुआ था।जहां तक आज की बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के आज के स्वरूप की बात है तो आपको बता दें कि 2006 में बलाच मर्री द्वारा पुनः स्थापित की गई बीएलए ने 2017 से बड़े बदलाव किए हैं। हम आपको याद दिला दें कि राष्ट्रवादी नेता नवाब खैर बख्श मर्री के बेटे बालाच मर्री को 2007 में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर अफगानिस्तान में मार दिया था। उसके बाद बीएलए ने कुछ आदिवासी नेताओं के अनौपचारिक मार्गदर्शन में काम किया, जो सरकार से खुश नहीं थे। 2017 के बाद बीएलए एक शक्तिशाली ताकत बन गई, जब इसके दो कमांडरों- उस्ताद असलम और बशीर जेब को उनके आदेशों की

Vishwakhabram: Balochistan Liberation Army का गठन क्यों और किसने किया? क्या Pakistan Army को हराने में यह संगठन सक्षम है?
परिचय
हाल ही में, Balochistan Liberation Army (BLA) और उसके जुड़ाव विषय में चर्चा ने एक बार फिर से हलचल मचा दी है। यह संगठन, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय है, ने अपनी उपस्थिति और लक्ष्य के संदर्भ में वैश्विक सुरक्षा मामलों में एक महत्वपूर्ण जगह बनाई है। आइए, इस लेख में हम जानने की कोशिश करते हैं कि BLA का गठन कैसे हुआ, इसके पीछे के उद्देश्यों और यह सवाल कि क्या यह संगठन पाकिस्तान सेना को चुनौती देने में सक्षम है।
Balochistan Liberation Army का गठन
BLA का गठन 2000 के दशक की शुरुआत में हुआ था, और यह बलूचिस्तान के आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण कुछ ऐसे हैं जिनमें बलूच नेताओं का शोषण, पाकिस्तानी सरकार की नीतियों का विरोध और बलूचिस्तान के स्थानीय संसाधनों पर अधिकार का दावा शामिल है। इस संगठन ने कई बार अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है और सैन्य कार्यवाहियों में लगातार सक्रिय रहा है।
संरचना और नेतृत्व
यह संगठन मुख्यतः उन लोगों द्वारा चलाया जाता है जो बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग करते हैं। BLA के शीर्ष नेतृत्व में कई उच्च-स्तरीय अधिकारी और पूर्व सैनिक शामिल हैं। कथित तौर पर, इस संगठन के पास एक मजबूत नेटवर्क है जिसमें प्रशिक्षित लड़ाके और सूचना का संकलन करने वाले लोग शामिल हैं। यह ताकत इस संगठन को सुरक्षा बलों के खिलाफ रणनीतिक हमले करने में सक्षम बनाती है।
BLA बनाम Pakistan Army: क्या यह संगठन सक्षम है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या BLA वास्तव में पाकिस्तान सेना को हराने में सक्षम है? यह एक जटिल प्रश्न है। BLA के पास निश्चित रूप से संसाधन और स्थानीय समर्थन है, लेकिन पाकिस्तान सेना की तुलना में उनके पास सीमित हथियार और तकनीकी शक्तियां हैं। हालांकि, BLA ने इस बात का प्रदर्शन किया है कि वे असमाजिक गतिविधियों और आतंकवादी हमलों के माध्यम से अपनी शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
इसका मिशन बलूचिस्तान की स्वतंत्रता है, जो उन्हें सामरिक दृष्टि से प्रमुख बनाता है। हालाँकि, पाकिस्तान सरकार और सेना ने भी अपनी ओर से सख्त कदम उठाए हैं और स्थानीय बलूच नेताओं को दबाने का प्रयास किया है।
निष्कर्ष
Balochistan Liberation Army एक ऐसा संगठन है जिसने बलूचिस्तान की आजादी के लिए लम्बे समय से संघर्ष किया है। इसने अपने गठन के बाद से कई चुनौतियों का सामना किया है। हालांकि, गिरते राजनीतिक माहौल और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के मद्देनजर इसका भविष्य अनिश्चय में बना हुआ है। फिर भी, यह संगठन बलूच लोगों के संवेदनाओं और आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में काम करता है।
कुल मिलाकर, प्रश्न यह है कि क्या BLA पाकिस्तान सेना को पराजित करने में सफल होगा? यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन वर्तमान में इस संगठन की गतिविधियों और पाकिस्तान सरकार के दिशा-निर्देशों पर नजर रखना आवश्यक है।
लेखकों की टीम: नेट्टानागरी
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