Sushma Swaraj Birth Anniversary: देश के सबसे चहेती और लोकप्रिय नेता थीं सुषमा स्वराज, वाकपटुता में अच्छे-अच्छों को देती थीं मात
भारत की सबसे प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक सुषमा स्वराज का 14 फरवरी को जन्म हुआ था। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन लोगों के दिलों में आज भी उनका नाम और छाप उतनी ही गहरी है। सुषमा स्वराज को सबसे अच्छे विदेश मंत्री के तौर पर जाना जाता है। वैसे तो वह मोदी सरकार में मंत्री थीं, लेकिन सुषमा स्वराज की पहचान उनकी पार्टी से नहीं बल्कि उनके काम से होती थी। उनकी गिनती दरियादिल नेताओं में होती थी, जोकि सहानुभूति के लिए भी जानी जाती थीं। सुषमा स्वराज ने अपने कामों को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखा। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सुषमा स्वराज के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षासुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में हुआ था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से वकालत की पढ़ाई की थी। उनके पास राजनीति विज्ञान और संस्कृत में डिग्री भी है। उन्होंने देश की शीर्ष अदालत यानी की सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील अभ्यास भी किया था। फिर 1970 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ सुषमा स्वराज के राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई।इसे भी पढ़ें: Amrit Kaur Birth Anniversary: देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री थीं राजकुमारी अमृत कौर, गांधीजी से थे गहरे संबंधराजनीतिक जीवनसाल 1977 में सुषमा स्वराज ने हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री बनीं। यह एक बड़ी उपलब्धि थी कि महज 25 साल की उम्र में वह देश की सबसे कम उम्र की मंत्री बनी थीं। वहीं दो साल बाद 1979 में उनको भाजपा नेतृत्व ने पार्टी अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया। बाद में वह सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री रहीं।परिवारसुषमा स्वराज शादी के बाद पति और बच्चों की जिम्मेदारी संभालती थीं। तो वह देश और अपने पद के प्रति भी उतनी ही गंभीर थीं। उन्होंने शादी के बाद अपने पति के सरनेम को अपनाया ही नहीं बल्कि पति के नाम को ही सरनेमा बना लिया था। दरअसल सुषमा स्वराज के पति का नाम स्वराज कौशल था। वहीं इस कदम से सुषमा स्वराज ने अपने स्वावलंबन और पति के प्रति प्रेम दोनों को दिखाया।उपलब्धिउनकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि सुषमा स्वराज 7 बार संसद की सदस्य के तौर पर चुनी गईं। इस दौरान उनको उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार भी मिला था। वहीं साल 1996 में वाजपेयी की सरकार में सुषमा स्वराज सूचना और प्रसारण मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल हुई थीं। फिर साल 1998 में केंद्रीय मंत्रिमंडल को छोड़कर वह दिल्ली की पहली महिला सीएम बनीं। साथ ही उनको एक राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त है। उनके बोलने के कौशल की वजह से सुषमा स्वराज को लगातार तीन साल तक राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ हिंदी स्पीकर का पुरस्कार मिला था।विदेश मंत्रीबतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सबसे बड़ी उपलब्धियां हासिल की। न सिर्फ भारत में रहने वाले लोग बल्कि एनआरआई भी सुषमा स्वराज के फैन थे। जब भी कोई ट्वीट कर सुषमा से मदद मांगता तो वह फौरन सहायता का हाथ बढ़ाती थीं। सुषमा स्वराज ने यमन में फंसे साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को बचाया था और इस ऑपरेशन के दौरान उन्होंने भारतीयों के अलावा 41 देशों के नागरिकों को सुरक्षित उनके देश पहुंचाने का काम किया था।वहीं महज 8 साल की एक बच्ची गीता भटककर सरहद पार करके पाकिस्तान चली गई थी। तब 23 साल की उम्र में सुषमा स्वराज उसको वापस भारत लेकर आई थीं। इसी तरह से कोलकाता की जूडिथ को जब काबुल से अगवा करवा लिया गया था, तो उन्होंने भी मदद की गुहार लगाई थी। तब सुषमा स्वराज ने अफगान अधिकारियों से बात कर जूडिथ को रिहा करवाया था।मृत्युवहीं 06 अगस्त 2019 में दिल का दौरा पड़ने से सुषमा स्वराज की मृत्यु हो गई।

Sushma Swaraj Birth Anniversary: देश के सबसे चहेती और लोकप्रिय नेता थीं सुषमा स्वराज, वाकपटुता में अच्छे-अच्छों को देती थीं मात
Haqiqat Kya Hai
इस वर्ष, हम सुषमा स्वराज की जयंती पर उन्हें सम्मानित कर रहे हैं, जिनका नाम भारतीय राजनीति में हमेशा समानता के उच्च मानक के तौर पर लिया जाएगा। सुषमा स्वराज एक ऐसी नेता थीं जिनकी वाकपटुता और कर्तव्यनिष्ठा ने उन्हें देश की सबसे चहेती और लोकप्रिय नेता बना दिया।
सुषमा जी की जीवन यात्रा
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनसंघ से हुई थी, और फिर वे भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) की मुख्य नेता बनीं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला, जिनमें विदेश मंत्रालय भी शामिल था।
उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के चलते, उन्हें राजनीति में एक ऊँचा मुकाम हासिल हुआ। उनकी नीतियों और विचारों ने न केवल भारतीय राजनीति को प्रभावित किया बल्कि उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर स्पष्ट और सटीक जानकारी देने के लिए हमेशा तत्पर रहें।
वाकपटुता और प्रभाव
सुषमा स्वराज अपने वाक्पटुता के लिए जानी जाती थीं। वे जब भी किसी विषय पर बोलती थीं, तो उनके शब्दों की स्पष्टता और उनकी विचारधारा ने हमेशा श्रोताओं को प्रभावित किया। चाहे वह संसद में बहस हो या किसी सार्वजनिक मंच पर भाषण, वे हमेशा अद्वितीय रहती थीं। अनेक बार, उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी अपनी वाकपटुता से मात दी।
उनका तर्कशील और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण हमेशा चर्चा का विषय बना। उनकी चर्चा शैली में सरलता और प्रभावशीलता का अनोखा मेल था, जिसने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।
सुषमा जी के कार्यों की विरासत
सुषमा स्वराज ने न केवल राजनीति में बल्कि समाज में भी कई बदलाव लाने का कार्य किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और युवाओं को प्रेरित किया। उनकी नीतियों और दृष्टिकोण ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान दिलाई।
उनकी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी अपनी सरकार की विदेश नीति को मजबूत बनाना। उन्होंने कई देशों के साथ भारत के संबंधों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निष्कर्ष
सुषमा स्वराज केवल एक राजनीतिक नेता नहीं बल्कि एक प्रेरणा स्रोत थीं। उनके जीवन के पाठ हमें बताते हैं कि कैसे एक महिला नेतृत्व कर सकती हैं और समाज में सचमुच का परिवर्तन ला सकती है। उनकी जयंती पर, हमें उनके विचारों को आगे बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेना चाहिए।
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